Sir Ganga Ram: पाकिस्तान के लाहौर शहर की स्थापना करने वाले प्रख्यात हिंदू परोपकारी और वास्तुकार सर गंगा राम की समाधि स्थल गुरुवार 08 जुलाई से आम जनता के लिए खोल दिया गया।
आपको बता दें कि कुछ स्थानीय लोगों की ओर से कब्जा करने के कारण उनके समाधि स्थल को लगभग एक दशक तक बंद कर दिया गया था। इस दौरान साल बीतते गए लेकिन किसी ने तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया और समाधि स्थल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो गया।
मेयो स्कूल जो सर गंगाराम ने बनवाया था (credit | wikimedia commons) |
करीब 5 साल पहले आखिरकार लाहौर के इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने कानूनी लड़ाई लड़ी और इस जगह को कब्जे से मुक्त कराकर दोबारा इसे बनवाया।
गंगाराम की समाधि पंजाब प्रांत के लाहौर में टक्साली गेट के पास स्थित है। |
जीर्णोद्धार का काम पूरा होने के बाद गुरुवार 08 जुलाई से इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया है। (Sir Ganga Ram in literature) ईटीपीबी यहां एक आर्ट गैलरी भी स्थापित कर रहा है, ताकि लोग लाहौर की ऐतिहासिक इमारतों और Sir Ganga Ram द्वारा डिजाइन किए गए उनके इतिहास से परिचित हो सकें। Sir Ganga Ram की समाधि लाहौर में टकसाली गेट के पास स्थित है।
Sir Ganga Ram |
पंजाब प्रांत वर्तमान में पाकिस्तानी इलाका के गांव मंगतांवाला के थे सर गंगाराम
सर गंगाराम (Sir Ganga Ram) अग्रवाल का जन्म 1851 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मंगतांवाला गांव में हुआ था। (Rai Bahadur Sir Ganga Ram Biography) उनके पिता दौलत राम मंगतांवाला में जूनियर सब-इंस्पेक्टर थे। गंगाराम ने अमृतसर के गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिक पास किया और 1869 में लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला लिया। साल 1871 में उन्होंने रुड़की के थॉमसन सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज में स्कॉलरशिप ली। (Indian civil engineer and architect Sir Ganga Ram) पढ़ाई पूरी करने के बाद गंगाराम ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में 1873 में सहायक अभियंता नियुक्त किया गया और शाही सभा के निर्माण में मदद के लिए दिल्ली बुलाया गया। सेवानिवृत्ति के बाद गंगाराम (Sir Ganga Ram) को ब्रिटिश दरबार में नाइटहुड सहित कई सम्मानों से भी नवाजा गया।
गंगा राम (Sir Ganga Ram) की देन हैं लाहौर की ऐतिहासिक इमारतें
उन्होंने लाहौर उच्च न्यायालय, लाहौर संग्रहालय, हेली कॉलेज ऑफ कॉमर्स, एटिसन कॉलेज, मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स जैसी कई प्रसिद्ध इमारतों को डिजाइन किया था। इतना ही नहीं आज जिस जमीन पर लाहौर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल बना है, वह गंगा (Sir Ganga Ram) की है। गंगाराम ने यह जमीन अस्पताल के लिए दान कर दी थी।
लाहौर का म्यूजियम |
बिजली संयंत्र भी स्थापित किया
उनके कार्यों में मोती बाग पैलेस, सचिवालय भवन, विक्टोरिया गर्ल्स स्कूल, लॉ कोर्ट और दर्जनों बड़े पुलिस स्टेशन शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने लाहौर में एक पावर प्लांट भी स्थापित किया, जो आज भी काम कर रहा है। 1927 में 76 वर्ष की आयु में सर गंगा राम का लंदन में निधन हो गया।
एचिसन कॉलेज‚ लाहौर (credit | wikimedia commons) |
महारानी विक्टोरिया के लिए बनाया था मंच तैयार, यहीं विक्टोरिया को भारत की महारानी घोषित किया गया
काम में उनके कौशल को देखकर, ब्रिटिश सरकार ने उन्हें दिल्ली दरबार के लिए एक एम्पीथियेटर (गोलाकार खुला मंच) बनाने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया। उन्होंने इसे तैयार किया और यहीं पर क्वीन विक्टोरिया को भारत की महारानी घोषित किया गया था। इसके बाद उन्हें रेलवे में सामरिक महत्व की अमृतसर-पठानकोट रेलवे लाइन पर काम करने का जिम्मा सौंपा गया। गंगाराम के काम से प्रभावित होकर भारत के गवर्नर जनरल जॉर्ज रॉबिन्सन ने उन्हें ब्रैडफोर्ड टेक्निकल कॉलेज में पढ़ने के लिए भेजा।
सर गंगाराम अस्पताल लाहौर ( Sir Ganga Ram Hospital in Pakistan) (credit | wikimedia commons) |
इन इमारतों को लाहौर में सर गंगाराम ने तैयार करवाया
इंग्लैंड से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, गंगाराम 1885 में इंग्लैंड से भारत लौट आए। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें दिल्ली सल्तनत और मुगलों की प्रांतीय राजधानी लाहौर को एक नया रूप देने का काम सौंपा। (the father of modern Lahore) गंगाराम ने लाहौर के रेनोवेशन के लिए इंडो-इस्लामिक वास्तुकला को चुना, जो पारंपरिक भारतीय वास्तुकला थी। गंगाराम ने मेयो स्कूल ऑफ इंडस्ट्रियल आर्ट्स (अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स) का डिजाइन और निर्माण किया। फिर उन्होंने एचिसन कॉलेज का निर्माण किया। गंगा राम ने लाहौर का डाक खाना और संग्रहालय भी तैयार किया। इसके बाद मॉडल टाउन और गुलबर्ग का डिजाइन गंगाराम की ओर से तैयार किया गया। ये दोनों स्थान आज आधुनिक लाहौर के प्रतीक हैं।
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