प्यार दिल का मामला है या दिमाग के हॉर्मोन्स का लोचाǃ समझिए आखिर माजरा क्या हैॽ Read it later

Matter Of The Heart: जब अच्छी किस्मत की वजह से आपके साथ कोई खूबसूरत इत्तेफाक होता है तो कोई भी आपको सिर्फ एक झटके में पसंद आ सकता है और इसे ही पहली नजर का प्यार होता है। (Matter Of The Heart) ऐसा वैज्ञानिक शोध में कहा गया है। किसी को पहली नजर में देखते ही दिमाग में एक साथ कई केमिकल लोचे यानि कैमिकल रिएक्शंस होने लगते हैं, इसका असर ये होता है कि कोई व्यक्ति प्यार में पड़ चुका होता है।

इसे कुछ इस तरह से कहा जा सकता है कि पहली नजर में ही दिल नहीं बल्कि दिमाग दे बैठे… यानि पूरा खेल दिमाग का है…. यानी कुछ भी कहें… प्यार की शुरुआत दिल से नहीं दिमाग से होती है।

 

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इस तरह होता है दिमाग में हॉर्मोन्स का कैमिकल लोचा

(Matter Of The Heart) न्यूयॉर्क की सिराक्यूज यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग ने इस विषय पर शोध करते हुए पता चला कि प्यार में पड़ना न सिर्फ हमारे इमोशंस और हमारे मूड को बदल देता है बल्कि दिमाग के कुछ विशेष हिस्सों को भी एक्टिव कर देता है। जब कोई इंसान प्यार में पड़ता है तो उसका दिमाग डोपेमाइन, ऑक्सीटोसिन, एड्रेनलिन और वैसोप्रेसिन समेत मन को उत्साहित रखने वाले 12 हॉर्मोन्स का रिलीज बढ़ा देता है।

 

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यही वजह है कि इश्क होते ही सब कुछ अच्छा और नया नया लगने लगता है, इंसान खुद को अधिक ऊर्जावान महसूस करता है और इस प्यार के दौरान लोगों का बेहतर व्यक्तित्व सामने आता है और ऐसे में प्यार में पड़े हुए इंसान की आदतें बिगड़ी हुई हैं तो उसके सुधरने की संभावना भी इस समय सबसे ज्यादा होती है।

(Matter Of The Heart) दिमाग में हाइपोथेलेमस, लिंबिंक सिस्टम होता है। हार्मोन्स पिटिट्यूटरी ग्रंथि में स्टोर रहते हैं। हाइपोथेलेमस से ऑक्सीटोसिन, डोपामाइन, सिरोटिनिन, वेसोप्रेसिनिन उत्सर्जित होता है। ये खून में मिलते हैं तो खून में इनका लेवल बढ़ जाता है। ये दिमाग के कुछ भाग को उत्तेजित करते हैं। खून में इनका लेवल बढ़ने से दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और दिल धड़कने लगता है।

 

(Matter Of The Heart) प्यार दिल का मामला है या दिमाग के हॉर्मोन्स को लोचा है?

 

 

इस रिसर्च से, प्यार कभी भी, कहीं भी, किसी से भी हो सकता है, वाली धारणा भी सच साबित होती है। इस रिसर्च पेपर में मात्र 0.2 सेकंड में ही प्यार होने की बात कही गई है।

ऐसे में ये बात तो सत्य है कि प्यार दिल से (Matter Of The Heart) नहीं दिमाग से होता है लेकिन इसमें दिल की भी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस सारे खेल का कंट्रोल दिमाग से होता है क्योंकि हॉर्मोन रिलीज के लिए दिमाग ही जिम्मेदार होता है। प्यार होने की सूरत में हॉर्मोन भी अपने नियमित व्यवहार से अलग असर दिखाने लगते हैं।

उदाहरण के लिए एड्रेनलिन आमतौर पर किसी खतरे से पैदा हुए स्ट्रैस के रिएक्शन के रूप में रिलीज़ होता है। (Matter Of The Heart) लेकिन जब किसी से प्यार हो जाए तब भी यह सक्रिय हो जाता है। यही वजह है कि कई बार माशूक के सामने आते ही आशिक के माथे और हथेलियों पर हाड़ कंपाने वाली सर्दी में भी पसीना आने लगता है, तो कभी होंठ सूखने लगते हैं और दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है। इस स्थिति में एड्रेनलिन के कारण अनकंट्रोल हुई धड़कनों का दोष लोग निर्दोष दिल या महबूब को देने लगते हैं।

