Catch The Rain: जानिए किसानों के लिए कैसे फयदेमंद होगी बारिश Read it later

Catch The Rain: इस वर्ष देश के कई क्षेत्रों में मॉनसून सीजन में बारिश कम होने की संभावना जताई जा रही है। वहीं जिन क्षेत्रों में खेती बारिश पर ही निर्भर है वहां किसानों को सिंचाई में दिक्कत होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसी स्थिति में जल संरक्षण करना बेहद जरूरी हो गया है। यही वजह है कि जल शक्ति मंत्रालय ने “कैच द रेन” (Catch The Rain) अभियान शुरू किया है। इसे देशभर के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शुरू किया गया है।

देश में हर साल 25 मई से 1 जून के मध्‍य मॉनसून की एंट्री होती है। इस बार माॅनसून थोड़ा लेट बताया जा रहा है। मौसम विभाग की ओर से अब तक जारी की गई सूचना के मुताबिक, मानसून 4 जून तक केरल में प्रवेश करने की संभावना है। मानसून में यह देरी किसानों के लिए चिंता का सबब बन रही है। (Catch The Rain) हालांकि मौसम विभाग के मुताबिक जिस तरह से सामान्य मानसून की बात की जा रही है उससे उम्मीद तो है, लेकिन अलनीनो के लगातार व्यक्त होने की आशंका भी किसानों को परेशान कर रही है। ऐसे में देश के उन क्षेत्रों में जहां वर्षा आधारित कृषि की जाती है वहां पानी का संरक्षण करना बहुत जरूरी है, ताकि किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई में किसी तरह की कोई समस्‍या नहीं आए।

हम सभी के लिए फ‍िलहाल गुड न्‍यूज यह है कि जल शक्ति मंत्रालय भी इसमें किसानों की मदद करता है। इसके लिए कैच द रेन (Catch The Rain) अभियान शुरू किया गया है। बता दें कि जल संरक्षण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए इसे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में में देशभर में शुरुआत की गई है। इसे प्री मॉनसून व मॉनसून के ड्यूयूरेश के लिए लागू किया गया है। यहांं हम आपको बता रहे हैं कि कैच द रेन अभियान क्‍या है और इससे क्‍या फायदा होगा।

 

“कैच द रेन” (CATCH THE RAIN) अभियान क्या है?

जल शक्ति मंत्रालय ने “वर्षा जल संरक्षण, जहाँ भी संभव हो, जिस भी तरह से संभव हो” टैग लाइन के साथ “कैच द रेन” (Catch The Rain) अभियान शुरू किया है। यह अभियान केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल है। इसके अलावा यह अभियान देश भर के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शुरू किया गया है। इसके तहत ग्राम पंचायतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए जाते हैं। जो जल संरक्षण में सहायक है। वहीं देश में प्री-मानसून और मानसून काल में इसे 4 मार्च 2023 से 30 नवंबर 2023 तक लागू किया गया है। यह सिस्टम भविष्य के लिए काफी उपयोगी है। इससे बारिश का पानी व्यर्थ नहीं जाता है। जमीन में वॉटर का लेवल बैलेंस बना रहता है। साथ ही हैंडपंप और कुएं भी लंबे समय तक पानी दोहन के लिए काम में लिए जा सकते हैं।

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कैसे काम करता है?

छत के पानी के लिए जमीन में 10 फीट चौड़ा टैंक बनाया गया है। पाइप को बोर कर जमीन में गाड़ दिया जाता है। बीच में एक गड्ढा (फिल्टर) बनाया जाता है। इस गड्ढे में जाल, मिट्टी, मूरिंग, बालू भरा जाता है। टंकी से जमीन तक जाने वाली पाइप लाइन से पानी जमीन में जाता है। पंचायतों में तैयार रेन वाटर हार्वेस्टिंग के अंदर 70 फीट अंदर पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।

कैच द रेन(Catch The Rain) का क्‍या है मकसद

  • जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन पर ध्यान देने की जरूरत पर बल देते हुए युवा जल के महत्व को समझ सकेंगे।
  • जल संरक्षण या वॉट सेविंग के मुद्दे को प्राथमिकता देना।
  • शहरी क्षेत्रों में, यह सड़कों पर जल जमाव को कम करेगा और शहरी बाढ़ को रोकने में सहायक होगा।
  • बारिश के पानी को बर्बाद होने से बचाने में मदद मिलेगी
  • ग्राम स्तर पर संतुलित जल स्तर बनाए रखना।

 

कैच द रेन के लिए दिए गए दिशा-निर्देश

वॉट हार्वेस्टिंग के क्रियाकलापों को सुविधाजनक बनाने के लिए, राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे प्रत्येक जिले में – कलेक्‍ट्रेट / नगर पालिकाओं या जीपी कार्यालयों में “वर्षा केंद्र” की शुरुआत करें। इस अवधि के दौरान, इन वर्षा केंद्रों के पास एक समर्पित मोबाइल फोन नंबर होगा और एक इंजीनियर या आरडब्ल्यूएचएस में प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा संचालित किया जाएगा। यह केंद्र जिले में सभी के लिए एक तकनीकी मार्गदर्शन केंद्र के रूप में कार्य करता है कि बारिश कैसे गिरती है, कितनी गिरती है, कहां गिरती है। इसकी डेटा कलेक्‍ट रखा जाता है।

ऐसे में प्रयास किए जााने के लिए कहा गया है कि जिले के सभी भवनों की छत आरडब्ल्यूएचएस हो और किसी भी परिसर में गिरने वाले बारिश के पानी की अधिकतम मात्रा परिसर के भीतर ही रोकी जाए। मूल उद्देश्य यह होना चाहिए कि परिसर से पानी नहीं या केवल सीमित होगा। इससे मिट्टी की नमी में सुधार और भूजल स्तर को कम करने में मदद मिलेगी। शहरी क्षेत्रों में यह सड़कों पर पानी के बहाव को कम करेगा और शहरी बाढ़ को रोकेगा।

“कैच द रेन” (Catch The Rain) पहल के तहत, जिलों के सभी जल निकायों की गणना की जानी है, (राजस्व रिकॉर्ड के साथ जांच की गई है) और अतिक्रमण हटाया जाना है।

सभी जिला कलेक्टर, आईआईएम, आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के प्रमुख, रेलवे के अध्यक्ष, हवाई अड्डा प्राधिकरण, पीएसयू; केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आदि के महानिदेशक जिनके पास बड़ी मात्रा में भूमि है, उनसे “कैच द रेन” के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।

 

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