A to Z Detail Tax Regime: जानिए न्‍यू या ओल्ड रिजीम कब है फायदेमंद Read it later

A to Z Detail Tax Regime:नौकरीपेशा लोगों को 30 अप्रेल तक यह तय कर अपने नियोक्ताओं को बताना है कि वे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नई या पुरानी, कौन सी टैक्स रिजीम चुन रहे हैं। ऐसा नहीं करने पर नियोक्ता नई टैक्स प्रणाली (New Tax Regime) के टैक्स स्लैब के मुताबिक कर्मचारियों की सैलरी से टीडीएस कटौती शुरू कर देंगे।

टैक्स एक्सपर्ट नितेश बुद्धदेव के अनुसार  7.5 लाख रुपए तक आय वाले नई टैक्स रिजीम चुनें। इसमें उन्हें जीरो टैक्स देना होगा। सालाना 7.5 लाख से अधिक आय वाले टैक्सपेयर सभी नफा-नुकसान का आकलन कर टैक्स रिजीम चुनें। इसमें टैक्स की दरें भी कम हैं। अगर सिर्फ 80सी के तहत टैक्स छूट का दावा करते हैं तो पुरानी टैक्स प्रणाली (OLD Tax Regime) आपके लिए नहीं है। 1.50 लाख तक टैक्स डिडक्शन क्लेम करने से पुरानी टैक्स प्रणाली में बात नहीं बनेगी।

10 लाख तक आय वाले लोग यदि 80सी के अलावा हैल्थ इंश्योरेंस, एनपीएस में निवेश के साथ एलटीए क्लेम करते हैं तभी पुरानी टैक्स प्रणाली फायदेमंद है। होम लोन वाले व एचआरए क्लेम वाले टैक्सपेयर पुरानी टैक्स प्रणाली में मिलने वाले डिडक्शन का अधिकतम फायदा उठा सकते हैं।

HRA कौन कर सकता है क्लेम

इसका फायदा केवल ऐसे नौकरीपेशा ले सकते हैं जिनकी सीटीसी में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) शामिल है।
बिजनेस ऑनर, प्रोफेशनल या सैलरीड लोग जिनकी सैलरी स्ट्रक्चर में एचआरए शामिल नहीं है, वे सेक्शन 80जीजी के तहत अधिकतम 60,000 रुपए एचआरए क्लेम कर सकते हैं।

 

कौनसा रिजीम आपके लिए फायदेमंद (A to Z Detail Tax Regime)
  • अगर सालाना आय 7.27 लाख रुपए तक है तो आपके लिए नई टैक्स रिजीम बेहतर है, क्योंकि इसमें कोई टैक्स नहीं देना होगा।
  • अगर आपने टैक्स बचाने के लिए निवेश नहीं किया है और न ही किसी तरह का डिडक्शन क्लेम करने की हालत में हैं, तो नई टैक्स रिजीम बेहतर है, क्योंकि टैक्स की दरें कम हैं।
  • टैक्स बचाने के लिए सिर्फ 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख की छूट (TaX Benefit) का ही लाभ लेने वाले हैं, तो भी नई टैक्स रिजीम बेहतर होगी, क्योंकि बेहतर स्लैब रेट का फायदा मिलेगा।
  • वेरी हाई इनकम ग्रुप यानी 5 करोड़ से ज्यादा सालाना आय वाले लोगों के लिए सरचार्ज की दर 37 से घटाकर 25 फीसदी कर दी गई है।
  • इस राशि से अधिक टैक्स छूट का दावा करते हैं तो ही चुनें ओल्ड रिजीम

7.5 लाख तक नई रिजीम में कोई टैक्स नहीं

              इनकम – ब्रेकइवेन
  • 08 लाख – 2,12,000
  • 09 लाख – 2,62,000
  • 10 लाख – 3,00,000
  • 11 लाख – 3,25,000
  • 12 लाख – 3,50,000
  • 13 लाख – 3,62,000
  • 14 लाख – 3,75,000
  • 15 लाख – 4,08,333
  • 15-5 करोड – 4,25,000
    (सभी आंकड़े रुपए में)
    टैक्स रिजीम न चुनने की स्थिति में कहीं नुकसान न उठाना पड़े इसलिए गणना के बाद यह फैसला जरूर करें।

यह भी जानिए…

ओल्ड रिजीम में कितनी टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं

80सी – 1.50 लाख रुपए तक
  • Health Insurance – 25,000 तक की छूट
  • Standard Deduction – 50,000 रुपए तक
  • 80डी (NPS) – 50,000 रुपए तक
  • LTA – 4 साल में दो बार कर सकते हैं दावा
  • सेक्शन 24 – होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपए तक की टैक्स छूट
  • HRA – यह सैलरी स्ट्रक्चर और किस शहर में रहते हैं उस पर निर्भर
    (होम लोन और एचआरए ही असली गेम चेंजर हैं जो 10 लाख रुपए से अधिक आय वालों के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम को बेहतर बनाते हैं)
पुरानी टैक्स प्रणाली

अगर 80सी के अलावा होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट का भी लाभ लेते हैं, तो आपके लिए पुरानी टैक्स रिजीम है। इसमें होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट पर 2 लाख रुपए तक की टैक्स छूट ले सकते हैं। इस होम लोन पर 3.5 लाख रुपए तक का टैक्स डिडक्शन मिलता है।

अब नए और पुराने दोनों रिजीम को भी समझ लें

न्‍यू रिजीम का टैक्‍स स्लैब (OLD Tax Regime)

न्‍यू टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
अगर वार्षिक वेतन 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है तो 5 फीसदी टैक्स लगता है।
5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर 10 फीसदी टैक्स का प्रावधान।
इसी तरह 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर 15 फीसदी टैक्स का नियम।
अगर कोई टैक्‍स पेयर वार्षिक 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक कमाता है तो उसे 20 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है।
जिन टैक्‍स पेयर्स की वार्षिक आय 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच है तो उन्हें 25 फीसदी की दर से टैक्स अदा करना होता है।
वहीं, जिन टैक्‍स पेयर्स की वार्षिक आय 15 लाख रुपये से ज्यादा है उन्हें 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है।

ओल्‍ड रिजीम का टैक्स स्लैब (New Tax Regime)

पुराने टैक्स सिस्टम में 2.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता था
जिन करदाताओं की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है उन्हें 5 फीसदी की दर से टैक्स देना है।
वहीं, अगर वार्षिक वेतन 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के मध्‍य है तो 20 फीसदी की दर से टैक्स का प्रावधान।
अगर वार्षिक आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो 30 फीसदी टैक्स लगेगा।

 

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