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Actor Pankaj Tripathi Love Story: 520 के करीब फिल्में, 65 के आस-पास टेलिविजन शोज‚ सात के करीब वेब सीरीज‚ फिल्म न्यूटन में बेहतरीन अदाकारी के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार। कुछ ऐसा 18 साल का अभिनय कॅरियर है कालीन भईया का। अपने हर किरदार में जान फूंकने का मादा रखने वाले पंकज त्रिपाठी आज अपना 46 वां जन्मदिन बना रहे हैं।
पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) के कॅरियर की बात करें तो उनकी शुरुआत फिल्म रन में छोट से किरदार से हुई थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्म तो की‚ लेकिन दर्शकों ने नोटिस उन्हें गैंग्स ऑफ वासेपुर से किया। जब वे ओटीटी पर वेब सीरीज मिर्जापुर में कालीन भैया के रूप में दर्शकों को नजी आए तो उनकी सफलता बुलंदियों पर पहुंच गई। लेकिन ये भी बता दें कि ये सक्सेस उन्हें किसी स्टारकिड की तरह रातोंरात नहीं मिली। यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा।
बिहार के बेलसंड गांव में जन्में पंकज अपने पिता की तरह ही जीवन के शुरुआती दिनों में पंडिताई कर्मकांड और खेती से जुड़ा काम ही किया करते थे। फिर जब उन्होंने अपने गांव की ही नोटंकी में ही लड़की का किरदार निभाना शुरू किया तो गांव के ही लोगों ने उन्हें अपनी पढाई पूरी करने के बाद अभिनय के क्षेत्र में मुकाम हासिल करने की सलाह दी।
यही से उन्हें ने मन बना लिया था कि अब उन्हें अभिनय में ही अपना कॅरियर बनाना है‚ लेकिन उनके सामने संकट ये था कि पंकज के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे।
एसे में उनके पिता ने उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए पटना रवाना कर दिया। यही पंकज कॉलेज में भाजपा के छात्रसंगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। यही वो समय था जब सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने पर उन्हें करीब 7 दिन जेल की हवा खानी पड़ी।
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जब अपनी पढ़ाई पूरी कर कॉलेज से निकले तो अभिनेता मनोज बाजपेयी से इंस्पायर हो चुके थे। उन्हीं की तरफ एक्टर बनना चाहते थे। ऐसे में पंकज ने अभिनय सीखना शुरू कर दिया। इसी दौरान अपने रोजमर्रा के एक्सपेंसेज के लिए वे होटल में कुक का काम करने लगे। यहां दो साल अभिनय के बेसिक सीखेन के बाद एक्टिंग की बारिकियां सीखने के लिए वे दिल्ली पहुंचे फिर कुछ समय के बाद मुंबई आ गए।
पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi struggle) का ये संघर्षमय जीवन कैसा रहाॽ किस तरह उन्होंने ये मुकाम हासिल किया। उनकी यही कहानी युवओं को प्रेरित करने वाली है। जानें उनके संघर्षरत जीवन से सफलता के पायदान चढ़ने की कहानी के बारे में‚ जिससे आप भी प्रेरणा ले सकते हैं।
स्कूल की पढ़ाई पेड़ की छाया में बैठ पूरी की
बिहार की टिपिकल हिंदू ब्राह्मण परिवार में 5 सितंबर 1976 को जन्मे पंकज त्रिपाठी के पिता पेशे से एक किसान थे और गांव के ही मंदिर में पंडित का कार्य करते थे। जब पंकज पैदा हुए थे तब उनका गांव भी इतना पिछड़ा था कि गांव में स्कूल में बिजली जैसी जरूरी सुविधा भी नसीब नहीं हो पाती थी। ऐसे में पंकज की स्कूली पढ़ाई पेड़ की छाया में बैठ कर पूरी हुई। पंकज के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा उनके तीन भाई हन भी हैं।
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गांव की नोटंकी में लडकी का किरदार निभा सीखे अभिनय के शुरुआती गुर
