Scindia Family : सेंट्रल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया वास्तव में कितनी संपत्ति के मालिक हैं? यह एक यक्ष प्रश्न है, ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि सिंधिया राजघरान की दौलत इतनी है कि इसका जवाब आज तक कोई नहीं दे पाया। बताया जाता है कि सिंधिया राजघराने के उम्मीदवारों ने 1957 से अब तक के चुनावों में जितनी संपत्ति घोषित की है, वह असलियत में काफी कम है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया (Scindia Family) ने चुनाव के लिए आवेदन में 2 अरब से ज्यादा की संपत्ति का जिक्र किया था, लेकिन कई अदालतों में जिन संपत्तियों के मामले चल रहे हैं, उनका अनुमानित मूल्य यदि आंका जाए तो करीब 40 हजार करोड़ रुपये यानी 400 अरब रुपये होता है। यानि कहा जा सकता है कि संपत्ति के मामले में ग्वालियर घराना अन्य राजघराने से कहीं ज्यादा आगे हैं।
राजमाता ने वसीयत में बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य को उनकी संपत्ति से बेदखल भी किया था
सिंधिया परिवार (Scindia Family) में संपत्ति को लेकर विवाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समय से ही शुरू हो गया था। मामला राजमाता की दो वसीयत में फंसा है।
राजमाता ने वसीयत में बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य को उनकी संपत्ति से बेदखल भी किया था। उन्होंने इसका एक हिस्सा अपनी तीन बेटियों – उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे को दिया।
माधवराव जीवनभर कोर्ट केस लड़ते रहे। वहीं अब ये कार्य ज्योतिरादित्य (net worth of jyotiraditya scindia) कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ज्योतिरादित्य की तीन बुआ हैं।
सिंधिया परिवार की सभी संपत्तियां विजयाराजे और उनके इकलौते बेटे माधवराव के बीच आधे हिस्से में विभाजित
1984 में, बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के आधार पर, सिंधिया परिवार की सभी संपत्तियों को विजयाराजे और उनके इकलौते बेटे माधवराव के बीच आधे हिस्से में विभाजित कर दिया गया था।
यह राजमाता द्वारा दायर एक याचिका के बाद किया गया था। इसका कारण यह था कि राजमाता के पति जीवाजी राव सिंधिया ने उनकी मृत्यु से पहले एक वसीयत नहीं छोड़ी थी।
जब राजमाता और माधवराव के बीच संपत्तियों को लेकर मतभेद हुआ तो अदालत ने यह व्यवस्था दी।
सिंधिया घराने का ग्वालियर स्थिति जय विलास पैलेस |
राजमाता की तीनों बेटियां माधवराव के इस दावे को सच नहीं मानती
वर्ष 1990 में माधवराव सिंधिया ने सिंधिया वंश (Scindia Family) की सभी संपत्तियों का एकमात्र उत्तराधिकारी होने का दावा करते हुए ग्वालियर कोर्ट में एक याचिका दायर की। यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
राजमाता की तीनों बेटियां माधवराव के इस दावे को सच नहीं मानती हैं। वह 1985 में राजमाता की वसीयत का हवाला देती हैं।
इस वसीयत के जरिए राजमाता ने उनके बेटे और पोते को उनकी सभी संपत्तियों से बेदखल कर दिया। इसमें उन्होंने अपनी संपत्ति का दो-तिहाई हिस्सा तीन बेटियों के नाम कर दिया था। शेष एक तिहाई एक ट्रस्ट के माध्यम से दान के लिए था।
कोर्ट अब भी वसीयत की वैधता की जांच कर रहीं
वर्ष 2001 में राजमाता (Scindia Family) के अधिवक्ता वकीलों द्वारा एक दूसरी वसीयत भी अदालत में पेश की गई थी। इसमें राजमाता ने अपनी पूरी संपत्ति तीन बेटियों के नाम कर दी थी।
अदालतें अभी भी इन वसीयत की वैधता की जांच कर रही हैं। मामला जल्द सुलझने की संभावना कम है। उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया संपत्ति पर अपना अधिकार आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं लगती हैं।
न ही ज्योतिरादित्य इस मामले में पीछे हटने को तैयार हैं। यह जरूर है कि तमाम मतभेदों के बावजूद कोई भी पक्ष सार्वजनिक रूप से संपत्ति विवाद पर चर्चा नहीं करता है।
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