Take Oxygen From The Butt: सिर्फ नाक-मुंह नहीं पीछे गूदा द्वार से भी इंसान सांस ले सकेंगे! जानिए पूरा मामला Read it later

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प्रतिकात्मक तस्वीर। Getty | Images

 

Oxygen From The Butt: साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने और तरक्की की तो शायद ये भी संभव हो जाए कि इंसान नाक और मुंह के अलावा (Take Oxygen From The Butt) पीछे यानी गूदा द्वार से भी सांस ले पाए। ये आपको बेहद अजीब लगेगा, लेकिन वैज्ञानिकों ने इस ओर कोशिश शुरू कर दी है।  ‘क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल रिसॉर्स एंड टेक्नोलॉजी इनसाइट्स जर्नल’ में प्रकाशित हुई रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने चूहे और सूअरों पर इस तरह के कई एक्सपेरिमेंट किए हैं। इन सभी तरह के प्रैक्टिकल का आइडिया कछुए के स्लो मेटाबोलिज्म पर बेस्ड था।

 

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कैसे ली जा सकेगी पीछे गूदा द्वार से सांस? (Oxygen From The Butt)

‘डेली स्टार’ में ये रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस शोध में पशुओं की आंतों के म्युकोस लेवल को रगड़कर पतला किया गया, जिससे रक्त धमनियों में रुकावटें कम हुईं और​ ब्लड का फ्लो आसानी से बढ़ाया जा सका। इस एक्सपेरीमेंट के बाद जानवरों को ऑक्सीजन रहित कमरों में रखा गया। ऐसा देखा गया है कि कछुओं में म्युकोस की परत पतली होती है, इस कारण वे पीछे से सांस ले पाते हैं और ठंड में भी आसानी से जिंदा रह पाते हैं। आंतें शरीर के हर हिस्से से जुड़ी होती हैं।

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प्रतिकात्मक तस्वीर। Getty | Images

 

 

थ्री लेवल पर परीक्षण किया गया 

(Oxygen From The Butt) रिपोर्ट में ये बता उजागर नहीं की गई है कि साइंटिस्ट्स की ये टीम कहां की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, वे जानवर जिन्हें सांस नहीं मिल पाई और वे पीछे के रास्ते से आंतों से भी ऑक्सीजन नहीं सोख पाए, वो 11 मिनट के भीतर ही मर गए।

वहीं दूसरी ओर वो पशु जो आंतों को रगड़े बिना ऑक्सीजन ले पाए, लगभग 18 मिनट तक जिंदा रहे। इससे ये पता चला कि वे कुछ हद तक ऑक्सीजन को ले पाए। तीसरे चरण में बचे हुए 75% जानवरों की आंतों को रगड़ा गया और पीछे से ऑक्सीजन का प्रवाह किया गया। इससे वे एक घंटे तक जीवित रहे। इस प्रैक्टिकल का पूरा समय एक घंटा का था।

 

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प्रतिकात्मक तस्वीर। Getty | Images

 

क्या इंसान भी इसी तरह सांस ले सकेंगे?

दरअसल ये प्रयोग साबित करता है कि चूहे और सूअर सही सिचुएशन में आंतों से सांस लेने में कैपेबल हैं। (Oxygen From The Butt) रिसर्च के नीतजों के अनुसार वैज्ञानिकों का भरोसा है कि अन्य स्तनधारियों की तरह मनुष्य भी पीछे से सांस ले सकते हैं, लेकिन…. महज पीछे से सांस लेने के लिए आंतो को रगड़ना भी सही तरीका नहीं है। ऐसे में वैज्ञानिकों का दूसरे कम खतरनाक प्रयोगों पर भी शोध जारी है। वैज्ञानिक ऐसे सब्सटेंस की खोज कर रहे हैं जिनमें ऑक्सीजन की मात्रा अधिक हो।

 

रिसर्च के परिणाम किस सिचुएशन में इंसान के काम आ सकते हैं, फिलहाल पता नहीं

यह टेस्ट फिलहाल तो इंसानों पर नहीं किया गया है और न ही भविष्य में इस टेस्ट को करने की योजना है। (Oxygen From The Butt) ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के रिसर्च के परिणाम किन परिस्थितियों में इंसानों के कम आ पाएंगे।

 

 

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