पंकज त्रिपाठी स्कूली शिक्षा ले रहे थे तभी से खेत में अपने पिता का हाथ बंटाया करते थे। वहीं इसी दौरान जब उनके पिता गांव में पंडित का कार्य करते तो पंकज भी अपने पिता की मदद करते थे। जब पे कक्ष ग्यारहवी में आए तो गांव में ही आयोजित होने वाली नोटंकियों में लड़की का किरदार निभाना शुरू कर दिया। अपने अभिनय का शुरुआती गुर उन्होंने यहीं से सीखा। गांव के लोग उनके अभिनय को खूब पसंद किया करते थे।
वहीं पंकज के अभिनय के तारीफों के पुल बांधकर हंसी मजाक में ही उन्हें मुंबई जाकर फिल्मों के अभिनय की सलाह दे दिया करते थे। किसे पता था कि पंकज इसे गंभीरता से ले लेंगे ओर सच में बॉलीवुड के धुरंधर अभिनेताओं की फेहरिस्त में शामिल हो जाएंगे।
उन दिनाें पंकज मनोज बाजपेयी के खासे फैन थे‚ वजह ये कि एक तो ये मनाेज भी बिहार से ताल्लुक रखते थे और दूसरा ये कि मनोज भी नॉन फिल्मी बैकग्राउंड के होते हुए बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके थे।
पिता चाहते थे कि पंकज डॉक्टर बने और इसी में अपना कॅरियर बनाएं
पंकज त्रिपाठी के पिता उन्हें डॉक्टर बनते देखना चाहते थे। ऐसे में जब स्कूली पढ़ाई पूरी हुई तो पंकज को उन्होंने गांव से बाहर हाजिपुर भेज दिया‚ लेकिन यहां पंकज ने होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। क्योंकि पंकज तो अपना कॅरयिर अभिनय के क्षेत्र में ही बनाने की ठान चुके थे। इस लिए कॉलेज की पढ़ाई के बीच पंकज थिएटर भी करने लगे।
लाूल की राज्य सरकार की खिलाफत में गए जेल
पंकज पॉलिटिक्स में कॉलेज के दिनों में काफी एबीवीपी के सदस्य रहते हुए सक्रिय भी रहे। ये वो समय था जब बिहार में लालू यादव की सरकार हुआ करती थी। एक बार यूं हुआ कि उन्होंने अपने छात्रसंगठन के साथ मिलकर राज्य सरकार की उस दौरान की जनविरोधी नितियों का विरोध किया। जिसके चलते पंकज को करीब 7 दिनों के लिए जेल भी जाना पड़ा।
पटना में नौकरी के दौरा की कुक की नौकर फिर किया NSD का रुख
पंकज त्रिपाठी ने पढ़ाई के बाद पटना के एक होटल में कुक की नौकरी भी की। इस दौरान वे थिएटर में भी सक्रिय रहे। यहां करीब दो साल काम करने के उन्होंने दिल्ली का रुख किया और यहां उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में प्रवेश ले लिया।
NSD से मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का सफर भी नहीं था आसान
पंकज त्रिपाठी जब दिल्ली में एनएसडी से अभिनय में पारंगत होकर मुंबई पहुंचे तो यहां भी कोई रेड कार्पेट नहीं था… या कोई स्टारकिड की तरह उन्हें लॉन्च करने को लेकर कोई बड़ा प्रोडक्शन हाउस बैनर उनका इंतजार कर रहा था। असल में मायनों में असली संघष तो उनका यहीं से शुरू हुआ।
वे बिहार से थे और भोजपुरी भाषा और थोड़ी बहुत हिंदी से परिचित थे। ऐसे में अंग्रेजी को लेकर उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा। इसके बाद साल 2004 में उन्हें फिल्म रन में एक छोटा सा किरदार करने का अवसर मिला।
ये इतना छोटा सा किरदार था कि आप दर्शक उनके नोटिस भी नहीं कर पाए। ये वही सीन था जब विजयराज गलती से कऊआ बिरायनी खाते हैं और पंकज त्रिपाठी का किरदार विजयराज को नदी कहकर नाले में गोता लगवा देता है। इसके बाद पंकज ने छोटे- मोटे किरदार फिल्माें में निभाए। नीचे वीडियो क्लिप में आप पंकज त्रिपाठी के छोटे से रोल को देख सकते हैं।
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गैंग्स ऑफ वासेपुर में किया गया नोटिस
