उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनने पर प्रधानमंत्री ने धनखड़ को बधाई दी। (Photo: Twitter@narendramodi) |
NDA की तरफ से पश्चिम बंगाल के तेजतर्रार राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) उपराष्ट्रपति पद (Vice Presidential candidate) के उम्मीदवार होंगे। बता दें कि धनखड़ राजस्थान के झुंझुनू से ताल्लुक रख्तो हैं। दिल्ली में बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में ये निर्णय लिया गया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने धनखड़ के नाम का ऐलान किया। बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई नेता व मंत्री शामिल थे।
धनखड़ के एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप चयन के बाद, पीएम मोदी ने ट्वीट किया, “खुशी है कि जगदीप धनखड़ हमारे (एनडीए के) उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। मुझे यकीन है कि वे राज्यसभा में एक उत्कृष्ट अध्यक्ष अध्यक्ष होंगे और राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सदन की कार्यवाही का मार्गदर्शन करेंगे।” वहीं धनखड़ ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया।
“I am sure that he will be an outstanding Chair in the Rajya Sabha & guide the proceedings of the House with the aim of furthering national progress,” further adds Prime Minister Narendra Modi, after West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar was elected as NDA’s VP candidate pic.twitter.com/hJDjcAfJUZ
— ANI (@ANI) July 16, 2022
धनखड़ राजस्थान के जाट नेता, चंद्रशेखर और वीपी सिंह सरकार में मंत्री रहे
बीजेपी के जाट नेता राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं। (Who is Rajdeep dhankar?) 70 वर्षीय जगदीप धनखड़ को 30 जुलाई 2019 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की ओर से बंगाल के 28वें राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 1989 से 1991 तक राजस्थान के झुंझुनू से लोकसभा सांसद थे। वह वीपी सिंह और चंद्रशेखर की केंद्र सरकार में 1989 से 1991 तक मंत्री भी रहे।
पैतृक गांव किठाना में नहीं रहा खुशी का ठिकाना
राजस्थान के झुंझुनू में जन्में धनखड़ के नाम की घोषणा के साथ ही चिड़ावा कस्बे के उनके पैतृक गांव किठाना में लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। (Rajdeep dhankar Born In Jhunjhunu’s Kithana Village) किठाना में लोगों ने मिठाई खिलाकर धनखड़ परिवार का मीठा करा कर अपनी खुशी का इजहार किया।
इस मौके पर जगदीप धनखड़ के भतीजे व्यवसायी महेंद्र धनखड़ ने कहा कि उनका जिले झुंझुनू और राजस्थान से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए चुना जाना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। इस खबर के पता चलने के बाद हम गर्व महसूस कर रहे हैं, परिवार और गांव में खुशी की लहर है।
गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के शेखावाटी संभाग के झुंझुनूं से हैं। जिले की चिड़ावा तहसील के किठाना गांव में गोकुलचंद धनखड़ के घर उनका जन्म हुआ। बचपन से ही वे कुशाग्र बुद्धि के रहे।
शुरुआती शिक्षा गांव की सरकारी स्कूल में लेने के बाद चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से पढ़ाई की। वहीं कॉलेज शिक्षा राजस्थान यूनिवर्सिटी से पूरी की। धनखड़ ने इसी यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। इसके बाद वे वकालत की प्रेक्टिस करने लगे।
राजस्थान हाई कोर्ट में कई साल वकालत की
धनखड़ ने कई वर्षों तक राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की और 1986 में राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद 1989 में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा पहुंचे। उन्हें 21 अप्रैल 1990 से 5 नवंबर 1990 तक केंद्रीय संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर भी मिला। उन्होंने 1991 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा, लेकिन चुनाव हार गए।
धनखड़ का सलेक्शन IIT, NDA व IAS के लिए हुआ। लेकिन उन्होंने वकालत के पेशे को ही चुना। फोटोः सोशल मीडिया। |
राजस्थान ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद पर भी सेवाएं दी
धनखड़ ने अजमेर किशनगढ़ से 1993 का विधानसभा चुनाव भी जीता और राजस्थान विधान सभा के सदस्य रहे। वे ICC यानी इंटरनेशनल कोर्ट काउंसिल के सदस्य भी हैं और राजस्थान ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं वे कई सामाजिक संस्थाओं और ट्रस्टों से जुड़कर समाज सेवा के कार्य में लगे रहते हैं।
