महादेव को इसलिए प्रिय है सावन माह (Sawan)
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सावन (Sawan) सोमवार की पूजा विधि
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इसलिए इस माह शिव पूजा ज्यादा सफल होती है
शिव पुराण की विद्याेश्वर संहिता के अध्याय 16 में शिव कहते हैं कि महीनों में मुझे श्रावण (सावन) बहुत प्रिय है। इस महीने में श्रावण नक्षत्र के साथ पूर्णिमा है। इसी कारण इस मास को श्रावण भी कहा जाता है। सावन के महीने में सूर्य अधिकतर समय कर्क राशि में ही रहता है। जब सूर्य कर्क राशि में होता है तो उस समय की जाने वाली शिव पूजा शीघ्र ही सफल हो जाती है।
सावन सोमवार को सुहागिन महिलाओं की व्रत रखने की विधि
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जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा
सावन में इस बार 4 सोमवार
सावन सोमवार 2022 (Sawan Somwar 2022 Date Calendar)
- पहला सावन सोमवार- 18 जुलाई 2022
- दूसरा सावन सोमवार- 25 जुलाई 2022
- तीसरा सावन सोमवार- 1 अगस्त 2022
- चौथा सावन सोमवार- 8 अगस्त 2022
सावन में रखें इन बातों का ध्यान (Sawan 2022 Rules)
सावन में भगवान भोलेनाथ की पूजा का फल तभी मिलता है जब कुछ सावधानियां बरती जाएं। सावन में तामसिक भोजन से बचें।
- सावन में शिवजी का वरदान पाना है तो मांसाहारी भोजन, शराब, हरी पत्तेदार सब्जियां, बैगन, लहसुन, प्याज का त्याग करें।
- सावन के पूरे महीने शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है, इसलिए दूध का सेवन न करें। वैज्ञानिकों के अनुसार इन दिनों यानी श्रावण मास में दूध वात बढ़ाने का काम करता है।
- मान्यता है कि श्रावण मास में शरीर पर तेल भी नहीं लगाना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
- शिव भक्ति के लिए सावन सबसे पवित्र महीना है, ऐसे में केवल एक समय की नींद लें, बाकी दिन शिव भक्ति में लीन रहना चाहिए।
- जो व्यक्ति सच्चे मानस से महादेव की पूजा करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, लेकिन महादेव की भक्ति का फल तभी मिलता है, जब विचारों में सकारात्मकता आती है। सावन में किसी का अनादर न करें, वहीं कोई भी अधार्मिक कार्य न करें।
फोटोः सोशल मीडिया। |
सूर्यास्त के बाद इन विभिन्न समय पर भी कर सकते हैं शिव पूजा
शिव पुराण में लिखा है कि शिव पूजा, अभिषेक सूर्यास्त के बाद भी किया जा सकता है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर रात में ही विशेष शिव पूजा की जाती है। यदि आप सावन में किसी कारणवश सुबह पूजा नहीं भी कर पाएं तो शाम छह बजे से भी शिवपूजा की जा सकती है।
गन्ने के रस शिवलिंग अभिषेक से होती है सभी सुखों की प्राप्ति
शिवलिंग पर जल और दूध के अलावा गन्ने के रस भी चढ़ाएं। बता दें कि सभी सुखों की कामना के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करने का विधान है। वहीं शाम छह बजे के बाद रात करीब नौ बजे दूसरी पूजा की जा सकती है। इस पूजा में दही से अभिषेक करने का विधान है। तीसरी पूजा रात 12 बजे कर सकते हैं। इस समय पूजा में दूध से अभिषेक करना चाहिए।
वहीं रात के 3 बजे चौथी शिव की पूजा की जा सकती है। इसी तरह सोमवार की रात को चार बजे यानी मंगलवार की सुबह 4 बजे की गई शिव पूजा भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाली मानी जाती है। इस प्रकार पूजा करने के बाद मंगलवार की सुबह ही किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अपने घर ले जाकर भोजन कराना चाहिए।
सावन में अलग-अलग तरह के अनाज चढ़ाकर भी शिव पूजा करने की परंपरा है। शिवलिंग पर जल के साथ दूध, बिल्वपत्र, सफेद आंकड़े के फूल, चावल, जौ, गेहूं, मूंग आदि अनाज भी चढ़ाकर भी पूजा कर सकते हैं।
Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। थम्सअप भारत किसी भी तरह की मान्यता की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक कर्मकांड को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
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