Systematic Transfer Plan: ऐसे उठाएं एसटीपी का फायदा Read it later

Systematic Transfer Plan: जब म्यूचुअल फंड में निवेश (Investment) की बात होती है तो लोग एसआइपी की बात करते हैं। लेकिन बहुत सारे लोगों को यह पता नहीं होता कि एसआइपी की तरह ही किसी एक म्यूचुअल फंड (mutual fund) से धनराशि दूसरे फंड में ट्रांसफर की जा सकती है। एक फंड से दूसरे फंड में जमा धनराशि के ट्रांसफर के इस व्यवस्थित तरीके को सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) कहते हैं। इससे बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान रिस्क की एवरेजिंग (Averaging of Risk) हो जाती है और निवेशकों को कम से कम नुकसान उठाना पड़ता है। यह निवेश पर जोखिम कम करते हुए बेहतर रिटर्न हासिल करने की रणनीति है।

क्या हैं इसके फायदे? (Systematic Transfer Plan Benefits)

जिस तरह से लंपसम निवेश में जोखिम है, उसी तरह एक फंड को दूसरे में लंपसम ट्रांसफर करेंगे तो इसके भी जोखिम हैं। एक फंड में जमा रकम को दूसरे फंड में ट्रांसफर करने पर परचेजिंग कॉस्ट के एवरेजिंग का फायदा मिलता है। बाजार में गिरावट होगी तो एकसमान ट्रांसफर की राशि पर ज्यादा यूनिट मिलेंगे। तेजी के दौर में कम यूनिट मिलेंगे। इस तरह से एसटीपी के जरिए पोर्टफोलियो की रीबैलेंसिंग भी हो जाती है।

क्या हैं टैक्स के नियम? (Systematic Transfer Plan Rules)

जब आप सोर्स फंडिंग से डिपॉजिट मनी टारगेट फंड (Target Fund) में शिफ्ट करेंगे तो यह रिडेम्पशन के तौर पर माना जाएगा, जिस पर होल्डिंग पीरियड के आधार पर यह टैक्‍स के दायरे में आएगा। वहीं जब जमा रकम टारगेट फंड में शिफ्ट हो जाएगा और जब आप उसे भविष्य में रिडीम करेंगे तो होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स देना होगा। सोर्स और टारगेट फंड पर टैक्स के वही नियम हैं, जो रिडेम्पशन के समय डेट और इक्विटी फंड के लिए होते हैं।

 

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