Raju Fauji : भीलवाड़ा में दो कॉन्स्टेबल की हत्या का दोषी कुख्यात तस्कर Raju Fauji आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया। (Raju Fauji Arrest) करीब आठ महीने से पुलिस तस्कर को दबोचन के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी, लेकिन राजू इतना चालाक है कि हर बार पुलिस को चमका देकर बच कर निकल जाता था।
शनिवार को जब पुलिस उसे पकड़ने पहुंची तो उसने फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में उसके दोनों पैरों में गोली लग गई। जिससे वो पकड़ा गया। राजू (Raju Fauji) पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका था। 10 अप्रैल को भीलवाड़ा में दो कॉन्स्टेबल की हत्या के बाद से ये तस्कर फरार चल रहा था।
पुलिस ने इस पर एक लाख रुपये का इनाम भी रखा है। लेकिन वह खुलेआम पुलिस को धमकी देता कि या तो मरेंगे या मारेंगे। (Raju Fauji) राजू लॉरेंस विश्नोई के साथ हरियाणा के अन्य गैंगस्टरों के संपर्क में आया और उसने अपने गिरोह का दायरा बढ़ाया।
इसके बाद देखते ही देखते वो राजस्थान में डोडा-पोस्त की तस्करी का सरगना बना। राजू फौजी के खिलाफ बाड़मेर, जोधपुर, जालोर, नागौर, जैसलमेर और बीकानेर में एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं।
सीआरपीएफ में रहते छुट्टी पर गांव आया उसके बाद वापस नहीं गया
16 साल पहले 2005 में अचानक फौौज से उसने छुट्टी ली और घर आ गया। यहां से वह कभी सीआरपीएफ में वापस नहीं गया। यहां उसने अपराध करना शुरू कर दिया। सीआरपीएफ में भर्ती होने के बाद से लोग उसे सिपाही कहने लगे, लेकिन हकीकत में उसने कभी सेना में सेवा नहीं दी।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार राजू फौजी के खिलाफ पहला मामला जोधपुर के शास्त्री नगर थाने में 2005 में दर्ज किया गया था। इसके बाद यह सिलसिला चलता रहा और उसने बड़े अपराधों को अंजाम दिया।
सरेआम भाभी के प्रेमी की नाक-कान काटकर फैलाई थी दहशत
2012 में राजू फौजी (Raju Fauji) की भाभी ट्रक ड्राइवर के साथ भाग गई थी। गुस्से में आकर वह बिलाड़ा में गया और दिन दहाड़े अपनी भाभी के प्रेमी को जमकर पीटा और उसके नाक-कान काट दिए। इससे राजू फौजी की दहशत क्षेत्र में शुरू हो गई। इस घटना के बाद राजू फौजी ने अपने बहनोई के ससुराल वालों का अपहरण कर लिया और उनके साथ भी मारपीट की।
हथियार के दम पर टोल नाकों पर लूटपाट, साथी तस्कर की आत्महत्या के बाद बना गिरोह के सरगना
राजू फौजी (Raju Fauji) ने 19 मई 2018 को बाड़मेर के कल्याणपुर में 35 बदमाशों के साथ हथियार के दम पर डोली टोल नाका लूट लिया था। इसके बाद उसने रंगदारी का काम शुरू किया। वह खरताराम के संपर्क में आया और तस्करी की दुनिया में आ गया।
करीब 3 साल पहले पाली के भीमाना गांव की पहाड़ियों में पुलिस कार्रवाई के दौरान खरताराम को चारों तरफ से घेर लिया गया था। पुलिस ने घेराबंदी की और बचने का कोई रास्ता नहीं मिला, ऐसे में खरताराम ने खुद को गोली मार ली। खरताराम की मौत के बाद राजू फौजी ने तस्कर गिरोह की कमान संभाल ली।
इसके बाद उसने गिरोह बाड़मेर से आगे जोधपुर, नागौर, बीकानेर, पाली, जैसलमेर, चित्तौड़, भीलवाड़ा, जालोर और सिरोही तक फैल लिया।
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