Great Wall Of China: इस वजह से टिकी है चीन की दीवार Read it later

Great Wall Of China: ऐतिहासिक अजूबों में शामिल चीन की दीवार को लेकर एक हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि बायोक्रस्ट की वजह से चीन की दीवार के कुछ हिस्से अच्छी तरह से संरक्षित हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन की दीवार पर इस तरह के जीवित पदार्थों की एक परत ने उसे नुकसान पहुंचाने की जगह सुरक्षा प्रदान की है। बायोक्रस्ट हवा और बारिश से दीवार की सतह की मिट्टी को बचाने में मददगार रही। शोधकर्ताओं ने पाया कि दीवार पर जहां बायोक्रस्ट की परतें चढ़ी हुई हैं, उनमें साइनोबैक्टीरिया और काई की कई प्रजातियां शामिल हैं।

स्टडी में दीवार (Great Wall Of China) का 600 किमी हिस्सा शामिल

चीन, अमेरिका और स्पेन के शोधकर्ताओं ने यह पड़ताल की। साइंस एडवांस में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं की टीम ने चीन की विशाल दीवार के करीब 600 किलोमीटर लंबे हिस्से का अध्ययन किया, जिसमें सूखी जलवायु वाले हिस्से पर ज्यादा गौर किया गया। उन्होंने दावा किया है कि जीवित पदार्थों की यह परत एक तरह से दीवार के संरक्षण का काम कर रही है।

 

  • 1970 में आम पयर्टकों के लिए खोला गया इस दीवार को। कहते हैं यह दीवार अंतरिक्ष से भी दिखती है।
  • 21,196.18 किलोमीटर लंबी है हाल के सर्वेक्षण के अनुसार यह दीवार अपनी सभी शाखाओं सहित ।

बायोक्रस्ट क्या है, यह बचा रही चीन की दीवार (Great Wall Of China)

गौरतलब है बायोक्रस्ट वे जैविक पदार्थ हैं, जिनमें बैक्टीरिया, काई, फफूंद और अन्य छोटे पौधे शामिल होते हैं, जो किसी सतह पर उग आते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी दीवार जिसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ भी कहते हैं। यह अपनी लंबाई की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि यह विशाल दीवार मिट्टी और पत्थरों से बनी है। इस दीवार को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है। कहते हैं इस दीवार को बनाने में करीब 20 लाख मजदूर लगे थे, जिसमें से 10 लाख लोगों ने अपनी जान गवां दी थी।

अध्ययन में मिट्टी से लेकर रेत और कंकड़ की परतों तक की निर्माण सामग्री की जांच से विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए महान दीवार की अनुकूलनशीलता का पता चलता है, जिसमें गोबी रेगिस्तान जैसे शुष्क क्षेत्र भी शामिल हैं, जबकि दीवार के कई पुराने हिस्से, विशेष रूप से जो बने हैं ढकी हुई मिट्टी से बायोक्रस्ट के लक्षण दिखाई देते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ये जीवित कोटिंग्स प्राचीन संरचनाओं के संरक्षण या क्षरण में योगदान करती हैं।

 

Great Wall Of China या चीन की ये विशाल दीवार किसने और किस कारण से बनवाई

यह विशाल किले जैसी दिखने वाली दीवार मिट्टी और पत्थरों से बनी है, जिसे 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 16वीं शताब्दी तक चीन के विभिन्न शासकों ने बनवाया था। यानी इस दीवार का कार्य 1100 साल तक अलग-अलग शासकों ने अपने समय में करवाया।  इसे बनाने के पीछे का उद्देश्य उत्तरी ओर के हमलावरों से चीन की रक्षा करना था।

इसकी विशालता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसे अंतरिक्ष से भी आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि इस बात में भी संशय है कि यह दीवार अं‍तरिक्ष से दिखती है।  यह दीवार 6400 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती है, जो पूर्व में शांहाईगुआन से लेकर पश्चिम में लोप नूर तक फैली हुई है और इसकी कुल लंबाई लगभग 4160 मील है। हालाँकि, एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, यह दीवार अपनी सभी शाखाओं सहित 8,851.8 किमी लंबी है। (5,500.3 मील)।

 

Great Wall Of China
Photo: Pixabay

 

किन शासकों ने इन सभी दीवारों को जोड़ दिया

8वीं शताब्दी में, कुई, यान और झाओ राज्यों ने तीरों और तलवारों के हमलों से बचाने के लिए मिट्टी और कंकड़ से बनी ढली हुई ईंटों का उपयोग करके दीवारें बनाईं। ईसा से 221 वर्ष पूर्व चीन किन (Qin) साम्राज्य के अधीन आ गया। इस साम्राज्य ने सभी छोटे राज्यों को एकजुट किया और एक संयुक्त चीन का निर्माण किया।

इसके बाद क़िन साम्राज्य के शासकों ने सभी दीवारों को एक में मिला दिया जो चीन की उत्तरी सीमा बन गई। 5वीं शताब्दी के बाद से, कई दीवारें बनाई गईं, जिन्हें एक साथ चीन की महान दीवार कहा जाता था। 220-226 ईसा पूर्व चीन के पहले सम्राट किन शी हुआंग द्वारा बनवाई गई दीवार सभी दीवारों में सबसे प्रसिद्ध थी, लेकिन अब इस दीवार के कुछ ही अवशेष बचे हैं। इसे मिंग राजवंश द्वारा निर्मित वर्तमान दीवार के सुदूर उत्तर में बनाया गया था।

वहीं कहा जाता है कि मिंग राजवंश की सुरक्षा के लिए यहां 10 लाख से ज्यादा लोग कार्यरत थे और करीब 20 से 30 लाख लोगों ने इस महान दीवार के निर्माण प्रोजेक्ट में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. आज यह दीवार दुनिया में चीन का नाम ऊंचा करती है और 1980 से यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया है।

 

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