सावधान करने वाला शोध : वीगन डाइट के फॉलोअर्स में प्रोटीन-कैल्शियम की कमी, फ्रैक्चर होने का खतरा 43% ज्यादा Read it later

वीगन डाइट के फॉलोअर्स में प्रोटीन-कैल्शियम की कमी
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का शोध आपको सचेते करने वाला है। जी हां, शोध कहता है कि जो लोग केवल वीगन डाइट लेते हैं, वे कमजोर हड्डियों के कारण फ्रैक्चर का शिकार हो सकत हैं। जो लोग शाकाहारी भोजन करते हैं, उनमें मांस खाने वालों की तुलना में कैल्शियम और प्रोटीन की कमी होती है। नतीजतन, हड्डियों में 43% तक फ्रैक्चर होने की संभावना अधिक हो जाती है।

वीगन डाइट क्या होती है? 

वीगन डाइट में, केवल मांस या अंडे खाने से ही नहीं ब​ल्कि दूध, दही, घी, पनीर जैसे डेयरी उत्पाद का भी सेवन नहीं किया जाता है। बहुत से लोग तो शहद का सेवन भी नहीं करते हैं। इस डाइट में पौधों से मिलने वाली चीजें ही खाई जाती हैं। जैसे अनाज, सब्जियां, फल, फलियां और ड्राई फ्रूट्स।

कई लोगों को शायद लगता है कि वेज डाइट और वीगन डाइट दोनों एक ही समान होती हैं। क्योंकि दोनों डाइट में मांस-मछली का सेवन नहीं किया जाता है, लेकिन फिर भी दोनों में काफी अंतर है। वीगन डाइट में दूध और दही को भी नॉनवेज माना जाता है। वीगन डाइट प्लान में ऐनिमल प्रोडक्ट भी नहींं खाया जाता है। 

जैसे- दूध, दही, शहद, घी, मक्खन, खोए या इन चीजों से बनी मिठाइयां भी। वीगन डाइट में केवल और केवल पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों का ही सेवन किया जाता है। वीगन डाइट में फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, दाल खाया जाता है। इस डाइट में कच्चे फूड्स खाने पर ज्यादा फोकस किया जाता है।

शाकाहारी और वीगन में क्या अंतर है?

दोनों आहारों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि वीगन लोग डेयरी उत्पादों का भी उपयोग नहीं करते हैं। शाकाहारी लोग शहद, अंडे, सभी प्रकार की सब्जियां खा सकते हैं, लेकिन वीगन मांस या समुद्री भोजन भी नहीं खाते हैं। वीगन भोजन का पालन करने वाले लोग ऐसी किसी भी चीज का उपयोग नहीं करते हैं जिससे पर्यावरण या जानवरों को खतरा हो।

वीगन डाइट के क्या लाभ हैं?

इससे तेजी से वजन कम होता है। इस डाइट को फॉलो करने वालों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कम होता है। इस डाइट में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे आपका पेट भरा हुआ महसूस होता है और आप कम खाते हैं। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी काफी मदद कर सकता है। 

शाकाहारी भोजन करने से हृदय स्वस्थ रहता है। शोध के अनुसार इस डाइट को फॉलो करने से कैंसर का खतरा भी कम होता है।

वीगन डाइट में क्या कुछ खाया जाता है?

इस डाइट में फल, सब्जियां, अनाज, मेवे वगैरह शामिल होते हैं। इसमें दूध की जगह सोयाबीन या बादाम का दूध ले सकते हैं। वहीं खाना बनाने के लिए घी की जगह ऑलिव ऑयल, तिल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

कार्बोहाइड्रेट के लिए साबुत अनाज, जौ, बाजरा, ज्वार, केला वगैरह लिया जाता है। वहीं प्रोटीन के लिए साबुत दालें, टोफू, मटर, बादाम, सोयाबीन का आटा आदि का सेवन किया जाता है।

शोध के परिणाम हैरान करने वाले

बीएमसी जर्नल में सार्वजनिक अनुसंधान के अनुसार, शाकाहारी आहार लेने वाले 1 हजार लोगों पर 10 साल तक शोध किया गया। शोध में पता चला कि उनके कूल्हे, पैर की हड्डियों और पीठ की हड्डी में फ्रैक्चर के मामले ज्यादा थे। 

आहार विशेषज्ञ और शोधकर्ता टैमी टोंग कहते हैं, जो लोग शाकाहारी भोजन खाते हैं, उनमें मांस खाने वालों की तुलना में हिप फ्रैक्चर के 2.3 गुना अधिक मामले पाए जा रहे हैं। 1 हजार में 20 ऐसे गंभीर मामले देखे गए।

शोध कहता है, शाकाहारी आहार लेने वालों में बॉडी मास इंडेक्स में कमी के साथ-साथ कैल्शियम और प्रोटीन की भी कमी होती है। इसलिए अलर्ट रहने की जरूरत है।

वीगन डाइट के फॉलोअर्स में प्रोटीन-कैल्शियम की कमी
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अगर आप वी​गन डाइट को फॉलो करते हैं तो इन 6 बातों का ध्यान रखें

क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट्स बताते हैं कि 3 महीने से अधिक समय तक वी​गन डाइट न लें। लगातार पेड़ पौधे आधारित आहार से शरीर में आयरन, कैल्शियम, विटामिन-डी और बी -12 की कमी हो जाती है।


कई बार लोग दूध के सब्स्टीट्यूट के रूप में सोया दूध, सोया पनीर लेते हैं। यदि आहार में सोया की मात्रा अधिक है, तो हार्मोनल असंतुलन का खतरा है। परिणाम बाल कटाने और त्वचा के धब्बे की तरह लग सकता है। इसलिए शाकाहारी आहार लेते समय, कृपया विशेषज्ञों से सलाह लें।

अगर इस आहार को लंबे समय तक लिया जाए, तो विशेषज्ञ कैल्शियम, विटामिन-डी, बी -12 और आयरन की कमी को पूरा करने वाले कुछ सप्लीमेंट लेते हैं। केवल पौधे-आधारित आहार कई आवश्यक पोषण संबंधी कमियां लेते हैं।


विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए सुबह 9 बजे से कुछ देर पहले धूप में बैठें। यह विटामिन-डी की कमी को पूरा करेगा और हड्डियों को मजबूत करेगा।

विटामिन बी -12 की कमी से थकान और कमजोरी महसूस होती है, इसलिए आहार में सोया पेय, अनाज लें। केवल सब्जियों और फलों पर निर्भर न रहें।

क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट सुरभि के अनुसार, लोग हरी सब्जियों का सेवन करने के बावजूद आयरन की कमी महसूस कर सकते हैं क्योंकि वे कम हीम खाद्य पदार्थ हैं। उन्हें उतना लोहा नहीं मिलता, जितनी जरूरत होती है। इसके लिए मटर, टोफू और ड्राई फ्रूट्स लें।


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