Guru Purnima Festival 2023:गुरु पूजा का महापर्व आषाढ़ पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) सोमवार, 3 जुलाई को है। शास्त्रों में गुरु का स्थान भगवान के समान बताया गया है, क्योंकि गुरु ही हमें भगवान को पाने का मार्ग दिखाते हैं। 29 जून को देवशयनी एकादशी थी और उसके बाद गुरु पूर्णिमा का त्योहार आता है यानी देव शयन के बाद गुरु ही हमें संकटों से बचाते हैं।
वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम शर्मा के अनुसार गुरु अपने उपदेश से शिष्य की अज्ञानता दूर कर देते हैं। देवशयनी एकादशी के पश्चात गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) का अर्थ है कि देवशयन के बाद गुरु का ही सहारा जातकोंं को रहता है। गुरु ही अपने शिष्यों का कल्याण करते हैं। इसीलिए गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना जाता है।
आषाढ़ पूर्णिमा है देव व्यास जी की जन्म तिथि
प्राचीन काल में महर्षि वेद व्यास का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) को हुआ था। वेद व्यास जी ने वेदों का संपादन किया, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता, 18 पुराणों की रचना की। गुरु पूर्णिमा वेद व्यास की जयंती पर ही मनाई जाती है।
गुरु पूर्णिमा किस तरह मनाएं
कहा गया है कि हमें प्रतिदिन गुरु की पूजा करनी चाहिए, कारण यह है कि गुरु के बगैर हमारे जीवन में प्रकाश नहीं आ पाता, लेकिन गुरु पूर्णिमा दिवस (Guru Purnima Festival) पर गुरु पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन अपने गुरु को नए कपड़े, कोई उपहार, शॉल-श्रीफल या कोई अन्य उपहार में दे सकते हैं। इसके लिए गुरु को तिलक लगाएं। पुष्प माला पहनाएं। गुरु के पैर छूकर आशीर्वाद लें। उनकी शिक्षाओं को सुनें और उनकी शिक्षाओं को जीवन में अपनाने का प्रण लें।
इस मंत्र का जप भी कर सकते हैं
गुरु दोष को दूर करने का एक उपाय स्वरूप गुरु के मंत्र का जप भी करना चाहिए। (Guru Purnima Festival) गुरु ग्रह के मंत्र ओम बृं बृहस्पतये नमः का जाप करें। इस मंत्र का जप करने से कुंडली में गुरु का नकारात्मक दोष दूर हो जाता है और गुरु कृपा मिलने लगती है।
सूर्य देव हैं हनुमानजी के गुरु
(Guru Purnima Festival) जब हनुमान जी शिक्षा प्राप्त करने के योग्य हो गए, तो उनकी माता अंजनी और पिता केसरी ने उन्हें सूर्य देव के पास भेज दिया। हनुमानजी ने सूर्य देव से अपने गुरु बनने और उन्हें सभी वेदों का ज्ञान देने का अनुरोध किया।
सूर्य देव ने हनुमानजी से कहा कि मैं एक क्षण के लिए भी नहीं रुक सकता। मुझे चलते रहना है। मैं सदा रथ पर सवार हूं, इसलिए मैं तुम्हें ज्ञान नहीं दे पाऊंगा।
सूर्य देव की बात सुन हनुमानजी ने कहा कि आपको कहीं रुकने की आवश्यकता नहीं है। आपके चलते चलते ही मुझे ज्ञान प्राप्त हो जाएगा। मुझे शास्त्रों का ज्ञान देते रहिए, मैं आपकी चलायमान अवस्था में ही आपके साथ सब कुछ समझ लूंगा। सूर्य देव हनुमानजी को इस प्रकार ही ज्ञान देने के लिए तैयार हो गए।
हनुमान जी को चलते हुए ही सूर्य देव ने सभी वेदों का ज्ञान दे दिया। इस प्रकार हनुमान जी को ज्ञान सूर्य देव की कृपा से ही प्राप्त हो पाया।
गुरु दीक्षा आपको कब लेनी चाहिए?