बता दें कि धनखड़ का सलेक्शन IIT, NDA व IAS के लिए हुआ। लेकिन उन्होंने वकालत के पेशे को ही चुना। इसके बाद 1989 में जनता दल से सांसद का चुनाव लड़कर रिकॉर्ड वोटों से जीते। वे कांग्रेस में भी रह चुके हैं। 2003 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की।
ममता और धनखड़ की कई बार हुई तकरार
बंगाल का राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच कई बार तकरार हो चुकी है। उन्होंने बंगाल चुनाव के बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा के लिए सीधा ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया। 21 जून 2021 को उत्तर बंगाल के अपने दौरे के दौरान उन्होंने कहा था कि लोगों की हत्या की जा रही है…। ऐसे में मैं गवर्नर हाउस में नहीं बैठने वाला हूं…।
जगदीप धनखड़ ने शनिवार सुबह ही पीएम नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की थी। (Photo: Twitter@narendramodi) |
PM की बैठक में शामिल नहीं होने पर ममता को कहा था झूठा
जगदीप धनखड़ ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को झूठा बताया था। यास तूफान से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में एक बैठक की थी। ममता वहां नहीं पहुंची। धनखड़ ने ट्वीट किया था- ममता बनर्जी ने 27 मई को रात 11.15 बजे मुझे मैसेज किया था।
उन्होंने कहा कि क्या मैं अभी आपसे बात कर सकती हूं…? थोड़ा अर्जेंट है…। धनखड़ ने कहा था कि ममता ने फोन पर इशारा दिया था कि वे और उनके अधिकारी पीएम की बैठक में नहीं जाएंगे। धनखड़ ने इसके बाद कहा था कि ममता का अहंकार जनता की सेवा पर हावी हो गया। झूठे बयानों से मजबूर होकर मैंने पूरा रिकॉर्ड सामने रखा है। इस पर उन्होंने बैठक से गायब होने का जो कारण बताया वह गलत है।
TMC ने की थी धनखड़ को पद से हटाने की मांग
धनखड़ और टीएमसी के बीच चल रहा टकराव इतना बढ़ गया था कि पिछले साल दिसंबर में 5 सदस्यीय टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात कर उन्हें हटाने की सिफारिश की थी। टीएमसी ने कहा था- संविधान के अनुच्छेद 156 की उप-धारा 1 के तहत हमने राज्यपाल को हटाने की अपील की है, क्योंकि उन्होंने पद पर रहते हुए संविधान का पालन नहीं किया। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी नहीं माना गया, लेकिन उन्हें हटाया नहीं गया।
TMC ने धनखड़ पर अपने रिश्तेदारों को ओएसडी बनने पर भी सवाल खडे किए थे
TMC ने जगदीप धनखड़ पर रिश्तेदारों को राजभवन में ओएसडी लगाने का आरोप लगाया था। तृणमूल ने कहा था कि राजभवन भाजपा कार्यालय में तब्दील कर हो गया है। जनता के पैसे से खाना-पीना चल रहा है। जैसे जैस रात होती है वैसे ही उनके ट्वीट भी बढ़ते हैं। वे राजभवन में व्यापारियों से मिलते हैं। उन्होंने अपने पद की गरिमा को खो दिया है। पूरा राज्य जानता है कि वे बंगाल में बीजेपी के एजेंट बनकर काम कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते धनखड़ हमेशा ममता सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं। फोटोः ANI |
बंगाल में ममता और धनखड़ का रहा है 36 का आंकड़ा
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने 2021 में आईपीएस वीरेंद्र की डीजीपी पद पर नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे, उन्होंने इसकी रिपोर्ट मांगी थी।
हावड़ा में हिंसा पर भी दिखाए थे तेवर : नूपुर शर्मा के बयान के बाद बंगाल में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं घटित हुईं थी। इसके बाद राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने ट्वीट किया था कि पश्चिम बंगाल की बिगड़ती कानून व्यवस्था से चिंतित हूं। उन्होंने लिखा था पश्चिम बंगाल के निष्क्रिय मुख्य सचिव, बंगाल पुलिस और कोलकाता पुलिस, दुर्भाग्य से कानून का उल्लंघन करने वालों का सपोर्ट कर रहे हैं।
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नकवी को उम्मीदवार बनाने के कयाल लगाए जा रहे थे
इससे पहले 6 जुलाई को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। उनका राज्यसभा का कार्यकाल गुरुवार, 7 जुलाई को खत्म हुआ था। इस्तीफे के बाद नकवी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे थे। क्योंकि राज्यसभा चुनाव में नकवी को बीजेपी ने नॉमिनेट नहीं किया था, ऐसे में चर्चा थी कि पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देना चाहती है।