Nobel Peace Prize 2023: ईरान में महिलाओं पर अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता नर्गिस मोहम्मदी (51) (Narges Mohammadi) को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने ईरान में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के साथ सभी के लिए आजादी का समर्थन किया। ईरान की कट्टरपंथी सरकार के लिए वह आंख की किरकिरी बनी रहीं। उन्हें 13 बार गिरफ्तार किया गया, 154 कोड़े मारे गए और पांच बार दोषी ठहराया गया। इस समय भी वह जेल में 31 साल की सजा काट रही हैं।
5 बार दोषी ठहराया, 31 साल की सजा को लेकर फिलहाल जेल में
नोबेल कमेटी ने शुक्रवार को पुरस्कार का ऐलान करते हुए कहा कि नर्गिस मोहम्मदी (Nobel Peace Prize winner Narges Mohammadi ) को मानवाधिकारों की हिमायत की निजी कीमत चुकानी पड़ी। ईरान में सितंबर 2022 में एक युवा कुर्दिश महिला महसा जिना अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसमें नर्गिस मोहम्मदी की बुलंद आवाज भी शामिल थी। उनकी अपील पर प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं की आजादी का समर्थन किया। ईरानी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर अत्यचार किया। नर्गिस मोहम्मदी पर पुलिस ने ईरान सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप लगाया।
कॉलेज के जमाने से बनी महिलाओं की आवाज
नर्गिस मोहम्मदी नब्बे के दशक में जब फिजिक्स की स्टूडेंट थीं, वह महिलाओं के अधिकारों को लेकर अभियान से जुड़ गई थीं। (Nobel Peace Prize winner Narges Mohammadi ) वह लगातार महिलाओं के दमन और उनके साथ होने वाले संस्थागत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाती रहीं। वह डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर की उपप्रमुख हैं। यह गैर-सरकारी संगठन शिरीन एबादी ने बनाया था। शिरीन को 2003 में नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है।
महिलाएं, जिंदगी और आजादी का फलसफा (Nobel Peace Prize winner Narges Mohammadi )
नर्गिस मोहम्मदी दुनिया की 100 प्रेरक और प्रभावी महिलाओं की सूची में शामिल रही हैं। वह सालभर पहले ईरान में हुए विरोध प्रदर्शन का जेल में रहते हुए समर्थन करती रहीं। इस प्रदर्शन में औरतों की आजादी से लेकर सत्ता पलटने तक की मांग सामने आई। महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से बाल कटवाए और हेड स्कार्फ की होली जलाई। प्रदर्शनकारियों ने ‘महिलाएं, जिंदगी और आजादी’ के नारे लगाए।
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