Nagchandreshwar Temple: नाग पंचमी पर उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की नाग प्रतिमा का दर्शन, जानिए क्यों है यह मंदिर खास Read it later

Nagchandreshwar Temple: आज (9 अगस्त) नाग पंचमी है। अभी सावन माह चल रहा है, इस महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पूजा का महापर्व नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन शिवलिंग पर स्थापित नागदेव की प्रतिमा की पूजा करने का विधान है न कि जीवित नाग की। नाग पंचमी के दिन उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के ऊपर के तल पर मौजूद नागचंद्रेश्वर की मूर्ति (Ujjain Nagchandreshwar Temple) के दर्शन किए जाते हैं। यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है।

वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्‍तम शर्मा कहते हैं, महाकालेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में तीसरा ज्योतिर्लिंग है। प्राचीन काल में इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया और कई बार इसे तैयार किया गया। महाकाल मंदिर की वर्तमान इमारत करीब 250-300 साल पुरानी मानी जाती है। (11th Century Snake Statue) मुगलों ने प्राचीन मंदिर को तोड़ दिया था, बाद में मराठा राजाओं ने महाकाल मंदिर का निर्माण कराया।

दीवार पर स्थापित है नागचंद्रेश्वर भगवान की मूर्ति (Nagchandreshwar Temple)

महाकाल मंदिर का निर्माण और जीर्णोद्धार समय-समय पर अलग-अलग राजाओं ने करवाया था। (Rare Nag Idol Ujjain) जब मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ तो मंदिर की ऊपरी मंजिल पर एक दीवार में नागचंद्रेश्वर (Nagchandreshwar Temple) की मूर्ति स्थापित की गई। तब से यह मूर्ति यहां स्थापित है। हर साल नाग पंचमी (Nag Panchami Special Events) पर इस मूर्ति की पूजा और दर्शन किए जाते हैं। (Nagchandreshwar Temple Darshan) मान्यता है कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से कुंडली में कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने पहुंचते हैं।

तक्षक नाग से जुड़ा मंदिर का रहस्य, इसलिए साल में एक बार खुलता है मंदिर

पौराणिक कथाओं की मानें तो तक्षक नाग ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाकाल वन में घोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्‍हें अमरता का वरदान दिया था। तब से तक्षक नाग यहीं विराजमान हैं। महाकाल वन में रहने के पीछे तक्षक की मंशा यही थी कि कोई उनकी तपस्या में विघ्न न डाल सके। इसलिए नाग पंचमी के दिन इस मंदिर के कपाट खोलने की परंपरा है।

Nagchandreshwar Temple

तीसरे खंड में हैं भगवान नागचंद्रेश्वर

विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख भगवान महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में विभाजित है। सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थित है। मान्यता है कि मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने से भगवान शंकर और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थित प्रतिमा 11वीं शताब्दी के परमार काल में स्‍थापित मानी जाती है।

महाकालेश्वर और नागचंद्रेश्वर के बारे में खास और रोचक बातें
  • नागचंद्रेश्वर की मूर्ति दुर्लभ है और माना जाता है कि यह 11वीं शताब्दी की है। नागचंद्रेश्वर की मूर्ति (Nagchandreshwar Temple) में नाग देवता फन फैलाए हुए हैं। शिव-पार्वती सर्प शय्या पर विराजमान हैं।
  • इस मूर्ति में भगवान शिव का साक्षात स्वरूप देखने को मिलता है। भगवान विष्णु की तरह इस मूर्ति में भी शिव सर्प शय्या पर विराजमान हैं।
  • बारह ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। दक्षिणमुखी होने के कारण महाकाल के दर्शन से अकाल मृत्यु के भय और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। प्रतिदिन सुबह भगवान महाकाल की भस्म आरती की जाती है।
  • प्राचीन काल में महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र को महाकाल वन के नाम से जाना जाता था। स्कंद पुराण के अवंति खंड, शिवमहापुराण, मत्स्य पुराण आदि ग्रंथों में महाकाल वन का उल्लेख मिलता है।
  • पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव दूषण नामक राक्षस का वध करने के लिए उज्जैन क्षेत्र में प्रकट हुए थे। इस स्थान को पृथ्वी की नाभि भी कहा जाता है। कर्क रेखा भी यहीं से होकर गुजरती है।
  • महाकालेश्वर शिवलिंग में भगवान ज्योति रूप में विराजमान हैं, जिस कारण इसे ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
  • मान्यता है कि महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना और दर्शन करने से भक्तों के भय और दुख दूर होते हैं। उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है। सावन में प्रत्येक सोमवार को राजा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। इसे महाकाल की सवारी कहते हैं।
  • महाकाल की सवारी सावन के प्रत्येक सोमवार और भाद्रपद माह के एक पक्ष के सोमवार को निकलती है।
जीवित नाग की पूजा न कर नागदेव की प्रतिमा की पूजा करें

नाग पंचमी (9 अगस्त) के दिन जीवित नाग की पूजा करने से बचें। (Nag Panchami Celebrations) इस दिन नागदेव की मूर्ति या चित्र की पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर स्थापित नागदेव का अभिषेक करें। शास्‍त्रों के अनुसार जीवित सांप को दूध नहीं पिलाना चाहिए। सांपों के लिए दूध जहर के समान माना गया है। नागदेव की मूर्ति पर दूध चढ़ाएं। इस तिथि पर उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के ऊपरी तल पर नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन करने की परंपरा है। यह मंदिर साल में केवल एक बार नागपंचमी पर ही खुलता है।

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