जी-7 और नाटो प्लस के लिए भारत क्‍यों जरूरी Read it later

India And Nato Plus : पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे। उन्होंने आमंत्रित देश के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। ज्ञात हो कि भारत 2023 में जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता कर रहा है। हाल ही अमरीका ने भारत को नाटो प्लस (India And Nato Plus) में शामिल करने की वकालत की है। वैश्विक स्तर पर बढ़ते कद को देखते हुए भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकारों का कहना है कि जी-7 और नाटो प्लस के लिए भारत बहुत जरूरी हो गया है।

 

क्या है उद्देश्य

जी-7 यानि ग्रुप ऑफ सेवन, दुनिया के सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों का संगठन है, (India And Nato Plus) जिसका उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा, कानून बनाए रखना और समाधानों पर चर्चा करना है। इधर नाटो प्लस अमरीका की ओर से संगठित एक ग्रुप है जिसका उद्देश्य वैश्विक रक्षा और शांति को बढ़ावा देना है। ये संगठन चीन जैसे देशों को अन्य छोटे देशों पर हमला करने से रोकने और बड़े देशों से छोटे देशों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है।

 

वैश्विक विकास के मुद्दों के

भारत पर बढ़ी यूरोप की तेल निर्भरता

1 रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान पूरे यूरोप में तेल-गैस का संकट छा गया था। (India And Nato Plus) भारत ने अप्रेल, 2023 तक तेल निर्यात में सऊदी को पीछे छोड़ दिया। युद्ध से पहले यूरोप अपनी जरूरत के 40 फीसदी तेल और गैस का आयात रूस से करता था लेकिन युद्ध के दौरान लगे प्रतिबंध से यूरोप हाहाकार मच गया। प्रतिबंध से हो रहे नुकसान से उबरने के लिए रूस ने भारत को कम कीमत पर तेल निर्यात करना शुरू कर दिया। भारत रूस से तेल खरीदता और रिफाइन कर यूरोप को सप्लाई करने लगा। इससे यूरोप की भारत पर तेल निर्भरता बढ़ने लगी।

 

इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की चुनौती

इंडो पैसिफिक रीजन में 2 अनेक आर्थिक अवसर हैं, जिनके लिए अमरीका, जापान के अलावा अन्य यूरोपीय देश अपनी नीतिया बना रहे हैं। यह क्षेत्र विश्व का जिओपोलिटिकल इकॉनोमिकल केंद्र बन चुका है। लेकिन यहां चीन अपने पैर पसार रहा है जो कि पूरे विश्व के लिए खतरे की घंटी है। श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट का अधिग्रहण चीन के इरादों को जगजाहिर करता है। पिछले कुछ समय में भारत की आर्मी बेहतरीन रणनीति और अच्छी व्यूरोक्रेसी के दम पर चीन को कई मोर्चों पर नियंत्रित करने में सफल रहा है।
और

 

भारत के रूस और पश्चिम, दोनों से अच्छे संबंध “

भारत का रूस और पश्चिम, दोनों के साथ ही 4 अच्छे संबंध है। (India And Nato Plus) एक साल से ज्यादा वक्त रहे युद्ध ने कई पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था को तोड़ कर रख दिया है। इस दौरान भारत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष

जी-7 के सदस्य देश

  1. अमरीका
  2.  ब्रिटेन
  3.  फ्रांस
  4.  कनाडा
  5.  जापान 
  6. जर्मनी
  7.  इटली

 

नाटो प्लस के सदस्य

दक्षिण कोरिया
जापान 3. इजरायल
न्यूजीलैंड
ऑस्ट्रेलिया

 

नाटो प्‍लस क्‍या है?

