Kailash Mansarovar: भगवान देवों के देव महादेव यानी शिवजी का निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत को अब भारत से भी दर्शन किए जा सकेंगे। यह रास्ता बनने के बाद इसके लिए चीन के कब्जे वाले तिब्बत में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सर्वे के अनुसार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों से कैलाश पर्वत साफ दिखाई देता है। यहां से पर्वत की हवाई दूरी 50 किमी मापी गई है।
बता दें कि इस नए दर्शन मार्ग की खोज स्थानीय ग्रामीणों ने की है। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम ने रोड मैप, लोगों के रुकने की व्यवस्था, दर्शन स्थल (Kailash Mansarovar) तक पहुंचने का रास्ता और अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्वे किया।
अब सर्वे के अधिकारी अपनी रिपोर्ट पर्यटन मंत्रालय को सौंपेंगे। इसके बाद इस नये दर्शन स्थल पर काम शुरू हो जाएगा। एक्सपर्ट टीम में शामिल कृति चंद ने बताया कि लिपुलेख की जिस पहाड़ी से पहाड़ दिख रहा है, वह नाभीढांग से महज 2 किमी ही ऊपर है।
यहां से 4-5 दिन की यात्रा करके कैलाश पर्वत (Kailash Mansarovar) के दर्शन किये जा सकते हैं। श्रद्धालुओं को सड़क मार्ग से धारचूला और बूढ़ी होते हुए नाभीढांग पहुंचना होगा। इसके बाद दो किलोमीटर की चढ़ाई पैदल तय करनी होगी।
2 किलोमीटर की चढ़ाई के लिए भारत सरकार की ओर से रास्ता बनाया जाएगा
पर्यटन विभाग का कहना है कि ओल्ड लिपुलेख तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है, जो काफी कठिन है। यहां तक पहुंचने के लिए सड़क भी बनाई जा सकती है। स्नो स्कूटर की मदद से भक्तों को दर्शन के लिए पहाड़ी की चोटी तक भी ले जाया जा सकता है।
लिंपियाधुरा चोटी से भी देखा जा सकता है पर्वत (Kailash Mansarovar)
स्थानीय लोगों का यह भी दावा है कि पिथौरागढ में ही ज्योलिंगकांग से 25 किमी ऊपर लिम्पियाधुरा चोटी से कैलाश पर्वत देखा जा सकता है।
लिंपियाधुरा चोटी के पास ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती सरोवर हैं। यहां से कैलाश पर्वत के दर्शन से इस क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन का दायरा बढ़ेगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2019 से बंद है (Kailash Mansarovar)
साल 2019 में कैलाश मानसरोवर यात्रा हुई थी. उसके बाद पहले कोरोना, फिर भारी बर्फबारी के कारण यात्रा रोक दी गई।
वर्तमान में यात्रा करने में 2 से 3 हफ्ते लगते हैं
कैलाश यात्रा 3 अलग-अलग राजमार्गों से होती है। पहला- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), दूसरा- नाथू दर्रा (सिक्किम) और तीसरा- काठमांडू। इन तीन मार्गों पर न्यूनतम 14 और अधिकतम 21 दिन लगते हैं। 2019 में 31 हजार भारतीय तीर्थयात्रा पर गए थे।
कैलाश की परिक्रमा 52 कि.मी की है
कैलाश पर्वत (Kailash Mansarovar) श्रृंखला कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है। यह पर्वत ल्हा चू और झोंग चू के बीच स्थित है। यहां दो जुड़ी हुई चोटियां हैं। इसमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है। इस चोटी का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा है।
हिंदू धर्म में इसकी परिक्रमा का बहुत महत्व है। परिक्रमा 52 किमी की है। तिब्बत के लोगों का मानना है कि उन्हें इस पर्वत की 3 या 13 परिक्रमा करनी चाहिए। वहीं, तिब्बत के कई तीर्थयात्री दंडवत प्रणाम करते हुए इसकी परिक्रमा पूरी करते हैं।
उनका मानना है कि एक परिक्रमा से एक जन्म के पाप धुल जाते हैं, जबकि दस परिक्रमा से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। इसी तरह 108 परिक्रमा पूरी करने वाले जातक को जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।
Pilgrims require Chinese visa for 'darshan' of Mount Kailash. And, China hikes Kailash Mansarovar Yatra fees, Indians will have to spend Rs 1.85 lakh
Now, alternate route found in Uttarakhand for glimpse of Mount Kailash
BRO & Uttarakhand Govt are in process of finalising route pic.twitter.com/X166gy3w0V
— Anshul Saxena (@AskAnshul) June 30, 2023
जहां से पर्वत दिख रहा वो नाभीढांग से दो किमी. ऊपर
सर्वे टीम में शामिल कृति चंद के मुताबिक, जिस जगह से पहाड़ साफ दिखता है वह जगह नाभीढांग से 2 किमी ऊपर है। इस खास जगह तक पहुंचने के लिए सबसे पहले सड़क मार्ग से धारचूला और बूढ़ी होते हुए नाभीढांग पहुंचना पड़ता है। इसके बाद दो किमी चढ़ने पर व्यू प्वाइंट मिलेगा। वैसे तो यह चढ़ाई काफी कठिन मानी जाती है, लेकिन भविष्य में इस पर ट्रैकिंग रूट तैयार किया जा सकता है।
यहां से कम खर्च में कर सकेंगे महादेव के दर्शन
वर्तमान में, तीन मार्गों से लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), नाथू दर्रा (सिक्किम) और नेपाल में काठमांडू से कैलाश मानसरोवर की यात्रा की जाती है। जिसमें प्रति व्यक्ति कम से कम दो लाख रुपये की राशि खर्च होती है । ऐसे में हर आम आदमी के लिए ये यात्रा काफी महंगी पड़ती है। नए रास्ते से कम खर्च में भगवान महादेव के ‘घर’ के दर्शन आमजन कर सकेंगे।
भारत का हिस्सा, लेकिन अब चीन के कब्जे में
1962 में जब भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ तो चीन ने भारत के कैलाश और मानसरोवर (Kailash Mansarovar) पर कब्ज़ा कर लिया। अब यहां पहुंचने के लिए चीनी पर्यटक वीजा लेना होगा। इस कारण कैलाश जाना आसान नहीं है। आईटीबीपी के जवानों और चीनी सैनिकों की पचासों तरह की चेकिंग के बाद मानसरोवर पहुंचा जाता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा दो से तीन सप्ताह तक चलती है (यह इस पर निर्भर करता है कि आप यात्रा किस पॉइंट से शुरू करते हैं।)।
कैलाश पर्वत से जुड़ी मान्यताएं (kailash mansarovar yatra)
- कैलाश पर्वत (Kailash Mansarovar) पर रेडियोएक्टिविटी ज्यादा है
- इस पर कोई चढ़े तो नीचे नहीं आ सकता
- ऊपर जाने के बाद बाल और नाखून लंबे हो जाते हैं
- कैलाश चढ़ने की कोशिश करने वाले को बुढ़ापा जल्दी आता है
- तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा 1928 में शिखर पर पहुंचे थे
कैलाश पर्वत से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
- यह पर्वत (Kailash Mansarovar) शिवजी का निवास स्थान है भगवान ऋषभदेव को यहीं निर्वाण मिला था कैलाश पर्वत पृथ्वी केंद्र बिंदु है।
- ऋग्वेद में हिमालय के सबसे पवित्र शिखर होने का वर्णन बौद्ध ग्रंथों में ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु बताया गया।
- शिव, ब्रह्मा, मरीच, रावण, भस्मासुर ने यहीं तप किया।
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