Pune Porsche Car Accident: नाबालिग का 25 की उम्र तक नहीं बनेगा लाइसेंस Read it later

Pune Porsche Car Accident: पुणे में बाइक सवार दो आईटी पेशेवरों को लग्जरी पोर्श कार से कुचलने के मामले के आरोपी को 25 साल की उम्र तक ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलेगा। महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट कमिश्‍नर विवेक भीमनवार ने मामले की जानकारी बताते हुए कहा कि जिस लग्जरी पोर्श कार से दुर्घटना हुई उसे 12 महीने तक किसी भी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में रजिस्‍टर नहीं होने दिया जाएगा। मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत इसका मौजूदा अस्थायी पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।कार का नहीं था परमानेंट रजिस्ट्रेशन, बचे थे 1758 रुपये

पोर्शे कार का स्थायी पंजीकरण मार्च से लंबित था क्योंकि मालिक ने 1,758 रुपये का शुल्क नहीं चुकाया था। पोर्शे कार को बेंगलुरु के एक डीलर ने मार्च में आयात किया था। वहां से इसे अस्थायी पंजीकरण पर महाराष्ट्र भेजा गया।

नया मामला धारा 185 के तहत दर्ज

महाराष्ट्र पुलिस द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में धारा 185 के तहत नया मामला दर्ज करने के बाद बुधवार को नाबालिग आरोपी को किशोर न्यायालय में पेश किया गया। इससे पहले आरोपी के खिलाफ धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया।

नाबालिग ने 48 हजार रुपए की शराब पार्टी की (Pune Porsche Car Accident)

बाइक सवार दो आईटी प्रोफेशनल्स को पोर्शे कार से कुचलने से पहले नाबालिग ने एक बार में खूब शराब पी थी। इसकी पुष्टि उनकी कार से मिले बिल से होती है। महाराष्ट्र पुलिस ने उस बार से 48 हजार रुपये का बिल जब्त किया है. हादसे से पहले नाबालिग कहां गई थी। पुलिस का दावा है कि पोर्शे कार एक बिल्डर का 17 साल का बेटा चला रहा था। हादसे के वक्त वह नशे में था।

मामले को वयस्क की तरह चलाने की मांग

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में पुलिस ने मांग की कि नाबालिग आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाए. मामले की सुनवाई के समय पुणे पुलिस वकील ने कहा कि यह सुनवाई निर्भया केस की तरह की जानी चाहिए। आरोपी की उम्र 17 साल 8 महीने है। यानी वह महज 4 माह में बालिग हो जाएगा।

क्‍या नाबालिग आरोपी पर वयस्‍क अपराधी की तरह केस चल सकता है?

गंभीर मामलों में ऐसा हो सकता है। पुणे में नाबालिग आरोपी ने पहले शराब पी और फिर तेज रफ्तार कार से दो लोगों को रौंद दिया। पुलिस ने इस मामले में आरोपी ड्राइवर पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने के लिए पीटीशन भी दायर की है, लेकिन कानूनी तौर पर पेच कहा फंस रहा है, यह समझने के लिए आइए किशोर न्याय अधिनियम पर नजर डालते हैं –

बता दें कि देश में 16 साल की उम्र में अपराध करने वाले नाबालिगों के लिए किशोर न्याय अधिनियम 1986 के तहत कानून था। इसके बाद साल 2000 में इस कानून में बदलाव किया गया और उम्र सीमा 16 साल से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई। हत्या, देशद्रोह और जानलेवा हमले करने वाले नाबालिगों को भी किशोर अपराधी माना गया और उनके खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत ही कार्रवाई की गई।

इसके बाद दिसंबर 2012 में दिल्ली निर्भया रेप केस के एक आरोपी की उम्र 17 साल थी। इस अति गंभीर अपराध को अंजाम देने वाले इस आरोपी को बाल सुधार गृह में रखा गया था। बाकी अपराधियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के में मामला दर्ज किया गया। इससे लोग में काफी गुस्‍सा था।

