Sriharikota:श्रीहरिकोटा से ही क्यों लॉन्च होते हैं ISRO मिशन Read it later

Sriharikota: चंद्रयान- 3 की सफलता के बाद भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर दुनिया की नजर है। अब तक देश के प्रमुख अंतरिक्ष मिशन श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन केंद्र से लॉन्च किए गए। यहां जानिए, क्यों खास है श्रीहरिकोटा का यह केंद्र-

कब हुई स्थापना

1971 में श्रीहरिकोटा (Sriharikota) स्थित लॉन्चिंग स्टेशन सतीश धवन केंद्र की स्थापना की गई। आंध्र प्रदेश के तट पर बसे इस द्वीप को भारत का प्राइमरी स्पेस पोर्ट भी कहा जाता है। 1971 के बाद से इसरो के बड़े मिशन यहीं से लॉन्च हुए।

क्यों खास है श्रीहरिकोटा ? (Sriharikota)

Why is ISRO located in Sriharikota – यह जगह भूमध्य रेखा के पास है। जितने भी स्पेसक्राफ्ट या सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे हैं, उन्हें भूमध्य रेखा के पास से ही इंजेक्ट किया जाता है। दूरी और कक्षा की बेहतर स्थिति के कारण श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से लॉन्च किए मिशन की सक्सेस रेट अच्छी है और लागत भी कम आती है।

दरअसल श्रीहरिकोटा (Sriharikota) एक धुरी के आकार का द्वीप (स्पिंडल शेप आइलैंड) है, जो आंध्र प्रदेश में स्थित है। जैसा कि हमनें आपको बताया है कि यहां से लॉन्चिंग का एक बड़ा कारण भूमध्य रेखा से इसकी निकटता है। आप जानकर हैरा होंगे कि श्रीहरिकोटा (Sriharikota) कोई टूरिस्‍ट्स प्‍लेस या ऐसा शहर नहीं है जहां पर्यटकों का फुटफॉल रहता हो। यह बंगाल की खाड़ी के तट पर एक छोटा सा द्वीप है। इस द्वीप में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र है, जो भारत के दो उपग्रह प्रक्षेपण केंद्रों में से एक है।

सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर है ये जगह

हमेशा रॉकेट लॉन्च करने के लिए स्पेस पोर्ट आबादी से दूर बनाया जाता है और श्रीहरिकोटा जगह इसके लिए अनुकूल है। वहीं स्‍ट्रेटेजिक प्‍लान और कंट्री कॉन्फ‍िडेंशियल्‍स के लिहाज से भी यह जगह फ‍िट है।  इस  द्वीप के दोनों ओर समुद्र है, ऐसे में यदि रॉकेट आदि में गड़बड़ी आए तो किसी तरह की बड़ी जनहानि से भी बचा जा सकता है।

मौसम के लिहाज से भी  है बेहतर

स्पेस मिशन लॉन्च करने के लिए मौसम का मिशन के अनुकूल रहना बेहद भी बेहद जरूरी होता है। वहीं श्रीहरिकोटा इसके लिए एकदम परफेक्‍ट है। आपको बता दें कि  श्रीहरिकोटा (Sriharikota) में आमतौर पर मौसम एक जैसा रहता है। बारिश के मौसम को छोड़ दें तो दस माह मौसम साफ व सूखा रहता है।

और कहांं है इसरो के लॉन्चिंग स्टेशन ?

इसरो (ISRO) के पास केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित थुम्बा रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन भी है। श्रीहरिकोटा का अंतरिक्ष स्टेशन बनने से पहले अब तक यहीं से मिशन लॉन्च किए गए। अभी यहां से रिसर्च रॉकेट लॉन्च को लॉन्‍च किया जाता है। 1969 में इस स्थान को उपग्रह प्रक्षेपण स्टेशन के रूप में चुना गया था। इसके बाद यहां से लॉन्चिंग का सिलसिला साल 1971 से शुरू हुआ. जब ‘आरएच-125’ रॉकेट ने श्रीहरिकोटा रेंज से उड़ान भरी।

 

ऐसे विक्रम साराभाई ने एकनाथ वसंत से इस जगह की खोज करवाई

अब इस जगह को ही इसरो के स्‍पेस मिशन के लिए क्यों चुना गया तो इसकी वजह ये है कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई ने अपने करीबी सहयोगी एकनाथ वसंत को देश के पूर्वी तट पर एक प्रक्षेपण स्थल की तलाश करने के लिए कहा था। इसके बाद एकनाथ ने आंध्र प्रदेश के तत्कालीन उद्योग निदेशक से संपर्क किया। उस दौरान उन्होंने श्रीहरिकोटा (Sriharikota) और अन्य संभावित स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और मानचित्र तैयार करने में उनकी मदद की। पूर्व दिशा की ओर प्रक्षेपण के लिए यह स्थान सर्वोत्तम माना जाता है। क्योंकि अधिकतर उपग्रह पूर्व की ओर ही प्रक्षेपित किये जाते हैं। पहला कक्षा उपग्रह 1979 में लॉन्च किया गया था।

 

तेज भूकंप को झेलने की शक्ति रखता है श्रीहरिकोटा स्‍टेशन

फ्रॉम फिशिंग हैमलेट टू रेड प्लैनेट: इंडियाज स्पेस जर्नी नामक पुस्तक में कहा गया है कि पूर्व की ओर रॉकेट लॉन्च करके कोई भी व्यक्ति पृथ्वी के घूर्णन का लाभ उठा सकता है। दूसरी ओर, किसी प्रक्षेपण के सफल होने के लिए ज़मीन इतनी ठोस होनी चाहिए कि वह प्रक्षेपण के दौरान उत्पन्न होने वाले तीव्र कंपन को झेल सके।

एक रिपोर्ट में इसरो के जनसंपर्क निदेशक देवीप्रसाद कार्णिक ने कहा कि श्रीहरिकोटा अपनी मजबूत मिट्टी की संरचना और उसके नीचे कठोर चट्टान के साथ इस आवश्यकता को पूरा करता है।

 

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