Rajasthan CM Race: राजस्थान में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद अब नतीजों का इंतजार है कि राज्य की कमान किसे मिलेगी। (Rajasthan CM Race 2023) इसके लिए जयपुर से लेकर दिल्ली तक कोशिशें चल रही हैं। राज्य में सीएम चेहरे के तौर पर कई नामों पर चर्चा चल रही है। सीएम पद की रेस में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से लेकर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नवनिर्वाचित विधायक दीया कुमारी और बाबा बालकनाथ तक के नामों की चर्चा है।
बीजेपी में राजस्थान सीएम पद के कितने दावेदार हैं? (Rajasthan CM Race)
असल में रविवार को आए विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजों में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ 115 सीटों पर जीत हासिल की है। अब इन नतीजों के बाद राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं। पहला दावा तो वसुंधरा राजे का ही है, क्योंकि उनके पास दो बार प्रदेश का मुख्यमंत्री होने का अनुभव है। सीएम के दो अन्य चेहरे राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया चुनाव हार चुके हैं।
अब बचे हुए चेहरों में अर्जुन राम मेघवाल, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी प्रमुख हैं, लेकिन दीया कुमारी, बालकनाथ के नाम भी गाहे बगाहे चर्चा में आ रहे हैं। वहीं किरोड़ी लाल मीणा, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अश्विनी वैष्णव, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, ओम माथुर, पूर्व संगठन मंत्री प्रकाश चंद के नामों पर भी दिल्ली में मंथन चल रहा है।
दरअसल राजस्थान से लेकर दिल्ली तक के सियासी हल्कों में राजस्थान के सीएम चेहरे के लिए इनके नामों की चर्चा हो रही है। इसके लिए सब अपने-अपने तर्क और दावे कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ये जो सीएम की दौड़ में बहुचर्चित नेता हैं ये किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से लगभग बचते नजर आ रहे हैं। इन चेहरों के समर्थक भी इन्हें सीएम चेहरा बनाने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी आलाकमान ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, माना जा रहा है कि यूपी की तरह यहां भी सीएम का नाम चौंकाने वाला हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम चर्चा में
केंद्रीय मंत्री और जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान में पीएम मोदी का पसंदीदा नेता माना जाता है। 2018 में उन्हें राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया। तब माना जा रहा था कि बीजेपी शेखावत को 2018 में ही सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने की तैयारी में है। लेकिन फिर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को विधायकों के साथ दिल्ली कूच करने और शेखावत को अध्यक्ष बनाने का फैसला पार्टी को पलटना पड़ा। इसके बाद 2020 में जब सचिन पायलट की बगावत के कारण गहलोत सरकार संकट में थी, तब भी शेखावत ही मोर्चे पर डटे थे। माना जा रहा था कि अगर गहलोत सरकार गिरी तो शेखावत के नेतृत्व में बीजेपी राजस्थान में अपनी सरकार बना सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के बेटे को हराया था
शेखावत ने 2019 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत बड़े अंतर से हराया था। यह तब हुआ जब गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए खुद उन्होंने जोधपुर की हर गली में घूम-घूम कर अपने बेटे के लिए प्रचार किया था। इसके बाद भी वे अपने बेटे को संसद तक नहीं पहुंचा पाए। इसके बाद से ही राजस्थान की राजनीति में गहलोत बनाम शेखावत का दौर चलता आ रहा है। वहीं गहलोत ने शेखावत को सरकार गिराने की साजिश और संजीवनी चिटफंड मामले के आरोपों में घेरकर मुद्दा बना दिया था। उधर, शेखावत ने दिल्ली में गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। वहीं पीएम मोदी भी शेखावत के पीछे खड़े रहे। शेखावत को संघ की भी पसंद माना जाता है। संघ की सीमा कल्याण समिति के प्रमुख के रूप में सीमावर्ती क्षेत्रों में काम किया है। लेकिन राजपूत समुदाय के चेहरे को सीएम चेहरा बनाने से बीजेपी को जाटों का समर्थन खोने का खतरा भी है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, वसुंधरा के हैं कट्टर विरोधी, दोनों हाड़ौती से
कोटा सांसद ओम बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर बेहतरीन काम किया है। (Rajasthan CM Race) उन्हें राजस्थान में वसुंधरा राजे का कट्टर विरोधी माना जाता है। बिड़ला उसी कोटा संभाग यानी हाड़ौती से हैं जहां से वसुंधरा राजे हैं। राजस्थान की राजनीति में जाट बनाम राजपूत की स्थिति को रोकने के लिए ओम बिड़ला के नाम पर विचार किया जा सकता है। बिड़ला वैश्य वर्ग से हैं। ऐसे में वे ताकतवर जातियों जाट, राजपूत, मीना और गुर्जर के बीच संतुलन बना सकते हैं। अगर बिड़ला को सीएम बनाया जाता है तो किसी भी ताकतवर जाति का वोट बैंक खिसकने का खतरा कम है। बीजेपी में बिड़ला के संवाद और संपर्क अच्छे माने जाते हैं। लेकिन बिड़ला को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समर्थन मिलने पर संदेह है।
दलित चेहरा मेघवाल भी दौड़ में
बीजेपी ने दलित चेहरे के तौर पर अर्जुनराम मेघवाल को आगे किया है। बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री मेघवाल को पीएम मोदी का भरोसेमंद भी माना जाता है। हाल ही में उन्हें कानून मंत्रालय की कमान भी सौंपी गई थी। बाबा बालकनाथ राजस्थान प्रदेश में नाथ संप्रदाय से जुड़े एक प्रसिद्ध महंत हैं। उनकी छवि एक हिंदू नेता की है। जबकि दीया कुमारी राजसमंद से सांसद हैं। वह युवा चेहरे वाली हैं और जयपुर के पूर्व शाही परिवार की सदस्य भी हैं। पिछले कुछ समय से उन पर बीजेपी का भरोसा कुछ हद तक बढ़ा है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। राजस्थान में पार्टी की कमान उनके पास है। ओम माथुर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके हैं। राजस्थान की राजनीति पर उनकी अच्छी पकड़ भी बताई जा रही है। वह लंबे समय तक गुजरात के प्रभारी भी रहे हैं।
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