इस कानून में बदलाव के लिए तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पूर्व जस्टिस जेएस वर्मा के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। हालाँकि, इस समिति ने किशोर न्याय के तहत आयु सीमा को 18 से घटाकर 16 वर्ष करने का विरोध किया था।

इसके बाद 2015 में जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को कंसीडर करते हुए इस कानून में बदलाव किया गया। इस कानून में एक नया प्रावधान CCL शामिल किया गया, यानी ‘कॉन्फ्लिक्ट विद लॉ’ जोड़ा गया। इसके तहत अगर कोई नाबालिग अति गंभीर या जघन्‍य अपराध करता है तो उसके साथ वयस्क जैसा ही सलूक किया जा सकता है, लेकिन शर्त यह शामिल की गई कि इसका फैसला करने का अधिकार कोर्ट के पास ही होगा।

बता दें कि जघन्य अपराध के मामले में आरोपी को अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान है। यह सभी छोटे अपराधियों के मामले में लागू नहीं होता है।

किस तरह के क्राइम में नाबालिग को वयस्‍क मानकर केस चलाया जा सकता है?

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 के अनुसार जब 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई बच्चा हत्या, बलात्कार, जानलेवा हमला आदि जैसे जघन्य अपराध करता है, तो किशोर न्याय बोर्ड यह तय करेगा कि उसके साथ नाबालिग की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए या नहीं।

किशोर न्याय बोर्ड अपराध और उसके करने के तरीके को देखकर यह फैसला करता है। जेजे बोर्ड निर्णय लेते समय इन बातों की जांच करता है…

  • अपराध करने के समय आरोपी का इरादा क्या थी?
  • उसकी मौजूदा शारीरिक क्षमता कितनी है?
  • वह अपराध के परिणामों को कितना समझता है?
  • अपराध करते समय किस तरह की सिचुएशन थीं?

इस कानून की धारा 18(3) के तहत अगर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड नाबालिग पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की सिफारिश करता है तो कोर्ट सबूतों के आधार पर आगे की सुनवाई करता है।

किशोर न्याय अधिनियम में बदलाव के बाद निर्भया रेप केस के एकमात्र नाबालिग आरोपी को 1 सितंबर 2013 को 3 साल कैद की सजा सुनाई गई। किशोर न्‍याय ने नाबालिग आरोपी के अपराध को जघन्य अपराध या अति से अति गंभीर अपराध माना था। वह इस केस से जुड़ा एकमात्र आरोपी था, जिनका नाम और चेहरा दुनिया के सामने नहीं लाया गया था।

यदि बालिग की तरह केस चला तो आरोपी को कितनी सजा हो सकती है?

पुलिस ने याचिका दायर कर किशोर न्याय बोर्ड से आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की मांग की है. अगर कोर्ट इजाजत दे तो आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चलाया जाएगा। दोषी साबित होने पर उसे अधिकतम 7 साल की जेल हो सकती है। कोर्ट अपराध की गंभीरता को देखते हुए सजा तय करेगी।

आरोपी के दादा का अंडरवर्ल्ड कनेक्‍ शन?

खबरों के अनुसार नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र कुमार अग्रवाल का अपने ही भाई से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। ऐसे में उसने कथित तौर पर अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को सुपारी दी थी। उस वक्त छोटा राजन के गुंडों ने फायरिंग भी की थी। इस मामले को लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई है। यह मामला फिलहाल न्‍यायालय में विचाराधीन है।

अंडरवर्ड से रिश्‍ते की जांच

क्या सच में अग्रवाल परिवार के अंडरवर्ल्ड से संबंध थे? इस पर पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने भी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा, अग्रवाल परिवार के अंडरवर्ल्ड से संबंध हैं या नहीं, इसकी जानकारी मांगी गई है. क्या विशाल अग्रवाल का अंडरवर्ल्ड से कोई संबंध है? इस संबंध में भी जांच की जाएगी।

 

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