Maghi Purnima 2025: इस वर्ष माघी पूर्णिमा 12 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह तिथि माघ मास की अंतिम पूर्णिमा होती है और इसका धार्मिक महत्व बेहद विशेष है।
इस दिन प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर पुण्य स्नान के लिए एकत्रित होते हैं। यह दिन न केवल स्नान, दान और तपस्या के लिए शुभ माना जाता है, बल्कि पितृ तर्पण और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
माघी पूर्णिमा 2025 का शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि शुरू: 11 फरवरी 2025, रात 10:30 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 फरवरी 2025, रात 8:45 बजे
- स्नान-दान का शुभ मुहूर्त: 12 फरवरी को सूर्योदय से दोपहर 12:00 बजे तक सबसे उत्तम
माघी पूर्णिमा पर स्नान का महत्व
- गंगा स्नान: प्रयागराज, हरिद्वार, वाराणसी, उज्जैन और नासिक में गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
- संगम स्नान: माघ मास में प्रयागराज संगम पर स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- अन्य पवित्र नदियाँ: नर्मदा, शिप्रा, गोदावरी, यमुना में स्नान भी अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है।
जो लोग तीर्थ स्नान नहीं कर सकते, वे घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और दान करें।
माघी पूर्णिमा की प्रमुख धार्मिक मान्यता
- देवताओं का संगम स्नान: मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता मनुष्य रूप में प्रयाग संगम में स्नान करने आते हैं।
- कल्पवास का समापन: माघ मास में संगम किनारे ठहरने वाले कल्पवासी इस दिन अपने अनुष्ठान समाप्त करते हैं।
- पितृ तर्पण: पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और विशेष पूजा का विधान है।
Maghi Purnima 2025: स्नान, व्रत, और दान का पावन अवसर
इस दिन गंगा, यमुना, और संगम स्नान का विशेष महत्व है, खासकर प्रयागराज में, जहां लाखों श्रद्धालु पुण्य स्नान के लिए जुटते हैं।
स्नान का महत्व
माघी पूर्णिमा पर स्नान से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। जो लोग तीर्थ नहीं जा सकते, वे घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
व्रत और पूजा विधि
इस दिन व्रत रखना, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना, और सत्यनारायण कथा का पाठ शुभ माना जाता है।
दान और तर्पण का महत्व
तिल, गुड़, कंबल, और अन्न का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, पितरों के लिए तर्पण करना आवश्यक है।
Maghi Purnima 2025 आध्यात्मिक जागृति और पुण्य कमाने का अद्भुत अवसर है।
माघी पूर्णिमा पर क्या करें?
1️⃣ स्नान और अर्घ्य:
- सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करें।
- स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
2️⃣ व्रत और उपवास:
- इस दिन व्रत रखने से विशेष पुण्य मिलता है।
- व्रत में तिल, फल, और हल्के भोजन का सेवन करें।
3️⃣ दान-पुण्य:
- तिल, चावल, गुड़, कंबल, अन्न और वस्त्र का दान करें।
- गाय, ब्राह्मण, और जरूरतमंदों को भोजन कराना भी शुभ है।
4️⃣ पितृ तर्पण और श्रद्धा:
- दोपहर में पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें।
- उपलों के अंगारों पर गुड़ और घी अर्पित करें।
5️⃣ विशेष पूजा विधि:
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अभिषेक करें।
- तुलसी के पत्ते और मिठाई का भोग लगाएं।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
माघी पूर्णिमा पर पाठ और अनुष्ठान
- भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें और सुनें।
- हनुमान जी का चोला चढ़ाना या सिंदूर और चमेली के तेल का अभिषेक करें।
- हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
माघी पूर्णिमा पर क्या न करें?
- गंदे पानी में स्नान न करें।
- तामसिक भोजन और नशे से परहेज करें।
- क्रोध, आलस्य, और झूठ बोलने से बचें।
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