तालिबान को चुनौती: जलालाबाद में लोगों ने अफगानी झंडे के साथ रैली निकाली, आतंकियों की फायरिंग में 3 की मौत, महिलाओं के साथ तालिबान ने की मारपीट और बदसुलूकी Read it later

 

तालिबान को चुनौती
काबुल एयरपोर्ट के बाहर बुधवार को लाइन में लगी महिलाओं से तालिबान लड़ाकों ने मारपीट की।

अफगानिस्तान में कुछ लोगों को तालिबान शासन को स्वीकार नहीं है। इसके असर बुधवार को देखने को मिले। जलालाबाद में स्थानीय लोग अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया। इसके बाद हाथ में झंडा लेकर लोगों की ओर से रैली निकाली गई। 

तालिबान इतने खफा हुए कि उन्होंने निहत्थे लोगों पर गोलियां चला दीं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार तालिबान की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई है। कुछ पत्रकार भी घायल हुए हैं। इनमें से ज्यादातर वीडियो पत्रकार हैं।

तालिबान का विरोध तेज

जलालाबाद अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों में से एक है। बुधवार को हजारों की संख्या में लोग यहां एक मुख्य चौक पर जमा हो गए। उन्होंने एक स्थान पर अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज फहराया। 

इसके बाद मुख्य मार्ग से राष्ट्रीय ध्वज लेकर रैली निकाली। यह तालिबान शासन के लिए सीधी चुनौती थी। इमारतों और सड़कों पर तैनात तालिबान ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलाईं। बताया जा रहा है कि इसमें तीन लोगों की मौत हो गई और कुछ घायल हो गए।

जलालाबाद वह शहर है जिसे तालिबान ने काबुल से पहले जीत लिया था। यहां के लोगों ने तालिबान का झंडा फहराने से परहेज किया है। उन्होंने बुधवार को एक रैली के जरिए तालिबान को सीधे तौर पर चुनौती दी थी।

अचानक फायरिंग और वीडियो पत्रकारों के साथ मारपीट
काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबानियों ने वहां की सुरक्षा एजेंसीज के दफ्तरों में घुसकर हथियार जब्त कर लिए हैं।

अचानक फायरिंग और वीडियो पत्रकारों के साथ मारपीट

स्थानीय मीडिया ने इसके कुछ वीडियो फुटेज भी जारी किए हैं जो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। इसमें लोग शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकाल रहे हैं। इस बीच इमारतों और सड़कों पर तैनात तालिबान ने फायरिंग शुरू कर दी। 

इस दौरान तालिबान के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी हुई। वीडियो में बताया गया है कि तालिबान ने इस दौरान पत्रकारों और खासकर वीडियो पत्रकारों के साथ मारपीट भी की।

तालिबान का महिलाओं के अधिकारों के रक्षा का वादा केवल खुद की छवि को दुनिया में चमकाने के लिए

 तालिबान का महिलाओं के अधिकारों के रक्षा का वादा केवल खुद की छवि को दुनिया में चमकाने के लिए

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने महिलाओं की रक्षा करने और उन्हें उचित अधिकार देने का वादा किया है, लेकिन यह केवल दुनिया में उनकी छवि चमकाने का एक प्रयास प्रतीत होता है। 

तालिबान ने काबुल हवाईअड्डे के बाहर कतार में लगी महिलाओं पर हमला किया। इसकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं। एक महिला को बंदूक की बट से पीटा गया। यह महिला बुर्के में थी और अपना बचाव करती नजर आई थी।

हामिद करजई से तालिबान नेताओं की बैठक

हामिद करजई से तालिबान नेताओं की बैठक

इधर, बुधवार को काबुल में हक्कानी नेटवर्क के नेता और तालिबान कमांडर अनस हक्कानी ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात की। इस बैठक में पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला-अब्दुल्ला भी मौजूद थे।

 तालिबान में कई गुट हैं। इनमें हक्कानी नेटवर्क काफी अहम माना जाता है। अमेरिका इस समूह को अफगानिस्तान में हुई हिंसा के लिए मुख्य जिम्मेदार मानता है। 