NATO-Plus एक पाँच सदस्यीय सुरक्षा व्यवस्था है जो NATO, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के बीच 31-सदस्यीय युद्ध के बाद के सैन्य गठबंधन और अमेरिका के पाँच संधि सहयोगियों – ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इज़राइल और दक्षिण कोरिया को एक साथ जोड़ता है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो इसका उद्देश्य “वैश्विक रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना” और “चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा” जीतना है।

22 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्‍तावि‍तअमेरिका की राजकीय यात्रा से पहले, अमेरिका और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा पर हाउस सेलेक्ट कमेटी की सिफारिश  पर चेयरमैन माइक गैलाघेर और रैंकिंग सदस्य राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में एक बयान जारी किया गया है – इसमें जो कहा गया है उसे उन्‍हीं के शब्‍दों में यहां नीच पढ़ें –

यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि ताइवान के प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए केंद्रित नीतिगत प्रस्ताव को उसके सदस्यों द्वारा “भारी रूप से अपनाया” गया, जिसमें 13 रिपब्लिकन और 11 डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि शामिल थे। यह अत्यधिक ध्रुवीकृत वाशिंगटन डीसी में भारत पर द्विदलीय सहमति को दर्शाता है।

जबकि ‘चाइना कमेटी’ के पास सिफारिशों से परे कोई नियामक प्राधिकरण नहीं है, यह कैपिटल हिल के कम से कम एक वर्ग में मनोदशा का एक संकेत है जो मानता है कि भारत की मदद की परिकल्पना न केवल भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव, नई दिल्ली की सक्रिय भागीदारी के प्रतिसंतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष की स्थिति में मांग की जानी चाहिए या अपेक्षित भी है।

 

भारत को फायदा नुकसान, दोनों (India And Nato Plus)

सबसे तेजी से उभरती अमरीका भारत की नाटी प्लस अर्थव्यवस्था है भारत
का सदस्य बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। (India And Nato Plus) संयुक्त राष्ट्र ने खुद भारत को नाटो प्लस में शामिल होने का बुलावा दिया है लेकिन भारत के इस ग्रुप में शामिल होने के अपने फायदे और नुकसान हैं। दरअसल नाटो एनस का हिस्सा बनने पर भारत चीन के मोर्चे पर तो ताकतवर हो जाएगा लेकिन उन्नत हथियारों आपूर्ति के लिए भारत रूस संबंधों पर फर्क पड़ सकता है। भारत रूस के बीच स्थापित शामिल होने पर बर्खास्त हो सकती है।

3 सबसे बड़ा कारण भारत की अर्थव्यवस्था है। भारत की जीडीपी 2.66 ट्रिलियन डॉलर है, जो जी-7 के तीन सदस्य देश फ्रांस इटली और कनाडा की कुल जीडीपी से ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना हैं कि भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। विश्व बैंक के आंकड़े भी यही कह रहे हैं कि सात सबसे ज्यादा उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भारत की विकास एस-400 की डील भी इस ग्रुप में दर सबसे ज्यादा है। दरअसल पश्चिमी देशों की आर्थिक विकास की उम्मीदें और संभावनाएं एक स्तर पर आकर स्थिर हो चुकी है।

 

कैसे हुआ जी-7 ग्रुप का गठन?

जी-7 देश आर्थिक रूप से उतने दबदबे वाले नहीं रहे, जितने पहले हुआ करते थे। (India And Nato Plus) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, 1990 में G-7 समूह का विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद में आधे से अधिक का योगदान था। अब बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें तो इस वक्त जी-7 देशों की कुल जीडीपी दुनिया की महज 30 फीसदी है। प्रारंभ में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी। इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर चर्चा की गई थी। अगले वर्ष, कनाडा समूह में शामिल हो गया, इस प्रकार G-7 बन गया।

जी – 7 फिर से जी 8 होता है या नहीं, (India And Nato Plus) भारत नाटो प्लस का छठा सदस्य बनता है या नहीं, यह तो समय ही बताएगा लेकिन यह साफ है कि भारत हिंद- प्रशांत महासागर में और रूस एवं पश्चिम के बीच सामंजस्य रूप से निकट भविष्य में देशों के बीच मध्यस्थता निभा सकता है। युद्ध को समाप्त करने के लिए किसी भी कूटनीतिक संभावना के मामले में रूस और पश्चिमी देशों के बीच भारत का दृष्टिकोण अहम रहने वाला है। बिठाने के लिए जरूरी कड़ी है।

 

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