करी पत्ते का रस शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करके हृदय रोगों के खतरे को कम करता है। यह स्तन और फेफड़ों के कैंसर से भी बचाता है। यह बात शोध में साबित हो चुकी है। खानपान में इस्तेमाल होने वाली करी पत्तियां कई तरह की बीमारियों से बचाती हैं।
जानिए कैसे करी पत्ते आपके शरीर को फायदा पहुंचाते हैं
3 खास बातें: करी पत्ते का नाम इस तरह पड़ा
विशेषज्ञों का कहना है, इन पत्तियों का उपयोग विशेष रूप से भोजन के स्वाद और सुगंध को बढ़ाने के लिए किया जाता है। प्राचीन काल से, इसका इस्तेमाल कढ़ी में छिड़कने के लिए किया जाता रहा है, शायद इसलिए इसे करी पत्ता या कढ़ी पत्ता कहा गया है।
वैज्ञानिक भाषा में इसे मुरया कोइंजी के नाम से जाना जाता है। करी पत्ता का पौधा आमतौर पर भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। भारत में, यह ज्यादातर सिक्किम, असम और पश्चिम बंगाल के अलावा दक्षिणी राज्यों में पाया जाता है।
उत्तर भारत में तुलसी का महत्व दक्षिण में करी पत्ते जितना है। इसके पौधे की ऊंचाई 2 से 4 मीटर है। इसे घर के बगीचे में बीजों की मदद से लगाया जा सकता है।
करी पत्ते से 3 बड़े फायदे
यह आयरन और कैल्शियम की कमी को पूरा करता है:
इसके पत्ते कई आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं। इनमें आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन, विटामिन-बी 2, बी 6 और बी 12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।
हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद:
ऐसे रोगी जो दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं, उन्हें इसके पत्तों का उपयोग आहार में करना चाहिए। करी पत्ते कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करके दिल के दौरे के खतरे को कम करते हैं।
पेचिश और उल्टी में प्रभावी:
करी पत्ते का उपयोग पेट की समस्याओं, उल्टी और बवासीर जैसे रोगों के उपचार में किया जाता है। ये एंटी-माइक्रोबियल और एंट्री-इंफ्लेमेटरी हैं जो कई तरह के बैक्टीरिया से बचाते हैं।
इस तरह करी पत्ते का उपयोग करें
करी पत्ते का उपयोग टमाटर सॉस, ब्रेड पकौड़ी, मठरी, स्वादानुसार बेसन, अरहर की दाल और सांबर में किया जा सकता है। इसके अलावा दलिया में ढोकला, कढ़ी-चावल, उपमा, मसाला भी डाला जा सकता है। यदि वांछित है, तो करी पत्ते के पराठे भी बनाए जा सकते हैं। खास बात यह है कि करी पत्ते को सुखाने के बाद भी उनके औषधीय गुण खत्म नहीं होते हैं।
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