11 साल की HIV पीड़िता के दुष्कर्म से गुप्तांग फटे: अब मल के लिए पेट में किया छेद, ति​ल-तिल जीने को मजबूर, सरकार से मदद की उम्मीद Read it later

HIV victim raped in khargone MP
Representational Image | Getty images

मध्यप्रदेश (MP) स्थित खरगोन (Khargone) शहर के महेश्वर में 11 साल की एचआईवी पीड़ित मासूम से दुष्कर्म (HIV victim raped) का मामला सामने आया है। घटना के बाद लड़की तड़प तड़प कर जीने को मजबूर है। परिवार पर भी मुसीबतें कम नहीं थीं। घटना के बाद परेशानी और बढ़ गई। दुष्कर्म के कारण पीड़ित बच्ची के गुप्तांग फट गए। इसका ऑपरेशन हुआ। मल के लिए पेट में छेद किया गया। 

परिजनों ने दर्द से तड़पती बच्ची को हाल में इंदौर भर्ती कराया गया है, लेकिन इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। परिवार ने कहा कि न तो मामा (CM ShivRaj Singh Chauhan) ध्यान दे रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि। अब मजबूरीवश घर बेच ऑपरेशन करना होगा। सिर्फ कलेक्टर की ओर से 50 हजार रुपए मदद के मिले। 

क्या था मामला (HIV Victim Raped In Khargone)

दरअसल 12 मार्च की दोपहर बच्ची घर पर अकेली थी। (HIV victim raped in Khargone) इसी दौरान आरोपी दीपक यादव (34) मौका देख घर आया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद किसी को न बताने पर जान से मारने की धमकी दी। परिजन आए तो पीड़िता ने सारी बात बताई। पीड़िता के गुप्तांग फटे थे। 

खून बह रहा था। परिजनों ने पुलिस से शिकायत दी तो उल्टा पुलिस ने मामला दबाने की धमकी दे डाली और समझौता करने के लिए कहने लगे। जब मामला आला अधिकारियों तक पहुंचा तो केस दर्ज हुआ और आरोपी जेल में है। 

लेकिन दुष्कर्म के बाद बेगुनाह सजा झेल रही है वो आरोपी की सजा से कहीं दर्दनाक है। पीड़िता का इलाज अब तक नहीं हो पाया है। 

HIV victim raped in khargone MP
11 साल की एचआईवी पीड़ित मासूम।

कलेक्टर तक बात पहुंची तो दी 50 हजार की मदद

एक माह पहले जब मामला कलेक्टर अनुग्रह पी के ने सुना तो उन्होंने 50 हजार रुपये दिए और पीड़िता का इंदौर में ऑपरेशन हुआ। बीते दिनों बच्ची के पेट में तेज दर्द हुआ, इसलिए उसके परिजन उसे एमवाय अस्पताल ले गए। अभी तक न तो इलाज हुआ है और न ही कहीं से  ​मदद मिल पाई है। डॉक्टरों का कहते हैं कि इसके इलाज में ज्यादा खर्चा आएगा, इलाज एम्स या किसी बड़े निजी अस्पताल में ऑपरेशन होगा।

 माता पिता भी  HIV पीड़ित हैं

माता-पिता ने बताया कि वह खुद HIV पीड़ित हैं। दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी भी एचआईवी पीड़ित है। ऑपरेशन के बाद उसे फल और जूस दिया जाता है। प्रति दिन 200 रुपये का खर्च आता है। इसके अलावा 200 रुपये दवाओं पर खर्च हो जाते हैं। पिता ने कहा कि हम मजदूरी करें, जूस और दवाएं खरीदें या इलाज कराएं.. कुछ समझ नहीं आ रहा। परिजनों ने बताया कि उन्होंने हर जनप्रतिनिधि से अधिकारियों से गुहार लगाई है, लेकिन कोई मदद के लिए आगे आया।

 पिता ने रोते हुए कहा सब केवल दलासा देते हैं…  मदद कोई नही करता…

पिता ने बताया कि इलाज का एक ही तरीका है कि घर बेच दिया जाए…। वह घर बेच देगा और इलाज करवाएगा। लोग कहते हैं कि वे मदद करेंगे, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आता…। अभी तक किसी ने कुछ मदद नहीं की है। सब लोग दिलासा देते रहते हैं।

नोट: हमारा पाठकों से अनुरोध हैं  कि यदि आपने ये खबर पढ़ी है और आप साधन संपन्न हैं तो इस बच्ची के इलाज के लिए मदद पहुंचाएं और यदि आप आर्थिक रूप से मदद न कर पाएं तो कम से कम  इस खबर को दूसरों से शेयर करें ताकि इस बच्ची का समय इलाज हो जाए। यदि इस बच्ची को मदद मिलत है तो हम समझेंगे की हमार ये खबर लिखना सफल हुआ।

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