Cyber Insurance Kaise Karaye:जानिए क्‍यों जरूरी है साइबर इंश्‍योरेंस Read it later

Cyber Insurance Kaise Karaye: वर्तमान युग में इंटरनेट का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। इंटरनेट तक सुलभ पहुंच के कारण सोशल मीडिया और डिजिटल लेनदेन में भी काफी ग्रोथ देखी जा रही है। बढ़ते डिजिटल लेनदेन के साथ—साथ साइबर धोखाधड़ी का भी खतरा बढ़ रहा है। (cyber insurance risk) कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां लोगों को साइबर धोखाधड़ी के कारण भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है। आजकल हर कोई पैसे के लेनदेन और खरीदारी के लिए इंटरनेट का उपयोग कर रहा है। इसके कारण अधिकतर लोगों की व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन भी उपलब्ध हो गई है, जो साइबर खतरों को बढ़ाती है। इसी वजह से वर्तमान में साइबर बीमा पॉलिसी लेना (cyber insurance policy) अब आवश्यकता बन गया है। यदि आपकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, तो आप साइबर बीमा पॉलिसी खरीदने के पात्र बन सकते हैं।

साइबर हमले की स्थिति में मिलेगी सुरक्षा (Cyber Insurance Kaise Karaye)

एक साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी न केवल साइबर हमले की स्थिति में रक्षा करेगी, बल्कि घटना की जांच से लेकर आगे ऐसी घटनाओं को कम करने में भी मदद करेगी। यह पॉलिसी बैंक अकाउंट, क्रेडिट और डेबिट कार्ड या ई-वॉलेट में धोखाधड़ी से लगाई गई सेंध की वजह से हुए नुकसान की भरपाई तो करती ही है साथ ही, अगर आपकी निजी जानकारियों के ऑनलाइन चोरी होने से कोई नुकसान होता है तो उसमें भी सहायता करती है।

 

डेटा प्रोटेक्शन बिल में इंश्योरेंस का प्रावधान

केंद्र सरकार ने भी डिजिटल डेटा की सेफ्टी को जरूरी माना है, इसलिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का ड्रॉफ्ट जारी किया गया है। (cyber insurance india) इसमें डिजिटल पर्सनल डेटा की सेफ्टी के लिए जरूरी कदम उठाने के प्रावधान हैं। बीते साल देशभर में हुए साइबर फ्रॉड की संख्या को देखें तो इनकी संख्या लाखों में है।

आप खुद भी ऐसे रहें सतर्क

ज्यादातर लोग अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन से ही नहीं, बल्कि ऑफिस के कंप्यूटर और पब्लिक वाई-फाई से भी वित्तीय लेनदेन करते हैं। बाहरी उपकरणों से निजी जानकारियों को एक्सेस करने से जोखिम ज्यादा रहता है। हमें मालूम होने चाहिए कि साइबर हमले कैसे होते हैं। किन स्थितियों में नुकसान हो सकता है।

पॉलिसी में इन बातों का रखें ध्यान

  • 1. स्पूफिंग व फिशिंग के चलते वित्तीय नुकसान, बैंक खाते या डेबिट-क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी का चोरी होना
  • 2. ई-वॉलेट से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में धोखाधड़ी
  • 3. पहचान की चोरी के बाद लागत से जुड़े नुकसान व खर्च की जानकारी देना।
  • 4. वायरस से डाटा या कम्प्यूटर प्रोग्राम को पहुंचे नुकसान के बाद इन्हें वापस इंस्टॉल करने पर होने वाले खर्च शामिल हैं।

जानिए क्या-क्या होता कवर (cyber insurance cover)

साइबर इंश्योरेंस में ऑनलाइन थेफ्ट कवर, साइबर बुलिंग, अन-ऑथोराइज्ड डिजिटल ट्रांजेक्शन, सोशल मीडिया लाइबिलिटी, मैलवेयर अटैक, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा ब्रिच और आइडेंटिटी थेफ्ट आदि को कवर किया जाता है। इसमें प्रीमियम कवरेज की राशि सुविधाओं के आधार पर तय होती है। पॉलिसी 10 से 15 तरह के साइबर खतरों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। अगर आप बहुत ज्यादा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं, तो आपको अधिक कवर की जरूरत होगी।

कम प्रीमियम के झांसे में न आएं

कई कंपनियां डिडेक्टिबल की शर्तें लागू करती हैं। इसमें पॉलिसीधारक को नुकसान की भरपाई पहले स्वयं करनी पड़ती है और उसके बाद बीमा कंपनियां भुगतान करती हैं। कई कंपनियों का प्रीमियम कम होता है, लेकिन डिडेक्टिबल ज्यादा होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही ज्यादा प्रीमियम देना पड़े, पर डिडेक्टिबल को कम रखें।

 

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