अफगानिस्तान की वेबसाइट ‘पंजशीर ऑब्जर्वर’ का दावाः हक्कानी नेटवर्क की फायरिंग में तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला बरादर घायल हुआ
अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व कर रहे Amrullah Saleh ने तालिबान कब्जे के बाद अफगान से दगाबाजी करने वालों के खिलाफ खुलकर हमला किया। उन्होंने कहा कि वह तालिबान के समक्ष सरेंडर नहीं करना चाहते हैं। निर्णायक लड़ाई की घोषणा करते हुए Amrullah Saleh ने कहा- मैंने अपने गार्डों से कहा है कि अगर मैं घायल हो गया तो सिर में दो गोलियां मार देना, क्योंकि मैं तालिबान के आगे नहीं झुकूंगा।
वहीं इधर खबर आ रही है कि अफगानिस्तान में सत्ता को लेकर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच लड़ाई छिड़ रही हैं। अफगानिस्तान की वेबसाइट ‘पंजशीर ऑब्जर्वर’ की माने तो हक्कानी नेटवर्क की फायरिंग में तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला बरादर घायल हुआ है।
48 वर्षीय सालेह ने लंदन के अखबार डेली मेल में लिखा, ‘जिन नेताओं ने संकट के समय अफगानिस्तान छोड़ दिया, मेरा मानना है कि उन्होंने अपनी जमीन के साथ विश्वासघात किया है।
जिस रात काबुल तालिबान के अधीन आया, मुझे वहां के पुलिस प्रमुख ने फोन पर बताया कि जेल में बगावत छिड़ गई है और तालिबानी कैदी भागने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने गैर-तालिबान कैदियों का नेटवर्क बनाया है। मैंने उन्हें जेल के अंदर विद्रोह का विरोध करने का आदेश दे दिया था।
A video message sent to us @BBCWorld from one of the leaders of the anti-Taliban resistance, fmr VP @AmrullahSaleh2 who says they’re under attack from terrorists and points the finger of blame at Pakistan. Pakistan of course deny they support Taliban forces #Panjshir #Afghanistan pic.twitter.com/w3e6GnrRXi
— Yalda Hakim (@BBCYaldaHakim) September 3, 2021
‘मुझे काबुल में कहीं भी कोई अफगान सैनिक नहीं मिला’
Amrullah Saleh ने कहा- ‘जेलों में हालात को अफगानिस्तान स्पेशल फोर्स के साथ मॉब कंट्रोल यूनिट की मदद से संभाला गया। मैंने तत्कालीन रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और अगली सुबह उनके डिप्टी को भी मैने फोन किया था, लेकिन वे लोग नहीं मिले।
दोनों मंत्रालयों में कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं था जो मुझे बता सके कि रिजर्व फोर्स या कमांडो को क्यों नहीं तैनात किया गया। मुझे शहर में कहीं भी अफ़ग़ान सैनिक नहीं नजर आए, जिन्हें तालिबान के खिलाफ तैनात किया जा सके।
‘ इसके बाद मैंने काबुल के पुलिस प्रमुख से बात की, वे बेहद ही शूरवीर इंसान हैं। उन्होंने बताया कि हम पूर्वी सीमा पर हार गए हैं और दक्षिण में दो जिले भी तालिबान के कब्जे में हैं। यही हाल वरदक का भी है। उन्होंने कमांडो की तैनाती के लिए मेरी मदद मांगी। मैंने उनसे बोला कि उनके साथ जितने भी सैनिक हैं, वे लगभग एक घंटे तक उसके साथ मोर्चे पर खड़े रहें, लेकिन मैं उनके लिए कोई सेना नहीं जुटा सका।
उन्होंने राष्ट्रपति भवन और पूर्व सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब को फोन किया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई फायदा नहीं हुआ। मैंने राष्ट्रपति भवन और सुरक्षा सलाहकार फोन कर कहा कि तालिबान को रोकने के लिए कुछ करिए,
लेकिन उनकी तरफ से कोई माकूल जवाब नहीं मिला। शायद राष्ट्रपति गनी पहले से देश से भागने का मन बना चुके थे और 15 अगस्त की सुबह नौ बजे तक काबुल में हाहाकार मच गया।
अपनों को लूट कर देश से भाग निकले राजनेता
Saleh ने कहा- ’15 अगस्त से पहले इंटेलिजेंस चीफ मेरे पास आए थे और कहा कि आप जहां जाएंगे, मैं आपके साथ जाऊंगा। तालिबान भले ही रास्ता रोके, लेकिन हम आखिरी लड़ाई एक साथ लड़ेंगे। विदेशों में होटलों और विलाओं में ठहरे उन राजनेताओं ने अपनों के साथ धोखा किया है।
ये लोग अब गरीब अफगानों को विद्रोह करने के लिए कह रहे हैं। यह कायरता की मिसाल है। अगर हम विद्रोह चाहते हैं, तो इस विद्रोह का भी नेतृत्व होना चाहिए।’ जबकि नेताओं ने ऐसा नहीं किया।
Saleh ने कहा, “मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अफगानिस्तान में जो लोग बचे हैं वो शहीद हो जाएंगे। हमें ऐसे नेता चाहिए जो शहीद हों। हम ऐसे नेता चाहते हैं जो कैदी बनें। मैंने अपने गुरु अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद को फोन किया और पूछा कि तुम कहाँ हो भाई।
