Cyber Alert: इन ऐप्‍स को तुरंत फोन से करें डिलीट, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान Read it later

Cyber Alert: जुलाई के पहले पखवाड़े में फीचर से जुड़ी कई खबरें चर्चा में रही। सबसे ज्यादा चर्चित चैटजीपीटी अब कमजोर पड़ने लगा है। वहीं ट्विटर को टक्कर देने के लिए थ्रेड्स ऐप मैदान में उतार आया है। वहीं अब लैपटॉप पर सीधे वाट्सऐप ओपन करने की नई सुविधा मिलेगी। साइबर अलर्ट (Cyber Alert) के चलते कुछ ऐप ऐसे हैं, जिससे आपका डेटा चोरी होने की आशंका है। इनके बारे में जानिए…

 

चैटजीपीटी यूजर्स में आई कमी

नवम्बर 2022 में यह ऐप लॉंन्च हुआ। द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार दस फीसदी यूजर्स की कमी आई है। यह रिपोर्ट सिमिलरवेब के एक एनालिसिस पर आधारित है। मार्च 2023 से इसके ग्रोथ रेट में कमी आना शुरू हुआ और मई में इसको और अधिक झटका लगा है।

लैपटॉप पर वाट्सऐप मोबाइल नम्बर से भी खुलेगा

यदि आप लेपटॉप व डेस्कटॉप में वाट्सऐप चलाते हैं तो आपको एक नई सुविधा मिलने वाली है। (Cyber Alert) इसमें अब आप मोबाइल नम्बर दर्ज कर लॉगिन कर सकते हैं। फिलहाल वाट्सऐप के वेब वर्जन पर लॉगिन करने के लिए यूजर्स को अपने स्मार्टफोन से क्यूआर कोड स्कैन करना पड़ता है।

टिवट्र को टक्कर देने आया थ्रेड्स ऐप

ट्विटर को मात देने थ्रेड्स ऐप आया है। ओपनिंग होते ही चौबीस घंटे के अंदर पांच करोड़ से अधिक यूजर ने इसे डाउनलोड किया। (Cyber Alert) ट्विटर व मेटा के बीच कानूनी जंग भी शुरू हो गई। इसे इंस्टाग्राम अकांउट से भी जोड़ सकते हैं। ग्रोथ का एक कारण यह भी इंस्टाग्राम के 235 करोड़ से अधिक एक्टिव यूजर हैं। थ्रेड्स के एक सप्ताह में दस करोड़ से अधिक यूजर रजिस्ट्रेड हुए हैं। थ्रेड्स ने दस करोड़ का आंकड़ा पार करने में चैटजीपीटी व टिक टॉक को भी पीछे छोड़ दिया हैं। चैटजीपीटी ने दो माह में और टिक टॉक ने नौ माह में दस करोड़ का आंकड़ा छुआ था।

 

तुरंत डिलीट कर दें ये दो एप

मोबाइल सिक्योरिटी कंपनी pradeo ने दो एंड्राएड ऐप को डेटा चुराते पकड़ा है। (Cyber Alert) इनमें स्पाइवेयर पाया गया है। इनमें फाइल रिकवरी व डेटा रिकवरी और फाइल मैनेजर ये दोनों ऐप हैं। ये दोनों ऐप करीब दस लाख से अधिक यूजर्स ने डाउनलोड कर रखे हैं। सिक्योरिटी कंपनी के अनुसार फाइल मैनेजर ऐप चीन को निजी डेटा भेज रहा है।

Delete These Apps Now!

 

 

इसमें फोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट, ईमेल, सोशल नेटवर्क, मीडिया, रियल टाइम लोकेशन, नेटवर्क प्रोवाइडर का नाम, सिम प्रोवाइडर का नेटवर्क कोड और डिवाइस ब्रांड और मॉडल जैसी जानकारियां शामिल हैं। pradeo के एनालिटिक्स इंजन ने पाया है कि कई पर्सनल डिटेल यूजर की जानकारी के बिना इकट्ठा की जाती हैं।

 

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