जापान में शनिवार शाम 7:37 बजे 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। पूरे देश में इसके झटके महसूस किए गए, लेकिन सबसे ज्यादा असर फुकुशिमा प्रांत में हुआ। फुकुशिमा में एक बड़ा परमाणु संयंत्र है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, संयंत्र में अब तक कुछ भी असामान्य नहीं देखा गया है। विशेषज्ञ टीम प्लांट का निरीक्षण करने पहुंची है। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा है कि इस भूकंप से सुनामी का कोई खतरा नहीं है।
भूकंप का केंद्र राजधानी टोक्यो से लगभग 306 किमी दूर, जमीन से लगभग 60 किमी दूर था। उसी जगह पर 10 साल पहले एक बड़े भूकंप का भी अनुभव हुआ था। तब सुनामी लहरें जिन्होंने फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को तबाह कर दिया था। पर्यावरण को नुकसान के संदर्भ में इसे एक प्रमुख घटना माना गया।
2011 में भूकंप के बाद सुनामी के कारण 16 हजार मौतें हुई थीं
मार्च 2011 में जापान में 9 तीव्रता वाले भयावह भूकंप के कारण बड़े पैमाने पर सुनामी आई थी। तब समुद्र में 10 मीटर ऊंची लहरों ने कई शहरों में तबाही मचाई थी। इसमें लगभग 16 हजार लोग मारे गए। इसे जापान में भूकंप से हुआ अब तक का सबसे बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
जापान रिंग ऑफ फायर का असर ज्यादा
जापान भूकंप का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। यह पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में आता है। रिंग ऑफ फायर एक ऐसा क्षेत्र है जहां महाद्वीपीय प्लेटों के साथ-साथ महासागरीय टेक्टोनिक प्लेट भी मौजूद हैं। जब ये प्लेटें टकराती हैं, तो भूकंप आता है। सूनामी इन प्रभावों के कारण होती है और ज्वालामुखी भी फट जाते हैं। दुनिया के 90% भूकंप रिंग ऑफ फायर में आते हैं।
रिंग ऑफ फायर का असर न्यूजीलैंड से लेकर जापान, अलास्का और उत्तर और दक्षिण अमेरिका तक देखा जा सकता है। 15 देश इस रिंग ऑफ फायर के कारण हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है। दुनिया के सभी सक्रिय ज्वालामुखियों में से 75% इस क्षेत्र में हैं।