Mauni Amavasya: नदी स्नान‚ तीर्थ दर्शन व शनि पूजन का दिन‚ बनेंगे बिगड़े काम Read it later

Mauni Amavasya: शनिवार, 21 जनवरी को माघ मास की अमावस्या है। जब अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है तो उसे शनैश्चरी अमावस्या कहते हैं। इस दिन किसी नदी में स्नान करने की परंपरा है। तीर्थ यात्रा करें और शनि देव की पूजा करें। मौनी अमावस्या पर दिन भर मौन रहकर पूजा करने की परंपरा है। माघ मास में प्रयागराज में मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम शर्मा  के अनुसार माघ मास की अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और धूप-ध्यान जरूर से करना चाहिए है। शनैश्चरी अमावस्या पर दान-पुण्य अवश्य भी करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को कंबल, जूते-चप्पल, कपड़े, काले तिल और अनाज का दान करना चाहिए। किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें।

इस वर्ष माघ कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि का प्रारंभ 20 व 21 जनवरी 2023 की मध्यरात्रि के बाद से शनिवार को सूर्योदय से पहले प्रात: 5:09 बजे होगा। जो अगले दिन यानी 21 जनवरी 2023, शनिवार को 2:49 बजे तक रहेगा ऐसे में सूर्योदय पूरे दिन शेष रहते हुए रात्रि के 2:49 बजे तक रहेगा।

शनैश्चरी अमावस्या (shanichari amavasya 2023) पर गंगा स्नान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन प्रयागराज के पवित्र संगम यानी काशी की त्रिवेणी और चंद्रावती बलुआ में चुपचाप स्नान करके चंदन गंगा के पश्चिमी चैनल में स्नान और दान करने से अच्छा फल मिलता है।

 

ऐसे कर सकते हैं शनिदेव की पूजा (Mauni Amavasya)

शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए यानी मूर्ति पर तेल चढ़ाना चाहिए। इसके शनिदेव को नीला वस्त्र अर्पित करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। किसी जरूरतमंद को तेल और काले तिल का दान करें। शनिदेव के मंदिर में दर्शन व पूजा करें।

 

माघ अमावस्या पर कर सकते हैं ये शुभ काम

  • माघ अमावस्या (Mauni Amavasya) पर गंगा, यमुना, सरस्वती, शिप्रा, नर्मदा, गोदावरी, अलकनंदा आदि पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। पौराणिक महत्व के मंदिर में जाएँ। इस दिन कोई भी धाम, ज्योतिर्लिंग या अन्य किसी तीर्थ के दर्शन कर सकता है।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो ॐ रामदूताय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा, जनेऊ, शहद आदि चीजें चढ़ाएं। फूलों से सजाएं। मिठाई का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें।
  • केसर मिले दूध से भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। माला और फूलों से सजाएं। मिठाई चढ़ाएं, दीपक जलाएं। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
  • अगर घर में बाल गोपाल की मूर्ति है तो उसकी भी पूजा करें। नए वस्त्र अर्पित करें। ॐ कृं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप करें।

 

माघी-मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2023 Date) शनिवार को होने के कारण इस दिन शनैश्चरी अमावस्या का भी विशेष योग रहेगा। यह शुभ संयोग 20 साल बाद बन रहा है। इससे पहले ऐसा 1 फरवरी 2003 को हुआ था। जब माघ मास की अमावस्या शनिवार के दिन पड़ी थी और इस दिन मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाता था। अब ऐसा योग चार साल बाद यानी 6 फरवरी 2027 को बनेगा।

 

माघ अमावस्या पर स्नान, दान और व्रत करने की परंपरा क्यों

माघ अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा क्यों ये भी जान लीजिए। यदि यह संभव न हो तो जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। माघ मास की अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने का विशेष महत्व है। इसलिए पवित्र नदी या कुंड में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद पितरों का तर्पण किया जाता है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन प्रात: काल तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल सूर्य देव को अर्पित करना चाहिए। इसके बाद पीपल के पेड़ और तुलसी का पूजन कर परिक्रमा करनी चाहिए। इस दिन पितरों की शांति के लिए व्रत रखें और जरूरतमंद लोगों को तिल, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल दान करें।

 

मौनी अमावस्या का क्या है महत्व

धार्मिक ग्रंथों में माघ मास को बहुत ही पुण्यदायी और फलदायी बताया गया है। इसलिए मौनी अमावस्या का व्रत और दान करने से सभी तरह के पापों कानाश हो जाता है। धर्म ग्रंथों के जानकारों की मानें तो मौनी अमावस्या के दिन व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही हर मनोकामना भी पूरी होती है।

इस अमावस्या पर्व पर स्नान, दान और पूजा करने के साथ-साथ पितरों की शांति के लिए व्रत करने से न केवल पितर बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु और ऋषि सहित भूत तृप्त और प्रसन्न होते हैं। इस अमावस्या पर ग्रहों की स्थिति का प्रभाव अगले एक महीने तक रहता है। जिससे देश में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के साथ-साथ मौसम का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।

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