Uttarkashi Rescue: मंगलवार को 17वें दिन सिल्क्यारा टनल से निकाले गए 41 मजदूरों को चिन्यालीसौड़ में बने अस्पताल ले जाया गया है। (Uttarkashi Rescue) यहां सभी मजदूरों को 48 घंटे तक डॉक्टरों की देख-रेख में रखा जाएगा। इसके बाद सभी मजदूरों को अपने परिवार से मिलने की इजाजत दे दी जाएगी। इस सफल रेस्क्यू के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि श्रमिकों के स्वस्थ होने के बाद सरकार की ओर से सभी 41 मजदूरों को आर्थिक सहायता के तौर पर एक-एक लाख रुपये के चेक सौंपा जाएगा।
सुरंग से अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया
रेस्क्यू के बाद मजदूरों को 30-35 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड ले जाया गया। वहां 41 बिस्तरों वाला विशेष अस्पताल बनाया गया। टनल से चिन्यालीसौड तक की सड़क को ग्रीन कॉरिडोर में तब्दील किया गया, ताकि रेस्क्यू के बाद श्रमिकों को अस्पताल ले जाने वाली एंबुलेंस ट्रैफिक में न फंसे. यह लगभग 30 से 35 किलोमीटर की दूरी है। इसे करीब 40 मिनट में ठीक कर लिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल से निकाले गए सभी 41 मजदूरों से फोन पर बात कर उनके हौसले को सराहा । उन्होंने सभी मजदूरों से उनके स्वास्थ्य के बारे में बात की और चिकित्सा संबंधी जानकारी ली। वहीं उनका हालचाल भी पूछा। इस दौरान उन्होंने सभी मजदूरों का हौसला भी बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से भी बात कर श्रमिकों के लिए किए गए इंतजामों और उन्हें सुरक्षित घर भेजने की पूरी योजना की जानकारी ली।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi's telephonic conversation with the workers who were successfully rescued from Uttarakhand's Silkyara tunnel after 17 days pic.twitter.com/G1q26t5Ke8
— ANI (@ANI) November 29, 2023
मुख्यमंत्री धामी ने प्रयास में लगे सभी संस्थाओं और विशेषज्ञों का जताया आभार (Uttarkashi Rescue)
मुख्यमंत्री ने सभी एजेंसियों, कर्मचारियों एनडीआरएफ- एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ के साथ अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स और उनकी टीम का आभा जताया वहीं और अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर को भी धन्यवाद दिया। बता दें कि इन सभी ने कठिन बचाव अभियान में 17 दिनों तक दिन-रात कार्य कर इस रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाया। धामी ने इस दौरान कहा कि सरकार सिल्कयारा सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी। इसके लिए अधिकारियों को पहले ही निर्देश दिये गये हैं। इसके अलावा अस्पताल में इलाज से लेकर घर जाने तक की पूरी व्यवस्था सरकार की ओर से ही की जाएगी।
धैर्य, परिश्रम एवं आस्था की हुई जीत। pic.twitter.com/bF4hupYDMa
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 28, 2023
मजदूरों के इलाज का पूरा खर्च वहन करेगी सरकार
सिल्कयारा में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सुरंग में फंसे सभी मजदूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में मजदूरों के हर तरह के इलाज का खर्च सरकार ही उठाएगी। इनके अलावा सरकार परिवार के सदस्यों और श्रमिकों के लिए भोजन और रहने की व्यवस्था भी कर रही है। धामी ने कहा कि सरकार श्रमिकों के घर जाने तक का पूरा खर्च भी वहन करेगी।
बाबा बौखनाग देवता का भव्य मंदिर बनाएगी सरकार
धामी ने कहा कि बाबा बौखनाग और देवभूमि के देवी-देवताओं की कृपा- आशीर्वाद से ऑपरेशन सफल रहा। अब सिल्क्यारा में बौखनाग देवता का भव्य मंदिर निर्माण किया जाएगा। इसके लिए भी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बौखनाग के आशीर्वाद से सभी मजदूर सुरक्षित तौर पर बाहर आ गये हैं। सीएम ने कहा कि ग्रामीणों ने ही बाबा बौखनाग का मंदिर बनाने की मांग रखी थी। अब सरकार इस मांग को पूरा करेगी।
ऐसे बची 41 मजदूरों की जान
12 नवंबर को सुपरवाइजर गबर सिंह नेगी को सुरंग में फंसने के बाद पानी भरते देखा गया था. उसने पंप चालू कर दिया। पंप ने पानी खींचा और उसे 4 इंच पाइप के माध्यम से बाहर निकालना शुरू कर दिया। पाइप का एक सिरा मलबे के दूसरी तरफ था, इसलिए बचाव दल पंप की आवाज़ सुन सकता था। उन्हें एहसास हुआ कि मजदूर जीवित हैं. फिर इस पाइप के जरिए कार्यकर्ताओं से बातचीत हुई. उनके लिए चने और बिस्किट भेजे गए.
20 नवंबर को मजदूरों ने खाना मांगा. फिर मलबे में 6 इंच का पाइप डाला गया। वह आसानी से कार्यकर्ताओं तक पहुंच गए. इसके माध्यम से ठोस भोजन, जूस आदि भेजा जाता था। तब जाकर 9 दिन बाद मजदूरों ने खाना खाया.
21 नवंबर को, 800 मिमी चौड़े पाइप भेजे गए, क्योंकि 900 मिमी पाइप प्रगति नहीं कर रहे थे। ये पाइप तीसरी जीवन रेखा बन गए, क्योंकि चूहे खनिक इनके माध्यम से आसानी से सुरंग खोद सकते थे।
उत्तरकाशी टनल में रैट माइनर्स ने इस तरह कार्य को अंजाम दिया
रैैट माइनर्स ने 800 मिमी पाइप में प्रवेश किया और ड्रिलिंग करते रहे। वे बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर एक छोटे फावड़े की मदद से हाथ से ही खुदाई करते। वह ट्रॉली से एक बार में करीब ढाई क्विंटल मलबा लेकर बाहर आ पाते थे। पाइप के अंदर उन सभी के पास सुरक्षा के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और हवा के लिए ब्लोअर भी था।
रैट होल खनन क्या है?
रैट मतलब चूहा, बिल यानी छेद और खनन यानी खोदना। इसका मतलब साफ है कि चूहे की तरह छेद में घुसकर खोदना। इसमें पहाड़ के किनारे से एक पतला छेद करके खुदाई शुरू की जाती है और एक खंभा बनाकर एक छोटी हाथ की ड्रिलिंग मशीन से धीरे-धीरे ड्रिल किया जाता है और मलबे को हाथ से ही बाहर निकाला जाता है।
कोयला खनन में आमतौर पर रैट होल माइनिंग नामक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। रैट होल खनन झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर-पूर्व में बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन रैट होल खनन बहुत खतरनाक काम है, इसलिए इस पर कई बार प्रतिबंध लगाया गया है।
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