Mahakal Bhasmaarti : भस्मारती की बात सुनते ही भगवान महाकाल के दर्शन का आभास होता है। इस भस्मारती से ज्योतिर्लिंग को हानि न हो इसलिए जल और राख सहित सभी अवयवों का पीएच मापा जाता है। लोगों में ऐसी किंवदंती है कि राख को श्मशान से लाया जाता है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। श्री पंचायती अखाड़े के महानिरवाणी के महंत विनीत गिरि का कहना है कि इसका कोई प्रमाण नहीं है। जानिए महाकाल की भस्मारती (Mahakal Bhasmaarti ) के पीछे की सांइंस से जुड़ी वो बातें जो आप नहीं जानते।
पहली बात भस्म कहां से आती है?
- आपको बता दें कि महाकाल को चढ़ने वाली भस्म महाकालेश्वर शिवलिंग के उपर बने ओंकारेश्वर महादेव मंदिर के ठीक पीछे से आती है। यहां एक छोटा कमरा है जहां लगातार अखंड धुनी जलती है।
- इस कमरे में केवल आरती करने वाले अखाड़े के प्रतिनिधि ही जा सकते हैं। श्री पंचायत निर्वाण अखाड़े से भस्म रमाने की परंपरा चली आ रही है। श्मशान की चिता से भस्म चढ़ाने जैसी कोई बात नहीं है।
![]() |
महाकाल में हाेती भस्म आरती। फाइलः फोटो। |
दूसरी बात- भस्म कैसे तैयार होती है?
- देसी नस्ल की गाय के गोबर से कंडे तैयार किए जात हैं। इन कंडों को धुनी में पकाया जाता है। यानि जगरे तैयार किए जाते हैं। रोजाना सुर्यास्त से पहले कंडों की राख को बारीक कपड़े से छाना जाता है।
- कंडों की राख इतनी बारीक होती है कि कपड़े से आसानी से छन कर बाहर निकल जाती है। इस राख को ही कपड़े की पोटली में रखकर ज्योर्तिलिंग पर भस्म रमाई जाती है, यानि भस्मारती की जाती है।
Ph लेवल आरती से पहले क्यों मापा जाता है?
ज्योर्तिलिंग को हानि न हो यानि क्षरण न हो इसलिए जो भी चढ़ावे की सामग्री होती है उसकी पीएच वैल्यू जांची जाती है। ज्योतिर्लिंग पर अल्कालाइन जल ही चढ़ाया जाता है। यानि कि जिसकी पीएच वैल्यू 7 से 9 के बीच हो उसी जल से महाकाल का अभिषेक होता है। अभिषेक सामग्री जैसे दही, शहद, हल्दी की भी पीएच वैल्यू मापी जाती है।
भस्म की Ph वैल्यू मापने की जरूरत क्यों हुई?
भसमारती से ज्योर्तिलिंग को हानि पहुंच रही थी, यानि शिवलिंग का क्षरण हो रहा था, मामला जब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा तो महाकाल मंदिर समिति के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में आठ सुझाव रखे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में पीएच मापने को जरूरी बताया और इसे लागू भी किया गया।
![]() |
महाकाल में भस्म आरती। फाइलः फोटो। |
सुप्रीम कोर्ट ने ये शर्त रखीं:
RO युक्त पानी का इस्तेमाल हो, शक्कर रगड़ने पर प्रतिबंध, आदर्श पीएच युक्त भस्म चढ़ाने से पहले सूती कपड़े से शिवलिंग ढका जाएगा, सवा लीटर से कम पंचाअमृत होना, पंचामृत में खांडसारी यानि गुड़ से बनी शक्कर ही चढ़ाई जाएगी।
![]() |
महाकाल में हाेती भस्म आरती। फाइलः फोटो। |
भस्म और आरती शिव से शंकर बनने की प्रक्रिया
दरअसल भस्म और आरती शिव से शंकर बनने की प्रक्रिया है, भस्म आतरी यानि भस्म रमाने के दौरान भगवान दिगंबर यानि नग्न स्वरूप में रहते हैं। वहीं भस्म चढ़ाने के बाद भगवान अपने रूप में आ जाते हैं। यानि कि शंकर श्रृगारित रूप में बन जाते हैं।
![]() |
महाकाल का श्रृंगार स्वरूप। फाइलः फोटो। |
इसलिए महिलाएं करतीं हैं घुंघट
मर्यादा का पालन करने के लिए महिलाओं से घूंघट करने के लिए कहा जाता है। भस्म चढ़ने के बाद घुंघट हटाने को कहा जाता है,दरअसल मान्यता है कि भस्मारती (Mahakal Bhasmaarti ) के दौरान भगवान दिगंबर यानि नग्न रूप में रहते हैं।
कौन करते हैं भस्मारती ?
भगवान का श्रृंगार, पूजा व आरती का जिम्मा यहां के पुजारी परिवार के पास है। मंदिर में ऐसे 16 परिवार हैं। जो बारी बारी से इस विधी को पूरा करते हैं। इन सभी शुभ कार्यों में होने वाला खर्च भी पुजारी परिवार ही वहन करते हैं।
![]() |
महाकाल में का श्रृंगार स्वरूप। फाइलः फोटो। |
भस्मारती का भोग कहां से आता है? (Mahakal Bhasmaarti )
भस्मारती में चढ़ने वाला प्रसाद कोई एक श्रद्धालु नहीं देता, बल्कि प्रसाद के लिए मंदिर का एक पुजारी शहर में घूमकर मिठाई एकत्र करता है। इसे भगवान का कंड्या यानि भोजन पात्र कहा जाता है। कंड्या में जो भी मिठाई सामग्री आती है, उसी का भोग भस्मारती के दौरान भगवान को चढ़ाया जाता है।
ये भी पढ़ें –
Shivling Of Mahakaleshwar: जानिए क्यों सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर के शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाने पर रोक लगाई
ये भी पढ़ें –
कैसे भूमि नमन से मिलती है देवी लक्ष्मी की कृपा
Like and Follow us on :
Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin