What is Sharia law: तालिबान (Taliban) के अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा करने के साथ, इस संगठन के आकाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे युद्धग्रस्त देश पर कैसे शासन करने जा रहे हैं। तालिबान ने साफ तौर पर कह दिया है कि संगठन शरिया या इस्लामी कानून के जरिए अफगानिस्तान पर शासन करेगा।
15 अगस्त को ही संगठन ने काबुल पर कब्जा कर अपनी जीत का ऐलान किया था। इस तरह तालिबान ने लगभग दो दशकों तक देश में अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन की मौजूदगी को लगभग खत्म कर दिया है।
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कंट्रोल करने के बाद आधिकारिक तौर पर सभी अफगान नागरिकों के लिए “माफी” की घोषणा की थी, लेकिन दूसरी ओर इसी संगठन के लोगों ने अफगान में हजारा समुदाय का कत्लेआम कर दिया। बहरहाल माफी घोषणा करते हुए इस्लामिक अमीरात संस्कृति आयुक्त के सदस्य ईनामुल्लाह समनगनी (Enamullah Samangani) ने महिलाओं से सरकार में शामिल होने का आग्रह किया।
उसने कहा इस्लामिक अमीरात नहीं चाहता कि महिलाओं को परेशानी हो। हालांकि लोगों का मानना है कि शरिया कानून की वजह से देश में महिलाओं की स्थिति बद से बद्तर हो सकती है।
आखिर क्या है शरीयत कानून? (Sharia law)
शरिया इस्लाम (Sharia law) की कानूनी व्यवस्था है। यह इस्लाम की पाक किताब कुरान, सुन्नत और हदीस से लिया गया है। शरिया का हिंदी में अर्थ है ‘पानी का एक साफ और व्यवस्थित तरीका’। ऐसे में सभी मुस्लिमों को शरीयत कानून के तहत जीने की रास्ता दिखाया जाता है। इसके तहत उन्हें इस्लाम में बताई गई बातों की पालना करनी होती है। जैसे नमाज पढ़ना, रोजा रखना और गरीबों को दान देना। इसका उद्देश्य मुसलमानों को यह समझने में मदद करना है कि उन्हें अपने जीवन के हर पहलू को ऊपर वाले की इच्छा के अनुसार कैसे जीना चाहिए।
व्यवहार में शरिया का क्या अर्थ है?
शरिया (Sharia law) हर मुस्लिम को दैनिक जीवन के हर पहलू के बारे में बताता या अवगत कराता है। उदाहरण के लिए, एक मुसलमान को उसके सहकर्मी काम के बाद पार्टी में आने के लिए आमंत्रित करते हैं। लेकिन अब वह सोच रहा है उसे पार्टी में शामिल होना चाहिए या नहीं, ऐसे मामले में वह मुस्लिम व्यक्ति सलाह के लिए शरिया (Sharia law) के विद्वान का रुख कर सकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपने धर्म के कानूनी ढांचे के भीतर कार्य करने में सक्षम है या नहीं। दैनिक जीवन के अन्य क्षेत्रों में जहां मुस्लिम समुदाय के लोग मार्गदर्शन के लिए शरिया कानून की ओर रुख कर सकते हैं, उनमें पारिवारिक कानून, वित्त और व्यवसाय भी शामिल हैं।
इस शरिया कानून की कठोर सजा के बारे में
शरिया कानून (Sharia law) अपराधों को दो श्रेणियों में अलग करता है। इसमें पहला ‘हद’ अपराध है, जो बेहद गंभीर अपराध है और सख्त सजा का प्रावधान है। दूसरा ‘तज़ीर’ अपराध है, जहाँ सजा देने का निर्णय न्यायाधीश के विवेक पर छोड़ा जाता है। ‘चरम’ अपराधों में चोरी शामिल है।
ऐसा करने पर जुर्म करने वाले के हाथ काट दिए जाते हैं। वहीं, यौन अपराधों के लिए कठोर से कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें पत्थर मारकर मौत की सजा भी शामिल है।
कुछ इस्लामी संगठनों ने तर्क दिया है कि इसके नियम ‘अत्यधिक’ अपराधों के लिए सजा की मांग करते समय कई सुरक्षा उपायों का प्रावधान करते हैं। ऐसे में सजा से पहले पुख्ता सबूत रखे जा सकते हैं इसके लिए नियमानुसार पर्याप्त समय भी मिलता है।
शरिया कानून के तहत कैसे लिए जाते हैं फैसले?
शरिया कानून, (Sharia law) किसी भी कानूनी प्रणाली की तरह, यह जटिल है और इसका अभ्यास पूरी तरह से विशेषज्ञों की गुणवत्ता और प्रशिक्षण पर निर्भर करता है। इस्लामी न्यायाधीश मार्गदर्शन और फैसला जारी करते हैं। मार्गदर्शन के तहत जिसे औपचारिक कानूनी निर्णय माना जाता है उसे फतवा पुकारा जाता है।
शरिया कानून के पांच अलग-अलग स्कूल हैं। चार सुन्नी सिद्धांत हैं- हनबली, मलिकी, शफी और हनफी और एक शिया सिद्धांत है जिसे शिया जाफरी पुकारा जाता है। पांचों सिद्धांत एक दूसरे से भिन्न हैं कि वे उन ग्रंथों की व्याख्या कैसे करते हैं जिनसे शरिया कानून सामने आता है।
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