इस साल जम्मू-कश्मीर की अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त (रक्षा बंधन) तक रहेगी। फोटोः Getty | Images |
AMARNATH YATRA: इस महीने के आखिरी दिन 30 जून से बाबा अमरनाथ (BABA AMARNATH YATRA) के दर्शन किए जा सकेंगे। गौरतलब है कि इस साल जम्मू-कश्मीर की अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त (रक्षा बंधन) तक रहेगी। (Is Amarnath Yatra Open in 2022?) बाबा अमरनाथ गुफा का इतिहास सनातन काल से यानी हजारों साल पुराना है। गुफा के अंदर बर्फीले पानी की बूंदें लगातार गिरती हैं, इन बूंदों से करीब 10-12 फीट ऊंचा बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक तौर पर बनता है। मानयता है कि इसी गुफा में महादेव ने देवी पार्वती को अमरता के रहस्य परिचित कराया था।
बाबा बर्फानी की गुफा से जुड़े खास तथ्य
- अमरनाथ बाबा (BABA AMARNATH YATRA) यानी बर्फानी बाबा के शिवलिंग की ऊंचाई घटने-बढ़ने का संबंध चंद्रमा से जोड़ कर देखा जाता है। पूर्णिमा पर शिवलिंग अपने पूरे आकार में होते हैं, वहीं अमावस्या पर शिवलिंग का आकार कुछ छोटा दिखाई देता है। चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ बाबा अमरनाथ शिवलिंग भी घटता-बढ़ता रहता है।
- बाबा अमरनाथ की गुफा और श्रीनगर के बीच की फासला 145 किलोमीटर है। (amarnath yatra distance) ये गुफा हिमालय पर समुद्र तल से 13 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित है।
- गुफा में प्राकृतिक रूप से शिवलिंग तैयार होता है। शिवलिंग के साथ ही यहां गणेशजी, पार्वतीजी और भैरव महाराज के हिमखंड भी बनते हैं।
- बाबा अमरनाथ की यात्रा दो रास्तों से होकर की जा सकती है। एक रास्ता पहलगाम और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से होकर जाता है। इस यात्रा के लिए सबसे पहले पहलगाम या बालटाल पहुंचना होता है। इसके बाद पैदल यात्रा प्रारंभ होती है।
- पहलगाम से अमरनाथ की दूरी लगभग 28 किलोमीटर की है, लेकिन ये रास्ता थोड़ा आसान और (amarnath yatra route) सुविधाजनक रहता है। वहीं बालटाल से अमरनाथ की दूरी लगभग आधी करीब 14 किमी है, लेकिन ये थोड़ा मुश्किल है।
बाबा अमरनाथ की यात्रा दो रास्तों से होकर की जा सकती है। एक रास्ता पहलगाम और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से होकर जाता है। फोटोः Getty | Images |
बाबा अमरनाथ की बर्फानी गुफा से जुड़ी धार्मिक मान्यता क्या है
- सनातनकाल में मां पार्वती शिवजी से अमरता का रहस्य जानने के लिए उत्सुक थीं
- जब भगवान महादेव मां पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे तो उन्होंने अपने साथ के अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा वहीं माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतार दिया और अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टॉप वाले क्षेत्र में और गले में लिपटे शेषनाग को शेषनाग नाम की जगह पर छोड़ा था। जब आप यात्रा पर जाएंगे तो ये सभी स्थान आज भी अमरनाथ यात्रा के रास्ते में दिखेंगे।
- शिवजी ने अमरनाथ वाली गुफा में ही मां पार्वती को अमरता के रहस्य का ज्ञान दिया था। मान्यता है कि ये रहस्य एक शुक यानी कबूतर ने भी सुन लिया था। बाद में यही शुक यानी कबूतर शुकदेव ऋषि के रूप में प्रसिद्ध हुए थे।
एक चरवाहे ने पहली बार देखी थी बाबा अमरनाथ की गुफा (amarnath yatra distance)
बाबा बर्फानी (BABA AMARNATH YATRA) की गुफा का इतिहास वैसे तो हजारों साल पुराना है, लेकिन अमरनाथ गुफा की खोज के संबंध में यहां माना जाता है कि यहां सबसे पहले एक चरवाहे को कोई संत मिले थे। ये घटना करीब-करीब 300-400 साल पुरानी कही जाती है।
संत ने उस चरवाहे को कोयले से भरी एक पोटली दी थी। जब चरवाहा अपने घर पहुंचा और पोटली में देखा तो उसमें कोयले की जगह सोना था। ये चमत्कार देखकर चरवाहा फिर से संत को खोजने उसी जगह पर पहुंच गया।
संत को खोजते-खोजते चरवाहे को उसी दौरान बाबा अमरनाथ की गुफा दिखाई दी। जब वहां के लोगों ने इस चमत्कार के बारे में सुना तो अमरनाथ गुफा को देव स्थान मानते हुए यहां पूजा-पाठ शुरू किया। चमत्कारिक इसलिए भी सइ तरह से प्राकृतिक तौर पर शिवलिंग बनने वाली जगह पूरी धरती पर मात्र बाबा अरमानाथ की गुफा ही है।
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