Yogini Ekadashi: आज 24 जून को योगिनी एकादशी का व्रत है। (Important Things Related To Yogini Ekadashi) पद्म पुराण के अनुसार योगिनी एकादशी सभी पापों का नाश करती है। (Ekadashi Significance) इस व्रत को करने से शारीरिक कष्ट भी दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में इस व्रत (Yogini Ekadashi) को सुन्दर रूप, गुण और यश देने वाला बताया गया है। मान्या है कि इस व्रत का फल 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के फल के बराबर होता है। पुराण के अनुसार सबसे पहले हेममाली नाम के एक यक्ष ने यह व्रत किया।
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में की गई पूजा और शुभ कार्य शीघ्र सिद्ध होते हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विशेष व्रत (Yogini Ekadashi) किया जाता है, लेकिन इस तिथि को बाल गोपाल की विशेष पूजा भी करनी चाहिए।
स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नामक अध्याय में भी एकादशी (Yogini Ekadashi) का उल्लेख है। एकादशी के दिन बाल गोपाल की विशेष पूजा भी करनी चाहिए।
शुक्रवार को एकादशी होने के कारण इस दिन विष्णु जी के साथ महालक्ष्मी का भी विशेष अभिषेक करना चाहिए। यदि आप एकादशी का व्रत (Yogini Ekadashi) करना चाहते हैं तो प्रातः व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर में भगवान विष्णु के सामने पूजा करें। मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें।
दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों का अभिषेक करें। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें।
दूध से अभिषेक करने के बाद स्वच्छ जल से अभिषेक करें। हार, फूल, वस्त्र आदि भगवान को अर्पित करें। श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से क्षमा मांगें। प्रसाद बांटें और स्वयं ग्रहण करें।
Bal Gopal Pujan On Ekadashi | Photo | social media |
ये हैं बाल गोपाल की पूजा के आसान उपाय (Bal Gopal Pujan On Ekadashi)
- एकादशी के दिन सबसे पहले घर के मंदिर में गणेश पूजा करनी चाहिए। गणेश जी को स्नान कराएं। श्रृंगार करें। हार-फूल और दूर्वा की 21 गांठें अर्पित करें। श्री गणेशाय नमः मंत्र का जाप करें। गणेश पूजा के बाद बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए।
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य दें। सबसे पहले घर के मंदिर में गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार और पुष्प अर्पित करें। भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें। गणेश पूजा के बाद बाल गोपाल की पूजा शुरू करें।
- बाल गोपाल का अभिषेक पहले शुद्ध जल से, फिर पंचामृत से, केसर मिश्रित दूध से और फिर शुद्ध जल से करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख या चांदी के कमल का उपयोग किया जा सकता है।
- बाल गोपाल का अभिषेक करने के बाद उसे चमकीले पीले वस्त्र, हार-फूल और आभूषण पहनाएं। सुंदर श्रृंगार करें पवित्र धागा चढ़ाएं। नारियल, पंचामृत अर्पित करें।
- तुलसी के पत्तों के साथ मिठाई या मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं। उपहार भेंट करें। धूप और दीप जलाकर आरती करें।
- पूजा करते समय भगवान कृष्ण के नाम या क्रिं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
- जाने-अनजाने पूजा के अंत में हुई गलती के लिए क्षमा मांगें। पूजा के बाद प्रसाद बांटकर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।
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धर्मराज युधिष्ठिर को श्री कृष्ण ने सुनाई ये व्रत की कथा
भगवान कृष्ण ने इस व्रत (Yogini Ekadashi) की कथा धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। जिसमें राजा कुबेर के श्राप से एक कोढ़ी हेममाली नामक ऋषि मार्कंडेय के आश्रम में जाता है। इसके बाद ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी और इस वृत की विधि बताई। यक्ष ने ऋषि की बात मानी और उपवास किया और एक दिव्य शरीर लिया और स्वर्ग चले गए।
Ekadashi Lord Vishnu Fast | Photo | social media |
जरूरतमंदों को दान करें
इस दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराकर चंदन, रोली, धूप, दीप, फूल से पूजा करें और आरती करें। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा दें। अगले दिन सूर्योदय के समय देवता को भोग लगाकर, दीप जलाकर और प्रसाद बांटकर व्रत (Yogini Ekadashi) तोड़ें। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर होता है।
योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
1. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। दिन भर उपवास रखने का संकल्प लें और अपनी श्रद्धा के अनुसार दान-पुण्य करें।
2. विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
3. भगवान को स्नान कराकर चरणामृत पीकर परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में दें। पूजा सामग्री जैसे सुगंध, फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य आदि भगवान को अर्पित करें और कथा सुनें।
सात्विक भोजन करें और कथा सुने
यह व्रत (Yogini Ekadashi) दशमी के दिन से शुरू होता है। रात्रि में सादा भोजन करना चाहिए। अगले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति सामने रख उनकी पूजा करें। ध्यान रहे कि इस दिन योगिनी एकादशी की कथा भी अवश्य सुननी चाहिए। इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत लाभदायक होता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है।
व्रत के समय मानसिक शांति बनाए रखें
एकादशी का व्रत करने वाले साधक को अपने मन को स्थिर और अशांति से बचना चाहिए। मन में किसी भी प्रकार की घृणा या क्रोध न लाएं। दूसरों की आलोचना न करें। इस एकादशी पर श्री लक्ष्मी नारायण की पवित्र आत्मा से पूजा करनी चाहिए। भूखे को खाना और प्यासे को पानी देना चाहिए। एकादशी के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व भी माना गया है।
एक दिन पहले उपवास शुरू होता है
1. उत्पन्ना एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को शाम के भोजन के बाद अच्छी तरह से दातुन कर लेना चाहिए ताकि मुंह में भोजन का कोई दाना न रह जाए। उसके बाद कुछ भी न खाएं और न ही ज्यादा बोलें।
2. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की सोलह चीजों जैसे धूप, दीपक, नैवेद्य आदि से पूजा करें और रात में दीपक दान करें। रात को न सोएं। इस व्रत में रात भर भजन-कीर्तन करने का विधान है।
3. इस व्रत के दौरान जाने या अनजाने में अतीत में किए गए पापों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। अगली सुबह फिर से प्रभु की आराधना करें। ब्राह्मणों को अन्न दान करके ही भोजन करें।
जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति ठीक नहीं है, वे ऐसे जातक हर शुक्रवार शुक्र ग्रह के लिए विशेष पूजा करें। शुक्रवार और एकादशी (Yogini Ekadashi) के योग में शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। इसके लिए चांदी के लोटे का उपयोग करना चाहिए। इसके बाद तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल, जनेऊ और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। पूजा करते समय ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। जरूरतमंदों को दूध का दान करें।
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