G20 summit 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में अमेरिका, सऊदी अरब और यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा’ का शुभारंभ किया। (G20 presidency) भारत से लेकर अमेरिका तक, यूरोप से लेकर मध्य पूर्व तक के नेता इसे ऐतिहासिक समझौता बता रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने इसे मध्य पूर्व में समृद्धि लाने वाला समझौता बताया है।
उन्होंने कहा है कि यह एक बड़ी बात है जो दो महाद्वीपों के बंदरगाहों को जोड़कर मध्य पूर्व में अधिक समृद्धि, स्थिरता और एकीकरण लाएगी। (G20 Framework) वहीं, यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा है कि ‘यह अब तक का सबसे सीधा रास्ता होगा जिससे व्यापार में तेजी आएगी।’
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के बारे में जानें (G20 summit 2023)
पीएम मोदी ने अमेरिका, खाड़ी और यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ एक विशाल और महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजना शुरू की है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को रेल और बंदरगाह नेटवर्क के माध्यम से जोड़ना है।
इस परियोजना के तहत मध्य पूर्व में स्थित देशों को रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा जिसके बाद वे शिपिंग मार्ग के माध्यम से भारत से जुड़ेंगे। इसके बाद यह नेटवर्क यूरोप से जुड़ जाएगा। अमेरिका के डिप्टी एनएसए जॉन फाइनर ने मीडिया से बात करते हुए इस प्रोजेक्ट की अहमियत समझाने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ”यह सिर्फ एक रेल परियोजना नहीं है. यह एक शिपिंग और रेल परियोजना है। लोगों के लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि यह परियोजना कितनी महंगी, महत्वाकांक्षी और अभूतपूर्व होगी।” उन्होंने यह भी कहा, ”इस समझौते से निम्न और मध्यम आय वाले देशों को फायदा होगा. “इससे मध्य पूर्व को वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद मिलेगी।”
भारत (G20 summit 2023), मध्य पूर्व और यूरोपीय देशों के बीच यह समझौता मूल रूप से एक बुनियादी ढांचा परियोजना है। इसके तहत बंदरगाहों से लेकर रेल नेटवर्क तक का निर्माण किया जाना है। भारत से यूरोप तक रेल नेटवर्क बहुत सघन है। लेकिन अगर हम मध्य पूर्व को देखें तो वहां रेल नेटवर्क अपेक्षाकृत सघन नहीं है, जिसके कारण माल ढुलाई मूलतः सड़क या समुद्री मार्ग से होती है। रेलवे नेटवर्क बिछने की स्थिति में मध्य पूर्व के एक कोने से दूसरे कोने तक माल की आवाजाही आसान होने की संभावना है.
इसके साथ ही यह परियोजना (g20 summit 2023 in hindi) वैश्विक व्यापार के लिए एक नया शिपिंग मार्ग प्रदान कर सकती है क्योंकि वर्तमान में भारत (G20 summit 2023) या इसके आसपास के देशों से आने वाला माल स्वेज नहर के माध्यम से भूमध्य सागर तक पहुंचता है। इसके बाद यह यूरोपीय देशों तक पहुंचता है। इसके साथ ही अमेरिकी महाद्वीप में स्थित देशों को जाने वाला माल भूमध्य सागर के माध्यम से अटलांटिक महासागर में प्रवेश करता है, जिसके बाद यह अमेरिका, कनाडा या लैटिन अमेरिकी देशों तक पहुंचता है।
दस प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेज नहर पर निर्भर, नए विकल्प से ये कम होगी
यूरेशिया ग्रुप के दक्षिण एशिया विशेषज्ञ प्रमीत पाल चौधरी कहते हैं, ”वर्तमान में, मुंबई से यूरोप के लिए रवाना होने वाले कंटेनर स्वेज नहर के माध्यम से यूरोप पहुंचते हैं। भविष्य में ये कंटेनर दुबई से इज़राइल के हाइफ़ा बंदरगाह तक ट्रेन से जा सकते हैं। इसके बाद हम काफी समय और पैसा बचाकर यूरोप पहुंच सकते हैं।” वर्तमान में दस प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेज नहर पर निर्भर करता है। यहां की एक छोटी सी समस्या भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है।
साल 2021 में स्वेज नहर तक पहुंचा एक विशाल मालवाहक जहाज एवर गिवेन स्वेज नहर में किनारे फंस गया था। इस घटना ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए संकट पैदा कर दिया जिससे क्षेत्र से माल के परिवहन में एक सप्ताह की देरी हो गई। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इस डील के तहत समुद्र के अंदर एक केबल भी बिछाई जाएगी जो इन इलाकों को जोड़कर दूरसंचार और डेटा ट्रांसफर को गति देगी।
दुनिया को नया व्यापार मार्ग मलेगा (G20 summit 2023)
इस समझौते के तहत हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और परिवहन की व्यवस्था की जाएगी। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ डॉ. प्रबीर डे कहते हैं कि यह समझौता सकारात्मक कहा जा सकता है क्योंकि इससे दुनिया के लिए एक नया व्यापार मार्ग तैयार होगा डॉ डे के अनुसार ”मोटा- मोटा कहें तो यह समझौता दुनिया को एक नया व्यापार मार्ग देगा। इससे स्वेज नहर मार्ग पर हमारी निर्भरता कम हाने लगेगी।
ऐसे में अगर उस रूट पर कभी कोई दिक्कत आती है तो उससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार को कोई खतरा नहीं होगा। क्योंकि वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो जायेगा। इसके साथ ही सऊदी अरब और मध्य पूर्व के पास रेलवे लाइन भी नहीं है जिसके जरिए हम उनकी मदद कर सकें। “इस मार्ग के विकास से हमारे लिए मध्य पूर्व से तेल लाना ज्यादा आसान हो सकता है।”
अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ और जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. स्वर्ण सिंह के अनुसार यह मध्य पूर्व के लिए भी पॉजिटिव है। उनके अनुसार “मध्य पूर्व के देशों में रेल नेटवर्क बनने से इन देशों की स्थिति में सुधार आएगा। इससे एक तरफ जहां स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे। वहीं दूसरी तरफ मध्य पूर्व के देश एक दूसरे के करीब है। क्योंकि रेल नेटवर्क देशों को व्यावसायिक रूप से करीब लाता है।”
“दो देशों के बीच अगर हवाई मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन बढ़ता है तो किसी समय हालात नाजुक होने पर उन्हें एकाएक होल्ड पर रखा जा सकता है। रेल मार्ग के साथ ऐसा करना मुश्किल होगा। (G20 summit 2023) इससे आर्थिक नुकसान होता है। ऐसे में देश एक दूसरे के प्रति संवेदनशील होने लगते हैं। इस डील के ऐलान के बाद भारत के व्यापार में बड़ी तेजी आने की संभावना है।
विशेषज्ञ प्रबीर डे ने इन अनुमानों को जल्दबाजी बताया है। वह कहते हैं, ”अभी यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि इस मार्ग के अस्तित्व में आने से भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को कितना बढ़ावा मिल पाएगा। क्योंकि बिजनेस की ग्रोथ सिर्फ दूरियां कम करने पर निर्भर नहीं करती. इसके लिए कई अन्य कारण होते हैं।
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