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Nag Panchami: नाग पंचमी का पर्व प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन (nag panchami kab hai) भगवान महादेव के आभूषण माने जाने वाले नागों की विधिवत पूजन करने का विधान है। ज्योतिषिय मान्यता के अनुसार इस वर्ष नाग पंचमी का पर्व और भी खास लाभकारी रहने वाला है। दरअसल नाग पंचमी पर 30 साल बाद दुर्लभ योग बन रहा है। इस शुभ योग में नाग देवता की पूजा करने से आपके जीवन की हर परेशानी का नाश हो सकता है।
Panchang 02 August in Hindi
- दिवस – मंगलवार
- माह – श्रावण ,शुक्ल पक्ष,
- तिथि – पंचमी
- सूर्योदय – 05:48am
- सूर्यास्त – 07:07pm
- नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी
- सूर्य राशि – कर्क
- चन्द्र राशि – कन्या
- करण – बव
- योग – शिव
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त (Nag Panchami Shubh Muhurat)
- नाग पंचमी मंगलवार, अगस्त 2 को
- नाग पंचमी पूजा मूहूर्त -सुबह 06 बजकर 05 से 08 बजकर 41 मिनट तक
- अवधि – 02 घण्टे 36 मिनट
- पञ्चमी तिथि प्रारंभ – अगस्त 02, 2022 को सुबह 05 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा
- पञ्चमी तिथि समाप्त – अगस्त 03, 2022 को सुबह 05 बजकर 41 मिनट पर समाप्त
नाग पंचमी की पूजन सामग्री (Nag Panchami ki Pujan Samagri)
नाग देवता की तस्वीर, दूध, पुष्प, अक्षत, मेवा, रत्न, फल, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध गाय का घी, मिष्ठान, बेलपत्र, धतूरा, भांग, जौ, तुलसी के पत्ते, गाय का कच्चा दूध, कपूर, आम का पल्लव, जनेऊ, गन्ने का रस, धूप, दीप, इत्र, रोली, मौली, चंदन, भगवान शिव और मां पार्वती की श्रृंगार के लिए सामग्री।
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कई गुना मिलेगा प्रतिफल
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष 30 साल में पहली बार बहुत ही शुभ शंकर योग में नाग पंचमी मनाई जाएगी। इस शुभ योग में नागों का पूजन करने का प्रतिफल कई गुना होता है। इस दौरान भगवान शंकर और उनके नागों की पूजा करने से मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है। ज्योतिषियों के अनुसार नाग पंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्प दोषों का भी निवारण हो जाता है।
मान्यताओं के अनुसार पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन के कष्टों का नाश होता है। वहीं साधकों को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन यदि किसी व्यक्ति को अचानक कहीं नाग देवता के दर्शन हो जाएं तो यह बहुत शुभ माना जाता है। सिद्ध नाग मंदिर में नागदेव की पूजा की जाए तो यह और भी फलदायी रहता है।
जानिए नाग पंचमी की पौराणिक कथा‚ इसलिए नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है (Reason for celebrating Nag Panchami festival)
जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय को ज्ञात हुआ कि उनके पिता परीक्षित की मृत्यु का कारण सर्पदंश था, तो उन्होंने तक्षक से बदला लेने और सांपों को मारने के लिए सर्पसत्र नामक एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। लेकिन नागों की रक्षा के लिए ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इस यज्ञ को रोक दिया और नागों की रक्षा की।
इसी कारण तक्षक नाग के भाग जाने से उसका वंश बच गया। नाग को अग्नि की तपन से बचाने के लिए ऋषि ने उस पर कच्चा दूध डाला। ऐसी मान्यता है कि तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी और नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, जिससे पूजा में कच्चा दूध अनिवार्य हो गया।
महर्षि कश्यप और कद्रू से हुआ था नागों का जन्म‚ महाभारत के आदि पर्व में है उल्लेख