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) के दिन बहुत से लोग गुरु बनाते हैं और गुरु से दीक्षा भी लेते हैं। यदि आपके पास कोई गुरु नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार गुरु पूर्णिमा के महत्वपूर्ण दिन किसी विद्वान गुरु से दीक्षा ले सकते हैं। गुरु सदैव आपके जीवन का मार्गदर्शन करेंगे और इससे आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आएंगे। शास्त्रों में दीक्षा लेना और देना दोनों को बहुत पवित्र माना गया है।
गुरु दीक्षा कैसे ले सकते हैं?
यदि आपने पहले गुरु दीक्षा ली है तो गुरु पूर्णिमा के दिन उस गुप्त गुरु मंत्र का जाप करें जो आपके गुरु ने आपके कान में बताया है। वहीं अगर आपने कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं बनाया है या किसी से गुरु दीक्षा या मंत्र नहीं लिया है तो गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु को अपना गुरु मानकर उन्हें प्रणाम करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) पर दीक्षा लेने का शुभ समय भी जान लें
गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग बन रहा है। इन शुभ योगों में आप अपने गुरु से दीक्षा ले सकते हैं।
- ब्रह्म योग: रविवार 02 जुलाई सुबह 07:26 बजे से 03 जुलाई दोपहर 03:45 बजे तक।
- इंद्र योग: सोमवार 03 जुलाई दोपहर 03:45 बजे से 04 जुलाई सुबह 11:50 बजे तक।
गुरु न हो तो क्या करें?
जिनके गुरु नहीं हैं उन्हें अपने इष्टदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। आप शिव, विष्णु, गणेश, सूर्य देव, देवी मां दुर्गा, हनुमान जी, भगवान श्रीकृष्ण को गुरु स्वरूप मानकर उनकी पूजा कर सकते हैं। इनके अलावा अपने माता-पिता, घर के अन्य बुजुर्गों को भी गुरु मानकर उनकी पूजा करें। जिन जातकों ने अब तक किसी को अपना गुरु नहीं माना है, वे गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) के दिन किसी योग्य गुरु स्वरूप व्यक्ति को अपना गुरु मानकर उनसे गुरु दीक्षा ले सकते हैं।
इन चीजों का मस्तक पर तिलक लगा सकते हैं
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन माथे पर हल्दी या चंदन का तिलक लगाना चाहिए। साथ ही पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए। ऐसा करने से गुरु ग्रह मजबूत बनते हैं।
शास्त्रों में गुरु से जुड़ी मान्यताएं
शास्त्रों व वेद पुराणों की मान्यता के अनुसार जिनका कोई गुरु नहीं होता, उनकी पूजा भगवान को भी अस्वीकार्य होती है। (Guru Purnima Festival) मान्यता के अनुसार गुरुहीन व्यक्ति की ओर से किया गया श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि पितृ देवता भी स्वीकार नहीं करते। इसलिए किसी योग्य व्यक्ति को जरूर गुरु बनाकर उनसे गुरु दीक्षा लेनी चाहिए। यह भी ध्यान रखेंं कि गुरु के पास कभी भी खाली हाथ नहीं जाएं। गुरु के पास जाते समय उनके लिए श्रीफल, कोई वस्त्र, भोजन या कोई उपहार लेकर जा सकते हैं। गुरु के दिए मंत्र का जाप करना चाहिए वहीं इस गुरु मंत्र को गुप्त रखना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार जिस प्रकार मंत्री का पाप उनके राजा को और स्त्री का पाप पति को लगता है, उसी प्रकार शिष्य का पाप गुरु को लगता है। इसलिए जीवन में ऐसा कोई भी कर्म नहीं करना चाहिए, जिससे आपके गुरु को अपमानित या शर्मिंदा होना पड़े।
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