World Press Freedom Day 2023: जानिए क्‍यों भारत रैंकिंग में 8वें स्थान पर फिसला Read it later

World Press Freedom Day: आगामी हर साल की तरह 3 मई को दुनियाभर में विश्व प्रेस फ्रीडम दिवस मनाया जाएगा। लेकिन भारत के नजरिए से देखें तो इस साल प्रेस फ्रीडम की रैंकिंग में हमारे थोड़ी चिंता देने वाली है। (World Press Freedom Index 2023) दरअसल विश्व प्रेस फ्रीडम डे से पहले रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने दुनियाभर के देशों की प्रेस फ्रीडम रैंकिंग 2022 जारी की है । रैंकिंग में नार्वे ने पिछले बार की ही तरह इस बार भी पहला स्थान प्राप्त किया है वहीं भारत को 180 देशों में 150वां स्थान प्राप्त हुआ है। गौरतलब है कि भारत पिछली साल के मुकाबले 8 स्थान नीचे फिसला है। 2021 की रैंकिंग में (World Press Freedom Day. India ranked 142) भारत का स्थान 142 वां था। वहीं उत्तरी कोरिया आखिरी स्थान पर है।

रैकिंग में प्रेस की पांच तरह की स्वतंत्रता (World Press Freedom Day) को आधार बनाया गया है। पांचो क्षेत्रों में मिले अंकों के औसत के आधार पर देशों की रैंकिंग निर्धारित हुई है। इन आधार में प्रेस की राजनीतिक, आर्थिक, लेजिस्लेटिव, सामाजिक और सेकुलर स्वतंत्रता शामिल है।

 

अभी क्‍या है भारत की स्थिति

2022 में भारत को 41 अंकों के साथ 150वां स्थान मिला है जबकि 2021 की रैंकिंग में भारत को 53.44 अंकों के साथ 142वां स्थान मिला था। 2022 रैंकिंग में भारत राजनीतिक स्वतंत्रता में 40.76 अंकों के साथ 145 वें, आर्थिक स्वतंत्रता में 30.39 अंकों के साथ 149वें, लेजिस्लेटिव स्वतंत्रता में 57.02 अंकों के साथ 120वें, सामाजिक स्वतंत्रता में 56.25 अंकों के साथ 127वें और सेकुलर फ्रीडम में 20.61 अंकों के साथ 163वें स्थान पर है।

 

नया फैक्टर- फेक न्यूज को भी नोटिस किया गया

इस बार की रैंकिंग में (Freedom of the press) प्रेस फ्रीडम, सरकारी दखलअंदाज और मीडिया की कार्यप्रणाली के अलावा सोशल मीडिया पर फैल रही फेक न्यूज औऱ उसके प्रभाव पर भी ध्यान दिया गया है। रिपोर्ट में फेक न्यूज से लोकतंत्र के खिलाफ फैल रही अराजकता पर प्रकाश डाला गया है।

 

हैरानीः चीन की रैंकिंग में हुआ सुधार

सूचकांक में हैरान करने वाला स्थान चीन का है। तानाशाह शासन होने के बावजूद 2021 के मुकाबले चीन इस बार दो स्थान आगे बढ़ गया है। हालांकि चीन अब भी भारत से नीचे है और 175वें स्थान पर है, 2021 में इसका स्थान 177 वां था। वहीं अफगानिस्तान की स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ गई है। 2021 में जहां अफगानिस्तान 59.81 अंक के साथ 122 वें स्थान पर था वहीं 2022 में 38.27 अंकों के साथ 156वें स्थान पर आ गया है।

 

पड़ोसी देशों से हम काफी बेहतर स्थिति में

भारत की स्थिति पिछले साल से बिगड़ी है लेकिन पड़ोसी देशों से हमारी स्थिति कहीं बेहतर है। चीन 175वें, पाकिस्तान 157वें, बांग्लादेश 162वें, म्यांमार 176वें और अफगानिस्तान 156वें स्थान पर है और सभी भारत से पीछे हैं। पड़ोसी देशो में नेपाल 76वें और श्रीलंका 146वें स्थान पर है।

 

2021 के मुकाबले 2023 में प्रेस की स्‍वतंत्रता में आई गिरावट

रैंकिंग में सभी देशों को पांच अलग अलग स्थितियों में बांटा गया है। सबसे पहले अच्छी स्थिति में 8 देश हैं, इसके बाद संतोषजनक स्थिति में 40 देश, प्रॉब्लमेटिक स्थिति में 62, कठिन स्थिति में 42 व बहुत ज्यादा सीरियस स्थिति में 28 देश हैं। वहीं अगर 2021 में अच्छी स्थिति में 12 देश, संतोषजनक स्थिति में 36 देश, प्रॉब्लमेटिक स्थिति में 59 देश, कठिन स्थिति में 52 देश व बहुत ज्यादा सीरियस स्थिति में 21 देश थे।

आंकड़ों से साफ है कि दुनियाभर में प्रेस स्वतंत्रता इस साल संकट में रही है। अच्छी और संतोषजनक स्थिति में देशों की संख्या कम हुई है वहीं कठिन और गंभीर स्थिति में देशों की संख्या बढ़ी है।ऐसे में जाहिर है कि लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता में गिरावट आई है।

 

सबसे ज्यादा अंकों वाले 10 देश

1. नॉर्वे – 92.65
2. डेनमार्क – 90.27
3. स्वीडन – 88.84
4. एस्टोनिया – 88.83
5. फिनलैंड – 88.42
6. आयरलैंड – 88.3
7. पुर्तगाल – 87.07
8. कॉस्टा रिका – 85.92
9. लिंकटेस्टाइन – 84.03

 

सबसे कम अंक वाले 10 देश

170. फिलीस्तीन – 28.98
171. सीरिया – 28.94
172. इराक – 28.59
173. क्यूबा – 27.32
174. वियतनाम – 26.11
175. चीन – 25.17
176. म्यांमार – 25.03
177. तुर्कमेनिस्तान – 25.01
178. ईरान – 23.22
179. ऐरीट्रिया – 19.62
180. उत्तरी कोरिया – 13.92

 

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