नागों का उल्लेख महाभारत के आदि पर्व में मिलता है। उस समय ऋषि कश्यप नाम के एक महर्षि थे, उनकी 13 पत्नियां थीं, उनमें से एक का नाम कद्रू था। नागों का जन्म ऋषि कद्रू और कश्यप की संतान के रूप में हुआ था। विनता भी ऋषि कश्यप की 13 पत्नियों में से एक थीं। गरुड़ विनता के पुत्र हैं। बाद में गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन बने।
कद्रू विनता से ईर्ष्या करती था और उसे किसी तरह अपमानित करने की कोशिश करती रहती थी। विनता को दांव लगाने की बुरी आदत थी। इसका लाभ उठाकर कद्रू ने विनता से शर्त लगाई कि उच्चैश्रवा घोड़ा सफेद है, लेकिन उसकी पूंछ काली है। विनता का कहना था कि उस घोड़े की पूंछ सफेद ही है।
दरअसल उस घोड़े की पूंछ सफेद ही थी। विनता को हराने के लिए कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि वे बालों की आकृति लेकर उस घोड़े की पूंछ पर चिपक जाएं। ऐसा करने से विनता को दूर से घोड़े की पूँछ काली ही दिखाई देगी और वह शर्त हार जाएगी।
कुछ नागों ने अपनी मां कद्रू की बात मानने से इनकार कर दिया था, तब कद्रू ने अपने ही पुत्रों को यज्ञ में भस्म करने का श्राप दे दिया। श्राप के भय से उचचैश्रव के सभी सर्प पुत्र घोड़े की पूंछ पर चिपक गए। विनता ने जब उस घोड़े को देखा तो उसकी पूंछ काली दिखाई दे रही थी। विनता ने अपनी हार मान ली और कद्रू ने अपनी ही बहन को दासी बना लिया।
इस घटना के कुछ समय बाद, विनता और कश्यप ऋषि से गरुड़ का जन्म हुआ और उन्हें ज्ञात हुआ कि उनकी माँ अपनी ही बहन कद्रू की दासी क्यों बनी थी, तब उन्होंने कद्रू से कहा कि आप मेरी माँ को कैसे मुक्त कर सकती हैं। मैं आपके लिए क्या करूं कि मेरी मां दासता से मुक्त हो जाए?
इस पर सभी नागों ने कहा कि तुम हमारे लिए अमृत कलश लाकर दे दो, जिसके बाद हम तुम्हारी माता को मुक्त कर देंगे। कद्रू और नागों के वचनों को पूरा करने के लिए गरुड़ ने अमृत कलश लाकर उन्हें दे दिया और अपनी मां विनता को दासता से मुक्त करा दिया।
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क्या है नाग पंचमी तिथिॽ (Naag Panchami Date & Significance)
इस वर्ष श्रावण मास की पंचमी तिथि 02 अगस्त मंगलवार को प्रातः 05:13 से अगले दिवस यानी 3 अगस्त को सुबह 5:41 बजे तक मनाई जाएगी। इस दिन नाग पंचमी के साथ मंगला गौरी व्रत भी रहेगा। ये सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत होगा। अर्थात नाग पंचमी पर नागों की पूजा के अलावा भगवान महादेव और माता पार्वती की भी पूजा का अवसर जातकों को मिलेगा।
नाग पंचमी पर पूजा विधि (Nag Panchami Puja Vidhi)
नाग पंचमी के दिन प्रातःकाल स्नान कर भगवान महादेव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। लकड़ी की चौकी पर नाग देवता की तस्वीर या मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें। अब मूर्ति को गाय के दूध से स्नान कराएं और फिर दीपक, गंध, धूप और फूलों से नाग देवता की पूजा करें। इसके बाद नाग देवता को चीनी, घी और कच्चा दूध चढ़ाएं। अंत में नाग देवता का ध्यान करते हुए आरती करें और कथा का पाठ करें।
नाग देवताओं में अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, कालिया और तक्षक जैसे नाग देवताओं का खास महत्व है। इन्हीं देवताओं की पूजा नाग पंचमी के दिन की जाती है। इस दिन घर के दरवाजे पर आठ सांपों की आकृति बनाने की परंपरा है। नाग देवता को हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाएं। मिठाई चढ़ाने के बाद नाग देवता की कथा जरूर पढ़ें। पूजा करने के बाद कच्चे दूध में घी, चीनी मिलाकर नागदेव को स्मरण कर अर्पित करें।
नाग पंचमी पूजा का मन्त्र (Nag Panchami Puja Mantra)
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले.
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः.