इसके ज्यादातर ठिकाने पाकिस्तान के कबायली इलाकों में हैं। यह ग्रुप पाकिस्तानी सेना और ISI के इशारे पर काम करता है।

चारिकार क्षेत्र पर कब्जा करने के अलावा, इन विद्रोही ताकतों ने पंजशीर में नॉर्दन अलायंस या यूनाइटेड इस्लामिक फ्रंट का झंडा भी फहराया है। 2001 के बाद पहली बार पंजशीर घाटी में अलायंस का झंडा फहराया गया है।

जलालाबाद में प्रदर्शन, तालिबान की गोलीबारी में 2 की मौत

ऐसा ही एक मामला जलालाबाद में सामने आया है। यहां लोगों ने तालिबान शासन के बीच अफगानिस्तान का झंडा लगा दिया, जिसे तालिबान ने हटाने की कोशिश की और अपना झंडा लगा दिया। 

इस दौरान लोगों की तालिबान से झड़प हो गई और लोगों को डराने-धमकाने के लिए तालिबान ने गोलियां चला दीं, जिसमें दो लोगों की मौत की सूचना है।

काबुल से पहले जलालाबाद तालिबान द्वारा कब्जा किया गया आखिरी शहर था। यहां लोगों ने सड़कों पर अफगान झंडे के साथ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और जिसके बाद तालिबान ने फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद प्रदर्शन हल्का पड़ गया।

पंजशीर में तालिबानियों पर दो तरफ से हमला हुआ
तालिबान ने फीमेल एंकर्स को बैन किया

पंजशीर में तालिबानियों पर दो तरफ से हमला हुआ

रिपोर्ट्स के मुताबिक सालेह की सेना ने परवान प्रॉविंस के चारिकार इलाके पर कब्जा कर लिया है। अफगान सैनिकों ने पंजशीर के बाहरी इलाके में पाकिस्तानी समर्थित तालिबान पर हमला किया और उन्हें खदेड़ दिया। 

इसे उत्तरी गठबंधन की एक बड़ी सफलता कहा जा सकता है, क्योंकि चारिकार काबुल को उत्तरी अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ से जोड़ता है।

पूरे पंजशीर पर कब्जा करने की तैयारी

रिपोर्टों से यह भी पता चला है कि मार्शल अब्दुल राशिद दोस्तम और अता मोहम्मद नूर के नेतृत्व में अफगान सरकार के प्रति वफादार सैनिक सालेह के साथ सेना में शामिल हो रहे हैं और अब पूरे पंजशीर क्षेत्र पर कब्जा करने का इरादा रखते हैं। चारिकार के कब्जे के दौरान, सालेह की सेना ने पंजशीर की ओर से हमला किया और दोस्तम की सेना ने उत्तर से हमला किया।

पंजशीर तालिबान के नियंत्रण से बाहर एकमात्र प्रांत है। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि सालेह और दोस्तम की सेना के अलावा अहमद मसूद के विद्रोही भी तालिबान के खिलाफ हो गए हैं। 

अहमद मसूद पूर्व अफगान नेता अहमद शाह मसूद के बेटे हैं, जिन्हें पंजशीर के शेर के रूप में जाना जाता है। मसूद के बागियों की ताकत बढ़ती जा रही है।

21 साल बाद फिर सक्रिय हुआ नॉर्दर्न एलायंस

1996 में, जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा था, उसी नॉर्दर्न एलायंस ने अपना विरोध शुरू कर दिया था। इसे कुछ विदेशी देशों का भी समर्थन प्राप्त था और इससे पहले तालिबान विरोधी मुजाहिदीन भी जुड़े हुए थे।

 गठबंधन का नेतृत्व अफगानिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री अहमद शाह मसूद ने किया था। इस गठबंधन में शुरू में केवल ताजख थे, लेकिन बाद में अन्य कबायलियों के सरदार भी इसमें शामिल हो गए।

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