दुनियाभर में कोरोना से 1.5 करोड़ मौतें: WHO का भारत को लेकर ये चौंकाने वाला दावा! Read it later

 

WHO CORONA INDIA
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दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरुवार को (WHO  Released Figure on Corona) एक रिपोर्ट जारी की है। इस वर्ल्ड हेल्थ एजेंसी के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोना से लगभग 1.5 करोड़ लोगों की जान गई है, चौंकाने वाली बात ये है कि ऑफिशियल रिलीज डेटा से ये आंकड़ा 3 गुना ज्यादा है।

भारत के संदर्भ में देखें तो यहां कोरोना से 47 लाख मौतें होने का अनुमान है, जो दुनियाभर की मौतों का एक तिहाई है और ये ऑफिशियल आंकड़ों की तुलना में 10 गुना ज्यादा बताया जा रहा है।

WHO की रिपोर्ट में अप्रत्यक्ष इनडायरेक्ट मौतों का मतलब क्या है? समझिए

WHO ने महामारी के दौरान हुई मौतों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, दोनों तरह की मौतों को स्थान दिया है। यह आंकड़े जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 तक के हैं। ऑफिशियल आंकड़े विश्व में सिर्फ 54 लाख मौतों की जानकारी ही उपलब्ध कराते हैं।

रिपोर्ट में ऐसे मरीजों को भी काउंट किया गया है जिनकी मौत महामारी के दौरान अप्रत्यक्ष तौर से हुई थी। यानी, इसमें 95 लाख वे लोग भी शामिल किए गए हैं जो कोरोना वेव के दौरान दूसरी बीमारियों से पीड़ित थे, लेकिन उन्हें सही वक्त पर इलाज नहीं मिल पाया।  WHO की मानें तो महामारी से पहले भी दुनिया में हर 10 में से 6 लोगों की मौत दर्ज नहीं की गई।

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कोरोना से कम इनडायरेक्ट डेथ्स में चीन शामिल

WHO की रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के समय चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान और नॉर्वे जैसे देशों में इनडायरेक्ट तरीके से मौतें कम हुईं। जहां चीन में अब भी जीरो कोविड पॉलिसी अपनाई जा रही है, वहीं ऑस्ट्रेलिया में सख्त टेस्टिंग और आइसोलेशन फॉलो किया जाना भी जारी है। दूसरी ओर, वैज्ञानिकों को अफ्रीका के 54 देशों में से 41 देशों के रिकॉर्ड्स नहीं मिल सके हैं जिनपर पुख्ता आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकें।

भारत सरकार को WHO की रिपोर्ट पर शक

WHO का कहना है कि दुनिया में कोरोना से जो आधी मौतें दर्ज नहीं हुईं, वो तो केवल भारत से ही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी की वजह से देश में तकरीबन 47 लाख लोगों की मौत हुई थी। साथ ही ज्यादातर मौतें मई और जून 2021 में आई कोरोना लहर की पीक के दौरान हुईं थीं।

दूसरी ओर, भारत सरकार का ने कहा है कि जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 तक देश में सिर्फ 4 लाख 80 हजार मौतें ही हुईं। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार को WHO के आंकड़ों और मौतें गिनने के सिस्टम प्रॉसेस पर शक है। 

लेकिन इसके पहले भी हुई कई स्टडीज में कुछ ऐसे ही नतीजे देखने को मिले हैं। WHO ने कहा है कि भारत ने सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) 2020 के नाम से जो रिपोर्ट जारी की है, (WHO Figure Vs CRS Figure) फिलहाल उसका आकलन करने के बाद ही वे अपना जवाब देंगे।

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केंद्र के CRS के मुताबिक देश में 2020 में इलाज की कमी से सबसे ज्यादा मौतें

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की थी। (WHO Figure Vs CRS Figure) सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) 2020 के नाम से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में देश में कुल 81.16 लाख लोगों की मौतें हुई थी। इनमें से 45% लोगों को कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिल पाया था। इलाज के अभाव में यह अब तक की सबसे ज्यादा मौतें मानी जा रही हैं। 2019 में यह आंकड़ा देशभर में हुई मौतों का 34.5% था

बता दें कि साल 2020 की शुरुआत में कोरोना के चलते कई अस्पतालों के 80 से 100 फीसदी बेड रिजर्व किए गए थे। इस वजह से नॉन-कोविड मरीजों का इलाज नहीं हो सका। हालांकि, ये आंकड़े 2020 में अस्पताल में होने वाली मौतों की संख्या में गिरावट दिखाते हैं। इन मौतों का आंकड़ा 32.1% से घटकर 28% हो गया। यह आंकड़ा अब तक की सबसे तेज गिरावट का प्रतिनिधित्व करता है।

चिकित्सा सुविधाओं की कमी और अस्पतालों में होने वाली मौतों की संख्या में यह अंतर नया नहीं है। पिछले 10 वर्षों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। वहीं, चिकित्सा संस्थानों में होने वाली मौतों में तेजी से कमी आई है।

2011 में, केवल 10% मौतें चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण हुईं। हालांकि, उस दौरान केवल 67 फीसदी मौतें ही दर्ज की गईं। उस समय के दौरान संस्थानों में मौतों में वृद्धि हुई क्योंकि ये मौतें दर्ज की गईं। जैसे-जैसे मौतें दर्ज होने लगीं, वैसे-वैसे मौतों की संख्या भी बढ़ती गई।

दो साल में यह अंतर न के बराबर है

2017 और 2018 में, चिकित्सा सुविधाओं और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली मौतों की संख्या लगभग बराबर थी। ये आंकड़े देश भर में हुई कुल मौतों का एक तिहाई थे। शेष एक तिहाई मौतों का कारण क्या है, इसकी जानकारी दर्ज नहीं की जा सकी।

वर्ष 2019 में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में होने वाली मौतों की संख्या चिकित्सा संस्थानों में होने वाली मौतों से अधिक थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण 2020 में कमी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। प्रवृत्ति के अनुसार यह आंकड़ा 2021 में भी बढ़ेगी, क्योंकि एक बड़ी आबादी को महामारी के दौरान अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पाई थी।

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