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अर्थात- इस संसार में, आकाश, स्वर्ग, झीलें, कुएं, तालाब व सूर्य-किरणों में निवास करने वाले सर्प, हमें आशीर्वाद दें‚ हम सभी आपको बार-बार नमन करते हैं।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्.
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्.
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः.
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
अर्थात- 9 नाग देवताओं के नाम अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शङ्खपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया हैं। यदि प्रति दिन प्रातःकाल नियमित रूप से इनका जप किया जाए, तो नाग देवता आपको सभी पापों से सुरक्षित रखेंगे और आपको जीवन में विजयी बनाएंगे।
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दुर्लभ संयोगः मंगला गौरी व्रत के साथ रखा जाएगा नाग पंचमी व्रत
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त क्या हैॽ (Naag Panchami Shubh Muhurat)
मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त में भगवान महादेव और नागों की पूजा करना शुभ माना जाता है। नाग पंचमी के दिन सुबह 05:43 से सुबह 08:25 बजे तक नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है. यानी पूजा के लिए आपको पूरे 2 घंटे 42 मिनट का समय मिलेगा।
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नाग पंचमी पर भगवान महादेव की आरती (Nag Panchami 2022 Shiv Ji Ki Aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा
।।ॐ जय शिव..॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
।।ॐ जय शिव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
॥ ॐ जय शिव..॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी
॥ ॐ जय शिव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
॥ ॐ जय शिव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता
॥ ॐ जय शिव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका
॥ ॐ जय शिव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
॥ ॐ जय शिव..॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
॥ ॐ जय शिव..॥
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Nag Panchami 2022 Nag Devta Aarti : पूजन के दौरान जातक नाग देवता की इस आरती को पढ़ें
श्रीनागदेव आरती पंचमी की कीजै ।
तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।
पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।
शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।
वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।
नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
नाग पंचमी के दिवस इन बातों का भी खास ध्यान रखें (Do’s and Don’ts on Nag Panchami)
- मान्यता के अनुसार नाग पचंमी के दिन व्रत रखने का विधान है। इस दिन नाग देवताओं का पूजन करना चाहिए और उन्हें जल चढ़ाते हुए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- नाग पंचमी के दिन सुई धागे के इस्तेमाल से बचें। इस दिन लोहे के बर्तन में भोजन बनाना चाहिए।
- यदि जिन जातकों की कुंडली में राहु और केतु भारी हैं तो इस दिन ऐसे जातकों को सांपों का पूजन अवश्य ही करना चाहिए। ध्यान रखें कि इस दिन नाग देवता को दूध चढ़ाते समय पीतल के लोटे का इस्तेमाल ही करें।
- नाग पंचमी के दिन जहां सांपों के बिल हों उस जमीन को बिल्कुल भी न खोदें। ये भी ध्यान रखें कि इस दिन या कभी सांप को मारने का पाप न करें। यदि आपको कहीं सांप दिख जाए तो उसे जाने का रास्ता दें। यदि आपके निवास में कभी भी सांप दिख जाए तो उसे कभी भी न मारे बल्कि रेस्क्यू टीम से सांप को पकड़वा कर किसी सुनसान या जंगल वाले इलाके में छुड़वाएं।
नाग पंचमी पर सांपों से जुड़ी खास और रोचक जानकारी (Special and interesting facts related to snakes on Nag Panchami)
- सांप के मुंह के भीतर बत्तीस दांत, एक जिह्वा जो दो हिस्सों में बंटी होती है। जहर की चार दाढ़ें होती हैं, इन्हें मकरी, कराली, कालरात्री और यमदूती दाढ़ के नाम से पुकारा जाता है।
- एक सांप की आयु अधिकतम एक सौ बीस साल की होती है। इनकी मृत्यु आठ वजहों से हो सकती हैं। सर्प की मृत्यु का कारण इंसान, मोर, नेवला, बिल्ली, चकोर, शूकर और बिच्छु बनते हैं। कई बार किसी बडे जीव के पैरों तले कुचले जाने से भी सांपों की मौत हो जाती है। इन सभी से यदि कोई सांप बच जाता है तो वो एक सौ बीस वर्ष जीवित रह सकता है।
- सांप का बच्चा जन्म लेने के महज 25 दिन बाद से दंश मारने योग्य हो जाता है और उसके डंसने से मृत्यु भी हो सकती है।
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