Rakshabandhan:जानें कब बांध सकेंगे राखी, मुहूर्त पर विद्वानों का परामर्श Read it later

Rakshabandhan: रक्षाबंध को लेकर देशवासियों में अभी भी असमंजस की स्थिति है कि आखिर बहने अपने भााईयों की कलाई पर राखी किस मुहूर्त में बांधेंंगी। इसपर देशभर के ज्‍याेतिषिचार्यों ने एकमत में राय दी है कि रक्षाबंधन 30 की रात और 31 की सुबह मनाया जा सकेगा। इसमें भी कुछ विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी ज्योतिषीय गणना में शुभ मुहूर्त को लेकर अलग-अलग परामर्श दिया है।

क्‍योंकि रक्षाबंधन कब मनाया जाएगा? (What is the date of Rakshabandhan muhurat 2023) इस पर इस साल भी मतभेद बना हुआ है। बता दें कि ये त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाए जातााहै, लेकिन इस बार पूर्णिमा 30 और 31 अगस्त दोनों ही दिन होगी।

यहां राखी बांधने के मुहूर्त (Rakshabandhan Muhurta) , भद्रा की स्थिति, पूर्णिमा के समय के बारे में देश के 15 बड़े ज्योतिषियों की राय जानने का प्रयास किया गया है…

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रमुख प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार 30 अगस्त को भद्रा सुबह 10.05 बजे आरंभ होकर रात 8.58 बजे समाप्त होगी। शस्‍त्री ने बताया कि भद्रा समाप्त होने के पश्‍चात ही रक्षाबंधन (Rakshabandhan) मनाने का विधान है। वहीं लोक परंपरा और अलग-अलग मतों के कारण रक्षाबंधन पर्व पूर्णिमा तिथि के दौरान अगले दिन सुबह 7.37 बजे तक मनाया किया जा सकेगा।

बनारस विद्वत परिषद के महासचिव प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार जब भद्रा काल पूरी तरह समाप्त हो जाए राखी तभी बांधनी चाहिए। ऐसे में 30 अगस्त की रात 8.58 बजे से 31 अगस्त की सुबह 7.37 बजे तक रक्षाबंधन त्‍योहार मनाया जा सकेगा।

Rakshabandhan

अब जानिए देश के 15 बड़े ज्योतिषियों से रक्षाबंधन त्‍योहार (Rakshabandhan Festival 2023) से जुड़े आपके मन में उठने वाले हर सवाल का जवाब…

  • प्रश्न: हम रक्षाबंधन कब मनायें?
    उत्तर: आप रक्षाबंधन (Rakshabandhan) 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मना सकते हैं। पूर्णिमा तिथि में विघ्न आने के कारण तिथियों का मिलान सही तरह से नहीं हो रहा है, इसीलिए ऐसी स्थिति बन रही है।
  • प्रश्न: क्या हम 30 तारीख को दिनभर राखी बांध सकते हैं?
    उत्तर: नहीं, सहीं मुहूर्त के अनुसार आप रात 9 बजे के बाद ही राखी बांध सकते हैं, क्योंकि पूरे दिन भद्रा काल रहेगा, यह लगभग 8.58 बजे समाप्त होगा। इस वजह से रक्षाबंधन रात 9 बजे के बाद शुभ मुहूर्त में ही मनाने की बाद देशभर के ज्‍योतिषाचार्य कह रहे हैं। ज्योतिष ग्रंथों लिखित है कि जब तक भद्रा काल पूरी तरह समाप्त न हो जाए तब तक रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाना चाहिए।
  • प्रश्न: तो क्या हम 31 अगस्‍त को पूरे दिन के लिए रक्षाबंधन पर्व मना सकते हैं?
    उत्तर: नहीं, आप केवल सुबह 7.37 बजे तक ही यह पर्व मना सकते हैं , क्योंकि रक्षाबंधन पर्व (rakshabandhan parv 2023) पूर्णिमा तिथि को ही मनाया जाता है और यह गुरुवार सुबह करीब 7.30 बजे तक ही रहेगा। क्‍योंक इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जाएगी। शास्‍त्रों में भद्रा काल की तरह शास्त्रों में प्रतिपदा तिथि पर भी रक्षाबंधन पर्व (Rakshabandhan parv) मनाना वर्जित बताया गया है।
  • प्रश्न: लगभग हर दूसरे साल राखी पर ऐसी ही स्थिति क्यों बन जाती है?
    उत्तर: इसकी वजह ये है कि रक्षाबंधन पर्व सावन माह की पूर्णिमा को ही मनाया जाता है, लेकिन पूर्णिमा तिथि के पहले भाग यानी तकरीबन दस घंटे तक भद्रा काल लगा होता है। यह रक्षाबंधन त्‍योहार के लिए सही नहीं माना जाता है। पूर्णिमा तिथि और अंग्रेजी तिथियों में मेल न होने की स्थिति लगभग हर दूसरे वर्ष ऐसी दुविधा आती है।
  • प्रश्न: भद्रा कौन है? (who-is-bhadra?)
    उत्तर: पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री हैं। जिसका जन्म सूर्य की पत्नी छाया से हुआ है। इस तरह से भद्रा शनि की सगी बहन है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा तिथि का पहला भाग भद्रा काल होता है। शनिदेव की तहर ही भद्रा का स्वभाव भी कठोर माना गया है। इनके व्यवहार और स्वभाव को जानने के लिए और साथ ही उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने पंचांग में एक खास स्थान निर्धारित किया है। ऐसे में ब्रह्मा जी के बनाए इस काल गणना के अनुसार भद्रा काल के साए में शुभ या मांगलिक कार्य‚ वहीं यात्रा और किसी भी तरह के निर्माण कार्यों को निषेध माना गया है।
  • प्रश्न: रक्षाबंधन (Rakshabandhan) त्‍योहार पर यदि भद्रा काल हो तो क्या हम खरीदारी और अन्य शुभ कार्य भी नहीं कर सकते हैं?
    उत्तर: नहीं भद्रा काल में केवल रक्षाबंधन वर्जित है। 30 अगस्त को पूरे दिन व्रत, स्नान और खरीदारी में भद्रा काल का दोष नहीं रहेगा। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों से बनने वाले शुभ योग में किए गए कार्यों का शुभ फल और भी बढ़ने वाला होगा।

 

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। थम्सअप भारत किसी भी तरह की मान्यता की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक कर्मकांड को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।

 

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