पंकज कई फिल्मों में छोटे- मोटे रोल करते रहे‚ लेकिन उन्हें सही मायनों में नोटिस गैंग्स ऑफ वासेपुर में किया गया। इसमें उनके रिकदार को लोगों ने काफी पसंद किया। इसके बाद तो उन्होंने कई फिल्मों में किरदार निभाए। इसके बाद उन्हें वेब सीरीज मिर्जापुर में खूब सराहना मिली। कालीन भईया का किरदार दर्शकाें ने खूब पसंद किया। आपको बता दें कि पंकज त्रिपाठी अब तक 520 के करीब फिल्में, 65 टेलिविजन शोज और 7 वेब सीरीज में अपने अभिनय का जोहर दिखा चुके हैं।
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ऐसी रही पर्सनल लाइफ
दरअसल पंकज की शादी की कहानी भी रोचक है। बता दें कि 17 साल की उम्र में पंकज को उस दौरान अपनी भावी जीवनसंगिनी मृदुला से एक शादी समारोह में प्यार हुआ था। उनकी ये प्रेम कहानी थोड़ी बहुत कठिन रही। पंकज ने खुद ये बात कही थी कि उनकी बहन की शादी मृदुला के ब्रदर से हुई थी। वहीं उनके घर की परंपरा था कि उनकी शादी बहन की ननंद से नहीं हो सकती थी।
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फिर भी प्यार में पड़े पंकज कहां रुकने वाले थे। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खबू मनाया और वे आखिरकार वे इसमें सफल भी रहे। जिसके चलते 15 जनवरी 2015 को उन्होंने मृदुला से शादी की। अब दोनों की एक बेटी हैं‚ जनिका नाम आशी है।
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पंकज त्रिपाठी के ही शब्दों में…
मेरी बहन का विवाह हो रहा था… लेकिन उसके ससुरालवाले मेरी बहन के आने से पहले एक टॉयलेट बनवाना चाहते थे…। यह ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ से बहुत पहले की बात है….। मेरा दोस्त उनके ससुराल गया…, ये देखने कि मरम्मत का क्या काम हो रहा है…। उसने वहां एक लड़की देखी… और मुझे आकर उसके बारे में बताया…। उसने कहा कि वह बहुत सुंदर है…। हिरण की तरह चलती है…। मैंने उसकी तारीफें सुनीं और खो गया…। इसके 11 साल बाद उससे मेरी शादी हुई….। हम दोनों साल 1993 से 2004 तक बस एक-दूसरे को देखा करते थे….। उस समय मैं ड्रामा स्कूल जाया करता था….। वह समय बहुत अलग था… मैं क्योंकि उस समय मोबाइल फोन नहीं होते थे…। खत लिख नहीं सकते थे… क्योंकि लगता था कि कहीं घर में उसे कोई भी खोलकर पढ़ न ले…। जब मैं NSD गया…., वहां फोन था… और उसके घर में लैंडलाइन थी…। हमने तय किया रोज सुबह 7.30 am और रात के 8:00 बजे बात करेंगे…।
न्यूटन में बेहतरीन अदाकारी से हासिल किया राष्ट्रीय पुरस्कार
पंकज त्रिपाठी ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने अपने फिल्मी सफर में बेहतीन अभिनय किए। इसके चलते उन्हें कई सम्मान भी मिले। इसी तरह न्यूटन में उन्हें अपनी बेहरीन अदाकारी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं फिल्म लूडो के लिए इंटरनेशल फिल्म एकेडमी अवॉर्ड हासिल किया। इसी तरह फिल्म मिमी के लिए उन्होंने फिल्म फेयर अवॉर्ड हासिल किया।
कॅरियर की शुरुआत में कोई स्टूडियों में घुसने तक नहीं देता था‚ अब कई निर्माता लाइन लागकर ऑफर के साथ खड़े रहते
पंकज त्रिपाठी अपनी उम्र के 46 सोपान पूरे कर चुके हैं। अपने शुरुआती दिनों के इंसीडेंट को साझा करते हुए वे कहते हैं कि जब वे मुंबई में नए-नए थे तो संघर्ष के दिनों में सिक्योरिटी गार्ड उन्हें स्टूडियो में घुसने तक नहीं देते थे।
प्रोड्यूसर बात तक नहीं करते थे। अब वहीं निर्माता फिल्मों के ऑफर के साथ लाइन लगाते हैं। पंकज त्रिपाठी की नेटवर्थ की बात करें तो वे फिलहाल 40 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। फिलहाल पंकज अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा कर रहे हैं। जिसमें ओह माय गॉड-2 भी शामिल है।
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