कहते समय बड़ा बलवान होता है और सकारात्मक फल के लिए धेर्य के साथ कर्म करते रहना सबसे बड़ी ताकत। कल इसी की बानगी यूपी के चुनाव नतीजों में दिखी। तो वहीं दिग्गज पार्टी को धराशायी होते ही लोगों ने देखा। दरअसल गुरुवार को (UP Election Analysis:2022) मतगणना के दौरान जब सब कि निगाहें यूपी के सीएम योगी, सपा के अखिलेश जैसे अन्य दिग्गज नेताओं पर थी।
उस समय यूपी की राजनीति की दो और पार्टियों के भविष्य की इबारत भी तैयार हो रही थी। एक वो पार्टी जिसे काशीराम ने खड़ा किया और मायावती चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं… वो बसपा पार्टी अपना अस्तित्व तलाशती दिखी और अंतत: एक सीट पर सिमट गईं।
वहीं दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल की 2016 में ही अस्तित्व में आई पार्टी अपना दल (एस) ने पिछले चुनाव में चंद सीटें हासिल की थी और पार्टी ने राजनीति के बेहद कम अंतराल में 12 सीटें जीत कर राज्य पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया। बसपा और अपनाल दल (एस) दोनों ही पार्टियों का वोट बैंक दलित तबका रहा है। ये वक्त वक्त की बात है कि बसपा को सींचने में जिस काशीराम ने अपना सर्वस्व लगाया उस विरासत को मायावती संभाल नहीं पाईं।
खास बात ये है कि अपना दल के संस्थापक यानि अनुप्रिया पटेल के पिता सोने लाल पटेल कभी बसपा के संस्थापक सदस्यों में थे, लेकिन मायावती से मतभेद के कारण उन्होंने अलग होकर खुद की पार्टी बनाई। वहीं जब सोने लाल का निधन हुआ तो अनुप्रिया पटेल पार्टी की राष्ट्रीय महा सचिव बनाई गई, लेकिन कुछ समय बाद पारिवारिक तनाव के चलते उन्होंने पिता की तरह खुद की पार्टी अपना दल (एस) बना ली।
अनुप्रिया पटेल कौन हैं जिनकी पार्टी राज्य स्तर की बन गई (Who is Anupriya Patel whose party became state level)
बता दें कि अनुप्रिया पटेल वर्तमान में भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। साल 2014 में जब बीजेपी केंद्र की सत्ता में आईं तो अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया गया।
अनुप्रिया पटेल ने साल 2012 के असेम्बली इलेक्शन में वाराणसी करीब स्थित रोहनिया विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 2014 में उन्होंने भाजपा से गठबंधन कर लिया।
Photo | ABP |
ऐसे बनाई अपनी अलग पार्टी अपना दल (एस)
अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद बनी और रोहनिया की विस. सीट खाली हो गई। जब वह सांसद बनी तो रोहनिया सीट खाली हो गई। बाद में उनकी मां कृष्णा ने रोहनिया से चुनाव लड़ा, लेकिन अनुप्रिया अपने पति को इस सीट से उतारना चाहतीं थीं। कृष्णा की हार के बाद पारिवारिक बढ़ा और अनुप्रिया को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, लेकिन तब तक अनुप्रिया कैबिनेट में मंत्री बन चुकी थीं। उनकी अपनी पहचान बन चुकी थी। उन्होंने साल 2016 में खुद की पार्टी अपना दल (एस) बनाई और साल 2018 में वे पार्टी अध्यक्ष बनीं।
वहीं चार बार UP की CM रह चुकीं मायावती की पार्टी इस बार महज 1 सीट पर सिमटी
शुक्रवार को लखनऊ में बसपा सुप्रीमों मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से हिम्मत न हारने की अपील की। मायावती ने भी वक्त वक्त की बात की। उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी का उदाहरण समर्थकों को ये दिलासा देने की कोशिश की है कि राजनीति में अच्छे-बुरे दौर आते रहते हैं। बसपा सुप्रीमो ने बीजेपी की जीत और बसपा की हार के कारणों का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि हमारा समाज पार्टी के साथ चट्टान की तरह खड़ा है और हमें इस बात का संतोष है।
BSP को छोड़ा पीछे
अपना दल सोनेलाल ने विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भाजपा और सपा के बाद प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। पार्टी को 12 सीटों पर जीत मिली है। पार्टी ने बसपा और कांग्रेस जैसी दिग्गज पार्टियों को पीछे छोड़ते हुए ये उपलब्धि हासिल की। अपना दल एस ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इससे पहले पार्टी ने 2017 के विधानसभा इलेक्शन में 11 सीटों पर चुनाव लड़कर 9 सीटों पर जीत हासिल की थी।
अनुप्रिया की मां हारीं बहन जीतीं
अपना दल का पहला गुट अपना दल कमेरावादी ने सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा। अपना दल कमेरावादी की प्रेसीडेंट व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में थी लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। दूसरी ओर अनुप्रिया पटेल की बहन अपना दल कमेरावादी से ही पल्लवी पटेल सिराथू में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्ये को कड़ी टक्कर दे रहीं थी और मौर्य हार गए।
बहरहाल मायावती ने कहा है कि बाबा साहेब की अनुयायी इस पार्टी के लोगों को हिम्मत नहीं हारना है, बल्कि पत्थर काट रास्ता बनाने का प्रयास जीवनभर करते रहना है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने भी इतने ही खराब दिन देखे हैं। मयावती बोलीं आजादी के बाद से काफी समय तक इन्हें देश में राज करने का मौका जनता ने नहीं दिया।
मायावती ने कहा कि यूपी में 2017 से पहले भाजपा की स्थिति कुछ अच्छी नहीं रही। कांग्रेस पार्टी भी उसी बुरे दौर से गुजर रही है। जिस तरह कभी भाजपा का हाल था। 1977 के चुनाव में कांग्रेस को भी हमारी तरह की हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन फिर वापसी करी।
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सफलता फिर झक मारकर हमारे पास आएगी: मायावती
मायावती ने मीडिया पर निगेटिविटी फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी पार्टी को बीजेपी की बी पार्टी बताया जा रहा है। मायावती ने कहा कि बसपा के मुस्लिम वोटर्स सपा की ओर चले गए और वहीं हिंदू वोटर्स जोकि गैर जाटव थे उन्होंने बीजेपी को वोट दिया, लेकिन हमारे दलित वोटर्स हमारे साथ चट्टान की तरह खड़े रहे हैं।इन पर मैं जितना फक्र करूं कम है या जितना धन्यवाद दूं वो भी कम होगा। मायावती ने कहा कि सफलता एक दिन फिर हमारे पास झक मारकर आएगी।”
भाजपा विरोधी मुस्लिम समाज ने अफवाह का शिकार हो कर सपा को वोट किया: मायावती
मायावती ने कहा कि भाजपा के मुस्लिम विरोधी आक्रामक चुनाव से मुस्लिम समाज ने सपा को वोट दिया। यदि ये लोग अफवाहों का शिकार नहीं होते तो परिणाम ऐसा नहीं होता। अब समय बीत जाने के बाद ये लोग पछताने वाले हैं। मुस्लिम समाज का वोट यदि दलित समाज के साथ होता तो बंगाल में टीएमसी की तरह हमारी जीत होती। मुस्लिम समाज भूल जाता है कि बीएसपी ही यूपी में भाजपा को सत्ता में आने से रोक सकती है।
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