AI Anxiety: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण अमेरिका सहित दुनियाभर के देशों में कर्मचारी नौकरी की जाने के खतरे को लेकर चिंतित हैं। अमेरिका में इलाज या समाधान के लिए डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों के पास आने वाले ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है, जो कहीं न कहीं नौकरी करते हैं और इस बात से चिंतित रहते हैं कि न जाने कब उनकी नौकरी चली जाएगी।
इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। (AI Anxiety) दुनियाभर के एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स ऐसे कर्मचारियों की टेंशंस को एआई एंग्जायटी कह रहे हैं। न्यूयॉर्क के डॉक्टर क्लेयर गुस्तावसन के अनुसार हमारे पास आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो एआई के बारे में खुद की भविष्य की चिता को शेयर कर रहे हैं। गुस्तावसन के अनुसार इन वर्कर्स की किसी भी तरह की नई और अज्ञात चीज़ चिंता पैदा करने वाली होती है। उनके अनुसार नई तकनीक इतनी स्पीड से से बढ़ रही है कि इसके बारे में कोई निश्चित प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती।
तकनीक की स्पीड में इतनी तेजी है कि आप किसी भी तरह की का रिएक्शन देंगे और तकनीक आपसे दो कदम आगे निकल चुकी होगी और आपका स्टेटमेंट आउटडेटेड हो चुका होगा। (AI Anxiety) गुस्तावसन कहते हैं ये बात आपको हास्यप्रद लगेगी लेकिन सच यही है कि तकनीक तेज से बदल रही है।
एआई पटकथा लेखकों के लिए भी खतरा बन रही
बैंक वर्कर टेलर एरिक कहते हैं, मुझे उम्मीद है कि अगले 10 साल में मेरी नौकरी पुरानी हो चुकी होगी। मैं करियर बदलना चाह रहा हूं क्योंकि मेरा बैंक AI अनुसंधान का विस्तार करता जा रहा है। (AI Anxiety) न्यूयॉर्क में रहने वाले डॉ. मैरिस पॉवेल कहते हैं, मनोरंजन जगत के एक्सपर्ट्स फिल्म और टेलीविजन निर्माण में AI के यूज को लेकर परेशान और चिंतित हैं।
पॉवेल कहते हैं, AI अब अभिनेताओं और पटकथा लेखकों के लिए भी खतरा बनता जा रहा है। डॉ. क्लेयर गुस्तावसन के अनुसार मुख्य रूप से क्रिएटिव फील्ड से जुड़े लोगो में AI को लेकर चिंता ज्यादा है। यानी इस क्षेत्र से जुड़े लोग ज्यादा चिंता कर रहे हैं। (AI Anxiety) हालांकि AI कितना सटीक आउटपुट देगा इसपर अभी संशय है, क्योंकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जिस किसी भी कार्य को हर दिन एक तरीके से किया जाता हो वहां तो AI बेस्ट आउटपुट देगा , लेकिन क्रिएटिव फील्ड में सटीक परिणाम के लिए AI को अभी वक्त लगेगा।
AI अभी सीख रहा है, जब एक्सपर्ट बनेगा तब तक इसका इस्तेमाल भी आसान होगा- एक्सपर्ट
अमेरिका की हार्वड यूनिवर्सिटी के AI एक्सपर्ट कहते है, अभी हम कह सकते है कि AI अपने शेशव काल में हैं ये हमारे दिए जा रहे इनपुट्स को स्टोर कर रहा है और सीख रहा है। जैसाकि 25 साल पहले गूगल इंजन कर रहा था। (AI Anxiety)तो हम यह मान सकते हैं कि अभी एआई को परफेक्ट रिजल्ट देने में काफी कुछ सीखना है। लेकिन आप यह भी सोचें कि जब तक एआई सीख चुका होगा तब तक ह्यूमन भी इस AI का तोड़ निकालने में या AI को आसानी से इस्तेमाल करने में सक्षम हो चुका होगा। यह भी कहा जा सकता है कि आने वाले समय में AI को बनाने वाले ही AI के इस्तेमाल को इतना आसान बना दें कि लोग इससे डरे नहींं बल्कि इसक इस्तेमाल अपनी वर्किंग लाइफ में बखूबी तरीके से कर पाएंगे।
लेखक संघ ने कहा- लेखकों को गिग वर्कर्स बनकर रह जाएंगे
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हॉलीवुड में नए विचार, कहानी, संवाद और पटकथा लेखन का काम किया जा रहा है। (AI Anxiety) इससे लेखकों को काम मिलना बंद होता जा रहा है। लेखक संघ के प्रमुख फ्रैन ड्रेशर ने कहा कि कलाकार रोजाना की बर्खास्तगी से तंग आ चुके हैं। अब काम मिलना कम हो गया है। एआई के कारण कंपनियों ने लेखकों को गिग वर्कर की तरह बना दिया है।
कर्मचारियों में एआई की चिंता आखिर क्यों बढ़ती जा रही
साल नवंबर 2022 में लॉन्च हुआ चैटजीपीटी, एक जेनरेटिव एआई प्लेटफॉर्म, जटिल कार्यों को एक ही कमांड में सेकंड के भीतर पूरा कर सकने में सक्षम है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि AI कानूनी सहायक, प्रोग्रामर, अकाउंटेंट और वित्तीय सलाहकार जैसे काम कुशलता से कर पा रहा है और यह कर भी सकता है। इसी साल मार्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गोल्डमैन सैक्स के एनालेसिस्ट का मानना है कि जेनेरिक एआई (AI Anxiety) लगभग 300 मिलियन नौकरियों खत्म नहीं कर रहा है तो प्रभावित तो जरूर कर रही रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है
AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसी मशीन, जो बुद्धिमान हो, खुद से डेटा का एनालिसिस कर सके, बात कर सके, भाषाएं बोल और समझ सके। मुश्किल सवालों के जवाब तलाश सके। दिए गए काम को अंजाम दे सके।
AI से होने वाले खतरे कम नहीं, जानिए क्या हैं इसके साइड इफेक्ट्स
- प्राइवेसी – स्मार्टफोन में आवाज को
पहचानने वाला AI प्रोग्राम ई-मेल और कॉल पर की गई हर बातचीत को समझ सकता है। - सुरक्षा- दुनिया को एडवांस तकनीक बेचने वाले – देश AI में ताकतवर होकर कमजोर देशों के लिए खतरा बन सकते हैं।
- सच पर खतरा – AI ई-कॉमर्स और – वेबसाइट्स पर फेक रिव्यू और झूठे आर्टिकल लिखकर सच के लिए खतरा खड़ा कर सकती है।
- बेरोजगारी – AI के शुरुआती दौर में ही कई
सेक्टरों में इसकी वजह से नौकरियां जाने लगी हैं। इससे बेरोजगारी बढ़ सकती है। - नस्लवाद – AI के रंग के आधार पर लोगों से
भेदभाव करने के सबूत मिले। उसे मिलने वाले इनपुट से यह तकनीक नफरत बढ़ा सकती है। - आतंक – इंटरनेट पर आतंकियों का दखल बढ़ रहा है। AI गलत हाथों में गया तो खतरा बढ़ेगा।
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