जब माशूक की याद आए तो ‘तुमसे मिलने को दिल करता है…’ गीत नहीं, बल्कि गाएं कि ‘तुमसे मिलने को डोपेमाइन हॉर्मोन करता है’ 

प्रेमियों के आस-पास ‘तुमसे मिलने को दिल करता है’ वाला राग भी असलियत में दिल का नहीं डोपेमाइन हॉर्मोन का बजाया गया होता है। (Matter Of The Heart) बाकी हॉर्मोन की तरह यह भी दिमाग से कंट्रोल होता है और दिल उस समय भी अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद खून को पंप कर रहा होता है।

 

(Matter Of The Heart) प्यार दिल का मामला है या दिमाग के हॉर्मोन्स को लोचा है?

 

 

अलग-अलग हार्मोन्स के ये काम

ब्रेन के हिप्पोसेम्पस, मेडिकल इंसुला, इंटीरियर सिंगुलेट भाग प्यार के इमोशंस जगाते हैं। (Matter Of The Heart) डोपामाइन का लेवल बढ़ने पर सिरोटिनिन लेवल कम होता है। यह मूड बनाता है। डोपामाइन के साथ बॉडी में नर्व ग्रोथ फैक्टर रिलीज होता है, जो व्यक्ति में रोमांटिक फीलिंग लाता है। हार्मोन्स ऑक्सीटोसिन एवं वेसोप्रेसिन कनेक्शन, कमिटमेंट की फीलिंग लाते हैं।

इसके अलावा डोपामिन एक बेहद महत्वपूर्ण हार्मोन ऑक्सीटोसिन के रिसाव को भी प्रेरित करता है। (Matter Of The Heart) महिलाओं में बच्चा पैदा करने और बच्चों को दूध पिलाते समय इस केमिकल का बहुत महत्व होता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रेमियों के आपस में एक-दूसरे को बाँहों में भर लेने और चूमते समय हमारे दिमाग से यही केमिकल रिलीज होता है।

फिनाइल-इथाइल-एमाइन केमिकल आपको प्रेमी से मिलने के लिए बेचैन करता है1 यही वह केमिकल है जो रोमांस के समय उत्तेजना पैदा करता है और प्यार में पड़ने पर आपको सातवें आसमान पर पहुंचा देता है। (Matter Of The Heart) जब आपकी आंखें किसी से मिलती हैं तो आपका दिमाग फिनाइल-इथाइल-एमाइन को रिलीज करता है। आपकी पुतलियां बड़ी होने लगती हैं और कम रोशनी में भी सब कुछ साफ-साफ दिखाई देने लगता है।

जब हम प्यार में पागल हो जाते हैं तो अपने बायो केमिकल्स के हाथों में खेल रहे होते हैं। हेलन फिशर का कहना है कि प्यार का आकर्षण असल में रसाकर्षण है। जब दो लोगों की बायोकैमिस्ट्री का मिलान होता है तभी उनका मिलन होता है। प्रकृति के प्यार के इस खेल में हम तो महज कठपुतलियां होते हैं।

जब कोई प्यार में पागल हो जाता है (Matter Of The Heart) या किसी के सिर पर प्यार का भूत सवार हो जाता है, तो भाई… सच यह है कि वह केमिकल्स या कहिए यौन हार्मोनों के इशारों पर नाच रहा होता है। वैज्ञानिक तो यहां तक कहते हैं कि प्यार में पागल हो जाना एक तरह से मानसिक रोग के ही जैसा है यानि, अगर फिल्मी त़र्ज पर प्रेम रोग कहा जाता है तो कुछ गलत नहीं कहा जाता है!

ऐसे में प्यार से जुड़ी हर इच्छा के लिए कोई न कोई हॉर्मोन जिम्मेदार होता है, जैसे परवाह करने की इच्छा ऑक्सीटोसिन और ताउम्र साथ रहने का इरादा वैसोप्रेसिन की वजह से आता है।

जैवरसायनिकी के अनुसार प्यार में होने के बाद इतने हॉर्मोनों के रिलीज होने से दिमागी तंत्रिकाओं को एक्टिव करने वाले घटकों के स्तर में बढ़ोत्तरी हो जाती है। यह भी कहा जा सकता है कि दोनों बातें एक-दूसरे पर समान रूप से निर्भर करती हैं, यानि प्यार में होने पर ही घटक सक्रिय होते हैं और इनके सक्रिय रहने की स्थिति में ही प्यार बना रह सकता है। और इसके लिए इंसान के पास एक अदद दिमाग (मस्तिष्क) होना कंपल्सरी होता है क्योंकि आखिर प्यार तो… दिमाग से ही होता है….।

