Shani Amavasya Special: शनिश्चरी अमावस्या पर इस उपाय से कर्मफल दाता होंगे मेहरबान, तो भूलकर भी न करें ये काम Read it later

Shanishchari Amavasya Upay: वैशाख माह की अमावस्या तिथि 30 अप्रैल दिन शनिवार को है। शनिचरी अमावस्या (Shani Amavasya) कृष्ण पक्ष की उस अमावस्या को कहा जाता है जो शनिवार के दिन पड़ती है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व है और ये बेहद प्रभावी माना जाता है। यानि इस दिन जातक यदि इससे जुड़ा उपाय करते हैं तो शनिदेव (Shani Dev) जल्दी प्रसन्न होते हैं और जीवन में जल्दी सबकुछ ठीक होता है।

जिन जातकों पर शनि की महादशा (Astrology) चल हो उनके लिए यह शनिश्चरी अमावस्या अति लाभदायक मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से शनि की महादशा के प्रभाव से बचा जा सकता है। यदि आप शनि देव को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और साथ ही अपने पितरों को भी प्रसन्न करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कुछ उपायों ​को आप कर सकते हैं।  इन उपायों को करने से शनि देव की कृपा तो मिलती है। साथ ही पितृ भी प्रसन्न होते हैं। उनकी प्रसन्नता से मान सम्मान, सुख-समृद्धि, धन-वैभव आदि की प्राप्ति होती है।

Shani Amavasya 2022 Upay

 

शनिचरी अमावस्या को क्या करें जरूरी उपाय? ( Shani Amavasya ke Upay)

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिचरी अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन स्नान और दान करने से बेहद लाभदायी फल प्राप्त होता है और धनलाभ में वृद्धि होती है।

 

  • शनिश्चरी अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और वे मान सम्मान व धन वैभव की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

 

  • पितृ दोष से मुक्ति के लिए आप शनिचरी अमावस्या के दिन अक्षत और दूध की खीर बनाकर इसे गाय के गोबर के बने कंडे के जलते हुए उपले पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगा कर पितृों से सुख समृद्धि की प्रार्थना करें। इसस आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होंगी।

 

  • पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • शनिश्चरी अमावस्या के दिन स्नान के बाद गरीब और जरूरत मंद लोगों को दान देना उत्तम फलदायी होता है।

 

पीपल के पेड़ पर दीपक ऐसे जलाएं

  • सूर्यास्त के बाद ऐसे पीपल के पास दीपक जलाएं। मान्यता है कि पीपल का पेड़ साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप है।
  • वहीं शनिदेव को तेल अर्पित करें और पूजन करें।
  • पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और पूजा करें इसके बाद सात परिक्रमा लगाएं।
  • इसके अलावा शनिवार सुबह-सुबह स्नान आदि कर्मों से निवृत्त होकर तेल का दान करना चाहिए।
  • हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल भी चढाएं।
  • शनि के बुरे असर से निजात पाने का अच्‍छा तरीका है कि संकटमोचर हनुमान की पूजा-उपासना की जाए। लिहाजा शनिश्चरी अमावस्या पर हनुमान मंदिर जाकर बजरंगबली को​ सिंदूर का चोला चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।

 

Shani Amavasya Special

 

 

शनिचरी अमावस्या शुभ मुहूर्त

शनिचरी अमावस्या शुरुआती तिथि – 29 अप्रैल को देर रात 12:57 मिनट

शनिचरी अमावस्या समापन तिथि – 30 अप्रैल दिन शनिवार देर रात 1:57 मिनट

शनिचरी अमावस्या 30 अप्रैल को होगी

शनिचरी अमावस्या के दिन प्रीति योग – 30 अप्रैल को दोपहर बाद 3:20 मिनट तक

शनिचरी अमावस्या के दिन अश्विनी नक्षत्र – 30 अप्रैल को रात 8:13 मिनट तक

 

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शनि अमावस्या के दिन ये चीजें भूलकर भी न करें

  • धार्मिक मान्यता के अनुसार शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन बाल दाढ़ी या नाखून नहीं काटना चाहिए। दरअसल ऐसा करने से शनि दोष लगता है। साथ ही शनि देव नाराज होते हैं।

 

  • माना जाता है कि इस दिन किसी भी भूखे व्यक्ति या जरूरतमंदों को घर से खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए। मान्यता है कि इस जरुरतमंदों की मदद करने से शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

  • शनि अमावस्या के दिन यदि कोई दिव्यांग या असहाय मदद के लिए गुहार लगा रहा हो तो उसकी अनदेखी या उसे लज्जित ना करें, बल्कि उसकी मदद करें। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।

 

  • शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन मदीरापान, जुआ, चोरी, व्याभिचारिता जैसे बुरे कर्मों में बिल्कुल दूर रहना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि की कुदृष्टि पड़ती है। जिससे जीवन में तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

 

  • शनि अमावस्या के दिन अपने से बड़े, माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों, गुरुजनों का अपमान ना करें। साथ ही उनके साथ किसी प्रकार का द्वेष भाव ना रखें। माना जाता है कि ऐसा करने से शनि देव कुपित हो जाते हैं।

 

  • इस दिन कुत्ते, गाय, घोड़े या अन्य जीव जंतुओं को नुकसान न पहुंचाएं, क्योंकि ऐसा करने पर शनि देव के क्रोध का भागी बनना पड़ सकता है। इसके अलावा व्यभिचार, दुराचार, दुर्व्यवहार जैसे बुरे कर्मों से दूर रहें। इसके अलावा ऐसे लोगों से भी दूर रहें।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। उपरोक्त उपायों और पूजन की सटीक जानकारी के लिए संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लेवें।)

 

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