Dengue:राजस्थान में बढ़ रहा डेंगू,यह शहर बना हॉट स्पॉट Read it later

Dengue: राजस्‍थान में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता रहा है, 5 सितंबर तक प्रदेश में 3303 मामले दर्ज किए गए। इनमें से ज्यादातर मामले राजधानी जयपुर से सामने आए हैं, यहां मामलों की संख्या 674 तक पहुंच गई है। विशेषज्ञों की माानें तो बारिश के मौसम के बाद मौसमी बीमारिया डेंगू (Dengue) की बड़ी वजह है, इसके साथ-साथ मलेरिया और अन्य मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या भी अस्‍पतालों में बढ़ गई है। इस चिंताजनक परिस्थिति को देखते हुए राजस्‍थान स्वास्थ्य विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

एक करोड़ घरों के निरीक्षण में डेढ़ लाख घरों में लार्वा (Dengue) मिला, लोगों अलर्ट किया

स्वास्थ्य विभाग ने ‘हमारा स्वास्थ्य, हमारी जिम्मेदारी’ नाम से अभियान के दूसरे चरण के लिए चार लाख से अधिक टीम का गठन किया है। इन टीमों ने राज्य में 1 करोड़ से अधिक घरों का निरीक्षण किया है, इनमें से डेढ़ लाख से अधिक घरों में लार्वा पाया गया। ऐसे घरों में लोगों को अलर्ट करने के साथ ही आसपास के इलाकों में फॉगिंग कराई जा रही है। साथ ही, सभी जिला कलेक्टरों को समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, अस्पतालों को डेंगू के मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाने का भी निर्देश दिया गया है।

जयपुर में डेंगू के कुल मरीजों की संख्या

जयपुर में डेंगू के कुल मरीजों की संख्या 674 हो गई है, मंगलवार को एक दिन में 179 नए मरीज सामने आए। बुधवार को भी मरीजों की संख्या 100-150 के पार जाने की आशंका जताई जा रही है।

ब्‍लड की किल्‍लत

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल, एसएमएस हॉस्पिटल में इसे लेकर तैयारी कर ली है। जयपुर में सामने आए आधे मामलों का इलाज एसएमएस अस्पताल में हुआ है। अस्पताल के अधीक्षक अचल शर्मा ने बताया कि डेंगू (Dengue) में प्लेटलेट्स कम होने के कारण काफी खून की जरूरत पड़ रही है, इसके लिए ब्लड बैंकों को पर्याप्त रक्त उपलब्ध कराने को कहा जा रहा है। इसके अलावा, अस्पताल में एक डेडिकेटेड आईसीयू शुरू कर दिया गया है।

डेंगू (Dengue) के खिलाफ जन जागरूकता

जयपुर सीएमएचओ सुरेंद्र कुमार गोयल के अनुसार यदि किसी घर में लार्वा मिलता है, तो हम आसपास के 50 घरों की जांच कर रहे हैं। नगर निगम से कहकर पूरे मोहल्ले में फॉगिंग कराई जा रही है और डेंगू (Dengue) से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कलेक्टर की ओर से गठित समिति के माध्यम से स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

गोयल ने बताया कि इस परिस्थिति में सहयोग करने के लिए सभी को ‘हमारा स्वास्थ्य, हमारी जिम्मेदारी’ अभियान का सहयोग करने का आह्वान किया गया है। गोयल ने कहा कि हमें डेंगू और अन्य मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए सतर्क रहना होगा और अपने घरों और आसपास के इलाकों का साफ-सफाई का ध्‍यान भी रखना होगा।

 

ह्यूमन से मच्छर में वायरस ट्रांसमीशन

डेंगू से ग्रस्‍त मरीज को मच्‍छर द्वारा काटने से मच्छर भी संक्रमित हो सकते हैं।
किसी व्यक्ति में सिटम्प्‍स डवलप होने से 2 दिन पहले और बुखार कम होने के 2 दिन बाद तक ट्रांसमीशन होने की संभावना रहती है।
जिन लोगों के रक्त में वायरस का स्तर अधिक होता है और तेज़ बुखार हो, उन्हें मच्छरों से संक्रमित होने का अधिक खतरा हो सकता है।
DENV-विशिष्ट एंटीबॉडी वाले इंसानों में मच्छरों तक वायरस फैलने का जोखिम कम होता है।
ज्‍यादातर लोग लगभग 4-5 दिनों तक परेशान रहते हैं, लेकिन यह 12 दिन तक भी कायम रह सकता है।

 

डेंगू बुखार के लक्षण (Dengue Symptoms in Hindi)

  • अचानक तेज बुखार हो जाना शरीर का तापमान 40°C/104°F के करीब होना
  • सीवियर हैडेक
  • जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द होना
  • आँखों के पीछे की ओर दर्द
  • लिम्फ ग्रंथियों में सूजन
  • जी मिचलाना
  • उल्टी आना
  • खुजली की समस्‍या
  • थकान या कमजोरी महसूस होना

 

कैसे पहचाने की डेंगू हो गया है?