(Matter Of The Heart) अमेरिका में न्यू जर्सी स्थित रुटगेर यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता और ‘ह्वाई हिम? ह्वाई हर?: हाउ टू फाइंड एंड कीप लास्टिंग लव’ किताब की लेखिका हेलन फिशर के मुताबिक मोटे तौर पर प्यार की तीन अवस्थाएं होती हैं: वासना यानी चाहत, आकर्षण और लगाव। हर अवस्था के प्यार को अलग-अलग तरह के हार्मोन्स नियंत्रित करते हैं।

इसका मतलब है कि भले ही ये तीनों भावनाएं आपसी तालमेल के साथ काम करती हैं, (Matter Of The Heart) ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति इनमें से किसी एक का ही अनुभव करे। इसका अर्थ है कि लालसा, आकर्षण और चाहत की हमारी भावनाएं अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं।

वासना किसी को पा लेने की तीव्र इच्छा है, इसे ही कहते हैं लव एट फ़र्स्ट साइट यानी पहली नजर का प्यार। (Matter Of The Heart) इस लालसा के जगने में सेक्स हार्मोनों यानी टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्रोजन का हाथ होता है।

हालांकि अक्सर इन दोनों हार्मोनों को आमतौर पर क्रमश: ‘पुरुष’ और ‘स्त्री’ हार्मोन कहा जाता है, लेकिन ये दोनों स्त्री और पुरुष दोनों को उत्तेजित करने के लिए बेहद ज़रूरी हैं।

(Matter Of The Heart) सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी के अनुसार ‘एस्ट्रोजन महिला के नारीपरक गुणों को बढ़ाने में मददगार है, तो वहीं टेस्टोस्टेरॉन की उसके यौन अंगों को उत्तेजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।’ बहरहाल, वासना ही वह चीज़ है, जो प्यार की शुरुआत के लिए आमतौर पर ज़िम्मेदार होती है।

मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की एक शोध के मुताबिक दिमाग में फार्म फेस ऐरिया (एफ.एफ.ए.) नामक हिस्सा होता है जो सुंदर और आकर्षक चेहरा देख सक्रिय हो जाता है।

वासना की तीव्र उत्कंठा के बाद प्यार में पगला जाने की अवस्था यानी आकर्षण का दौर शुरू होता है। (Matter Of The Heart) इस दौर में व्यक्ति को प्यार के अलावा और कुछ नहीं सूझता। नींद, चैन, सुकून उड़ जाना, भूख-प्यास न लगना, प्रेमी को निहारते रहना, यादों में खोये रहना, किसी काम में मन लगना वगैरह इसी अवस्था के लक्षण हैं। इस अवस्था में शरीर के तीन न्यूरो-कम्युनिकेटर केमिकल्स सक्रिय हो जाते हैं और मुस्तैदी से अपना काम करते हैं।

कई वैज्ञानिक अध्ययन यह भी बताते हैं कि लंबी उम्र पाना चाहते हैं तो किसी से दीवानों की तरह प्यार कीजिए। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्यार न केवल आपके अंदर स्फूर्ति पैदा करता है बल्कि जैविक घड़ी (बायोलोजिकल क्लॉक) को भी बदल देता है, जिसे आप शुरू में नहीं चाहते, मगर बाद में बेहद चाहने लगते हैं, इसके पीछे भी केमिकल लोचा ही है!

 

जानिए कैसे प्यार टेंशन भी देता है?

प्यार आपको तनाव भी देता है। (Matter Of The Heart) रिश्तों की उलझनों से दो चार हो रहे लोगों के दिमाग में कोर्टिसोल (cortisol) हॉर्मोन रिलीज होता है। ये तनाव का हार्मोन (stress hormone) भी कहलाता है। इश्क में बीमार महसूस करने के पीछे आप इस हॉर्मोन को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं।

 

घटती जा रही है प्रेम की उम्र

कुछ वर्ष पहले तक जब इंटरनेट क्रांति नहीं हुई थी। (Matter Of The Heart) भावनाओं को एक दूसरे तक पहुंचने के लिए चिट्ठियों का रास्ता तय करना पड़ता था। कई बार प्रेमी को एक मुश्किल सफर पार करना होता था। वो भी बंदिशों और दायरों से बंधे समाज में इतना आसान नहीं था। रिश्ते बनते भी मेहनत से थे और बिगड़ने से पहले भी सोच-विचार का वक्त मिल जाता था। दिमाग भावनाओं को प्रोसेस कर सकता था।

 

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