Maa Mundeshwari: रक्तहीन बलि- यहां मां के समक्ष स्वतः बेहोश हो जाता है बकरा‚ पूजा के बाद पुन: लौट जाता है‚ जानिए क्या है लीला Read it later

Navratri special Maa Mundeshwari Devi Temple History Interesting Facts
Photo | Social Media 

 

Navratri special Maa Mundeshwari Devi Temple History Interesting Facts : नवरात्रा के अवसर पर हम आपको एक मंदिर में मां को अर्पित की जाने वाली बकरे की अनोखी बलि से रूबरू करा रहे हैं जो पूरी तरह से रक्तहीन कही जा सकी है। न कोई गर्दन काटना और न ही किसी तरह की रक्त की धार कुछ नहीं। ये अनोखी बली चढ़ती है  मुंडेश्वरी माता मंदिर में हैं, नवरात्रि के दिनों में यहां खासी भीड़ रहती है।

जिन भक्‍तों की इच्छा पूर्ण होती है वे अपने साथ बलि के लिए बकरा लेकर यहां पहुंचते हैं। नवरात्रि में यहां माता के चरणों में बलि दी जाती हैं। श्रद्धालुगण माता के जयकारे के साथ गर्भगृह में पहुंचते हैं। भक्त अपने साथ लाए बकरे को बलि के लिए पुजारी को देते हैं।

 पंडित ने बकरे को उठाते हैं और बकरा स्वतः ही धीरे धीरे अचेत होने लगता है। पुजारी बलि के लिए माता के सामने बकरे को रखते हैं। कुछ मंत्र पढ़ते हैं और जोर से माता का जयकारा लगाते हैं, इस दौरान सभी भक्त भी साथ जयकारा लगाते हैं। बकरे को माता के चरणों में लिटा कर पुजारी लगातार मंत्र पढ़ते रहते हैं। कुछ सेकेंड्स के भीतर बकरा बेहोश हो जाता है।

फिर कुछ मिनट तक अचेत ही पड़ा रहता है जैसे गहरी नींद में सो रहा हो।  फिर पुजारी कुछ देर बाद फिर से माता का जयकारा लगाते हैं और मां की प्रतिमा को को छूकर एक पुष्पहार लेकी मंत्र पढ़ते है और बकरे से छुआते हैं‚ इसी दौरान बेहोश पड़ा बकरा जाग जाता है। पुजारी बकरे को उठाकर उसे पुनः उस श्रद्धालु को लौटा देते हैं, जो बकरे को लेकर आता है। बस यही है रक्तहीन बलिǃ ना बकरे की गर्दन धड़ से अलग की गई, न कोई खून बहा।

 

Navratri special Maa Mundeshwari Devi Temple History Interesting Facts
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5वीं शताब्दी में बना बतया जाता प्राचीन मंदिर

ये अपनी तरह की हैरान करने वाली बलि है बिहार प्रदेश के भभुआ के मुंडेश्वरी माता मंदिर में चढाई जाती है। पटना से ये मंदिर 200 किमी दूर सासाराम के बाद आता है। ये मंदिर इसलिए भी विशेष पहचान रखता है क्यों कि अपने आर्किटेक्ट के लिहाज से ये संभवतः भारत का सबसे पुराना मंदिर है। इसे 5वीं शताब्दी के करीब का बताया जाता है। ये मंदिर अपने इतिहास के साथ ही यहां होने वाली रक्तहीन बलि के लिए भी पहचान रखता है। इसं मंदिर में बलि के नाम पर बकरे की जान नहीं ली जाती। बस मंत्रों से कुछ देर के लिए बेहोश कर दिया जाता है। और इसे ही बलि के तौर पर माना जाता है।

इस मंदिर में बकरे की दी जाती है बलि,फिर भी रहता है जिंदा… | Maa Mundeshwari Devi Mandir Mystery https://t.co/IHKwW1IF2y pic.twitter.com/mbaq0L6qBG

— Next9Bhojpuriya (@next9bhojpuriya) October 26, 2017

 

600 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है प्राचीन मंदिर

बिहार की राजधानी पटना से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर मां मुंडेश्वरी का मंदिर है। जो कि कैमूर जिले के भभुआ मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर भगवानपुर प्रखंड स्थित रामपुर पंचायत में पनवारा पहाड़ी पर है। यह पहाड़ी 600 फीट ऊंची है। नीचे से मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। पहली सीढ़ियों से, दूसरी घुमावदार सड़क से, जो 524 फीट की ऊंचाई तक जाती है। इन दोनों रास्तों के बाद फिर सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक जाती हैं।

मंदिर प्रतिदिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है। दो साल के कोरोना काल के बाद इस नवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। बिहार के साथ-साथ यूपी से भी भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

 

 

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