डेंगू की पहचान करने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्‍ट कर सकते हैं। डेंगू फीवर का पता लगाने के लिए इस्‍तेमाल की जाने वाले एग्‍जामिन प्रॉसे इस प्रकार हैं:

डेंगू एनएस1 एंटीजन परीक्षण (Dengue NS1 antigen test):: यह टेस्‍ट डेंगू वायरस के एनएस1 के एक अंश की जांच करता है। यह टेस्‍ट डेंगू के लक्षण (dengue fever infection) के पहले सप्ताह के दौरान बहुत उपयोगी है।

डेंगू के लिए एंटीबॉडी टेस्‍ट:

  • आईजीएम एंटीबॉडी टेस्‍ट (IgM Antibody Test): यह टेस्‍ट कुछ एंटीबॉडी की तलाश करता है जो शरीर डेंगू बुखार होने पर बनाता है। लक्षण दिखने के तीन से पांच दिन बाद परीक्षण आमतौर पर सकारात्मक ही होता है, और कुछ हफ्तों तक मरीज ऐसा ही रह सकता है।
  • आईजीजी एंटीबॉडी परीक्षण (IgG antibody test): यह टेस्‍ट कई एंटीबॉडी को ढूंढता है जो बाद में बीमारी में उभरते हैं और महीनों से लेकर वर्षों तक बने रह सकते हैं।
  • आरटी-पीसीआर परीक्षण: आरटी-पीसीआर टेस्‍ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन। डेंगू के वायरस की हेरिडिटी (आरएनए) की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर एक संतोषजनक टेस्‍ट है। यह टेस्‍ट बीमारी की शुरुआत में किया जाता है, उस दौरान यह सबसे प्रभावी होता है।

 

डेंगू बुखार का इलाज कैसे किया जाता है (Dengue ट्रीटमेंट इन हिंदी)?

डेंगू बुखार के उपचार में रोगियों को बेहतर महसूस करने और ठीक होने में मदद करने के लिए कई विकल्प शामिल हैं,

  • हाइड्रेशन: जब मरीज को डेंगू हो तो जल्‍दी रिकवरी के लिए हाइड्रेटेड रहना ज्‍यादा जरूरी है। इसके लिए मरीज को लिक्‍वि‍ड चीजें जैसे पानी, कोकोनट वॉटर और इलेक्ट्रोलाइट्स युक्त पेय देते रहें। यह बॉडी में लिक्विड कंटेंट को फ‍िर से तैयार करने में मददगार होता है। यह वायरस से लड़ने शरीर की सहायता करता है। इससे मरीज की रिकवरी में जल्‍दी होती है।
  • मरीज आराम करें: इसमें भरपूर आराम की जरूरत हाेती है, क्‍योंकि इससे शरीर को खुद की मरम्मत के लिए समय मिलता है। इसे आसान बनाने और खुद को आराम दें।
  • पेन रिलीफ : डेंगू बुखार की वजह से तेज बुखार और लेजीनेस आ सकती है। एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं मरीज के बुखार को कम कर सकती हैं। वहीं मरीज के दर्द या परेशानी को कम कर सकती हैं। इसमें एस्पिरिन या इबुप्रोफेन मरीज को देने से बचें, क्योंकि वे रक्तस्राव के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
    प्लेटलेट ट्रांसफ़्यूज़न की जरूरत (गंभीर मामलों में): गंभीर डेंगू के मामलों में प्लेटलेट काउंट में तेज गिरावट हो सकती है। प्लेटलेट स्तर को फिर से बैलेंस्‍ड करने के लिए, शरीर के थक्के जमने में मदद करने और तेज ब्लीलीडिंग को रोकने के लिए प्लेटलेट आधान आवश्यक हो सकता है।

 

डेंगू के मरीजों को इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए

  • डेंगू के मरीजों को मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए. दरअसल मसालेदार खाना पेट में एसिड जमा कर सकता है और गैस के साथ-साथ अल्सर की समस्या भी बढ़ा सकता है। इस वजह से आपको ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।
  • जंक फूड सामान्य दिनों में भी हानिकारक होता है। ऐसे में डेंगू से पीड़ित लोगों को जंक फूड से भी दूर रहना चाहिए। इससे आपका बीपी हाई हो सकता है. पार्टनर के बाहर का खाना खाने से संक्रमण और भी बढ़ सकता है। पुनर्प्राप्ति में देरी हो सकती है.
  • डेंगू के मरीजों को नॉनवेज से भी परहेज करना चाहिए. सबसे पहले तो नॉनवेज बनाने में कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, इसे पचने में भी अधिक समय लगता है। वही नॉनवेज खाने से इंफेक्शन भी हो सकता है, जिससे मरीज की परेशानी और बढ़ सकती है। ऐसे में मरीज को लिक्विड डाइट का पालन करना चाहिए।
  •  डेंगू होने पर कॉफी जैसे कैफीन युक्त पेय पदार्थ पीने से भी बचना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे प्लेटलेट्स ठीक नहीं हो पाते और डेंगू गंभीर हो सकता है।
  •  डेंगू से पीड़ित व्यक्ति को शराब का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है, मरीज को प्लेटलेट्स कम होने की समस्या हो जाती है।

इन चीजों का सेवन करने से मिल सकता है लाभ

  • पपीते का सेवन। इसमें पपेन और काइमोपैपेन जैसे एंजाइम पाए जाते हैं जो पाचन को बढ़ावा देते हैं। सूजन और पेट फूलने की समस्या से बचाता है। प्लेटलेट काउंट भी तेजी से बढ़ता है।
  •  डेंगू के मरीजों के लिए भी कीवी खाना फायदेमंद हो सकता है. इसमें पोटैशियम के साथ-साथ विटामिन A और विटामिन E भी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है। यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने के साथ-साथ हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है। कीवी में मौजूद कॉपर विशेष स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • डेंगू के मरीजों को नारियल पानी भी पीना चाहिए। यह इलेक्ट्रोलाइट्स और आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है जो शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।

 

 

डिस्क्लेमर: लेख में दिया गया कंटेंट सामान्य जानकारी के तौर पर है। यह जानकारी किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। आपको सलाह दी जाती है कि प्रॉपर डाइट के लिए अपने डॉक्टर से कंसल्‍ट करें।

 

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