एक तरफ अफगानिस्तान में गोलीबारी जारी है‚ महिलाओं के साथ बदसुलूकी जारी है। तालिबान पूरी तरह अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है तो वहीं तालिबानियों का कीकी सॉन्ग पर डांस करते हुए वीडियो वायरल हो रहा है।
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अफगान की जनता को दर्द देकर तालिबानियों का जश्न तो देखिए चेहरे पर न कोई शिकन न कोई शर्म‚ बेहद बेशर्म…. #AfghanTaliban #Afghanishtan pic.twitter.com/mF9FGm949R
— Thumbs Up Bharat (@thumbsupbharat) August 18, 2021
इधर यूएई में शरण मिलने के 4 दिन बाद गनी आए सामने, बोले- पैसे लेकर नहीं भागा; देश नहीं छोड़ता तो खून-खराबा होता
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने परिवार के साथ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शरण ली है। वह देश छोड़ने के चौथे दिन रात करीब 10:45 बजे पहली बार दुनिया के सामने आए। गनी ने कहा कि अगर मैं देश नहीं छोड़ता तो खून-खराबा हो जाता। मैं देश में ऐसा होते नहीं देख सकता था, इसलिए मुझे जाना पड़ा।
गनी ने पैसे लेकर भागने के आरोपों पर भी सफाई दी। गनी ने कहा- मैं देश का पैसा नहीं लाया हूं। ये आरोप निराधार हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बयानों पर गनी ने कहा कि हम तालिबान से बात कर रहे थे, लेकिन यह बेनतीजा रहा। उन्होंने सेना और अधिकारियों को भी धन्यवाद दिया।
गनी 15 अगस्त को काबुल से रवाना हुए थे
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद देश छोड़कर भाग गए थे। कहाँ गये? इसका सस्पेंस अब खत्म हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बुधवार शाम एक बयान जारी किया।
बयान में कहा- हमारा विदेश मंत्रालय इस बात की पुष्टि करता है कि हमने मानवीय आधार पर अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार का अपने देश में स्वागत किया है।
तालिबान ने रविवार को काबुल पर कब्जा कर लिया। इससे पहले गनी परिवार और कुछ बेहद करीबी दोस्तों के साथ देश छोड़कर चले गए थे।
अगले दिन यानी सोमवार को गनी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि उन्होंने देश की जनता को खूनखराबे से बचाने के लिए यह कदम उठाया है. हालांकि उनकी लोकेशन की जानकारी नहीं दी गई।
इस बीच रॉयटर्स के हवाले से तालिबान के एक शीर्ष नेता ने कहा है कि अफगानिस्तान में इस्लामी कानून कायम रहेगा, यहां लोकतंत्र नहीं चलेगा। लोगों को शरीयत का पालन करना होगा।
इस्लाम का कानून हमारे लिए सर्वोपरि है। जहां तक महिलाओं की बात है तो उनके बारे में हमारे धर्मगुरु ही फैसला करेंगे। इस्लामिक विद्वान अफगानिस्तान में महिलाओं की भूमिका तय करेंगे।
कंधारी में सार्वजनिक रूप से मारे गए 4 अफगान सेना कमांडर
तालिबान ने कंधार के एक स्टेडियम में भीड़ के सामने अफगान सेना के चार कमांडरों को मार गिराया। सूत्रों के मुताबिक घटना 15 अगस्त की है। इसी दिन राजधानी काबुल पर अफगानों ने कब्जा कर लिया था। इन कमांडरों ने 13 अगस्त को तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उनमें से एक कमांडर हाशिम रेगवाल हैं।
तालिबान ने एक पुलिस अधिकारी को भी मार डाला जिसने उसके लड़ाकों के नाखून काट दिए थे
इधर तालिबान समर्थकों ने कंधार में ही शाह वली कोट के पुलिस प्रमुख पाचा खान की भी हत्या कर दी है। तालिबान समर्थकों ने कहा कि पाचा खान एक खूंखार कमांडर था जो तालिबान लड़ाकों के नाखून निकालता था।माफी की घोषणा करने से पहले तालिबान ने उसे मार डाला। हालांकि तालिबान सूत्रों ने कंधार स्टेडियम में ऐसी किसी घटना से इनकार किया है।
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