उसने कहा कि वह काबुल में है और अगले स्टेप की योजना बना रहा है। मैंने उससे कहा कि मैं भी काबुल में हूँ। मैंने उनसे कहा कि हमारे सैनिकों के साथ आओ।
‘ इसके बाद मैं काबुल में अपने घर गया। अपनी बेटी और पत्नी की तस्वीरों को नष्ट किया और अपना कंप्यूटर लिया और अपने मुख्य रक्षक रहीम से कहा कि कुरान पर हाथ रखो।
मैंने उनसे कहा कि हम पंजशीर जा रहे हैं और सड़कों पर तालिबान का कब्जा है। हम उनसे मिलकर लड़ेंगे। अगर मैं घायल हो गया, तो मेरे सिर में 2 गोलियां मार देना। मैं तालिबान के सामने घुटने नहीं टेकना चाहता।
अमरुल्ला सालेह बोले- तालिबान को चला रहा है ISI
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति और रेजिस्टेंस फोर्स के मुखिया अमरुल्ला सालेह ने पाकिस्तान को लेकर बड़ा दावा किया है। ब्रिटिश अखबार डेली मेल के लिए एक लेख में सालेह ने कहा कि तालिबान पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा चलाया जा रहा है और तालिबान के प्रवक्ता को पाकिस्तानी दूतावास से हर घंटे निर्देश मिल रहे हैं।
ISI चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद (चाय का कप लिए हुए) की ये फोटो काबुल के सेरेना होटल की बताई जा रही है। |
अफगानिस्तान में बन सकते हैं गृहयुद्ध के हालात
इधर अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को देखते हुए अमेरिकी सेना के जनरल मार्क मिले ने कहा है कि अफगानिस्तान में गृहयुद्ध छिड़ सकता है और आतंकी संगठन फिर सिर उठा सकते हैं। वहीं अल-कायदा फिर से संगठित होने की कगार पर है, ISIS और अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां भी बढ़ सकती हैं।
रेसिस्टेंस फोर्स का दावा- 600 तालिबानी मारे गए
पंजशीर में तालिबान और रेसिस्टेंस फोर्स के बीच लड़ाई जारी है। इस बीच, रेसिस्टेंस फोर्स ने दावा किया है कि उसने 600 तालिबान को मार गिराया और 1000 तालिबान ने या तो आत्मसमर्पण कर दिया या शनिवार को उन्हें पकड़ लिया गया।
अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने कहा कि वे पंजशीर की राजधानी बाज़ारक और प्रांतीय गवर्नर के परिसर की ओर जाने वाली सड़कों पर बारूदी सुरंगों के कारण आगे बढ़ने में सक्षम नहीं है। तालिबान का दावा है कि उसने पंजशीर में अपना ऑपरेशन लगभग पूरा कर लिया है।
वर्तमान में, केवल एक जिला और पंजशीर की राजधानी इसके नियंत्रण से बाहर है। वहीं तालिबान ने पंजशीर के कुछ प्रमुख कमांडरों को मारने का भी दावा किया है।
अफगानिस्तान की वेबसाइट ‘पंजशीर ऑब्जर्वर’ का दावा:हक्कानी नेटवर्क की फायरिंग में तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला बरादर घायल हुआ
अफगानिस्तान में सत्ता को लेकर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच लड़ाई की खबरें सामने आ रही हैं। अफगानिस्तान की वेबसाइट ‘पंजशीर ऑब्जर्वर’ के मुताबिक, हक्कानी नेटवर्क की फायरिंग में तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला बरादर घायल हो गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बरादर का फिलहाल पाकिस्तान में इलाज चल रहा है। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं अन्य सूत्रों ने बरादर के घायल होने की रिपोर्ट को अफवाह बताया है।
तालिबान का कहना है कि दो-तीन दिन में नई सरकार का ऐलान हो सकता है। इसके लिए वह पंजशीर के पूर्ण कब्जे में आने का इंतजार कर रही है। यह भी कहा गया है कि कुछ पदों पर मतभेद भी हैं।
पंजशीर में तालिबान का समर्थन कर रही पाकिस्तानी सेना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजशीर में जारी जंग में पाकिस्तानी सैनिक तालिबान का साथ दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि पंजशीर में मारे गए एक पाकिस्तानी सैनिक का आई-कार्ड भी मिला है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान पर लंबे समय से तालिबान की मदद करने और उसे बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं और अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के पीछे पाकिस्तान का भी हाथ बताया जा रहा है।
तालिबानी सरकार की कमान आतंकियों को दिलाना चाहता है पाकिस्तान
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के ऐलान से पहले पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद के काबुल पहुंचने को लेकर कई सवाल खड़े रहे हैं।
इस बीच अफगानिस्तान की पूर्व सांसद मरियम सोलाइमनखिल ने कहा है कि आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के नेता को तालिबान सरकार का मुखिया बनाने और मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को मुखिया बनने से रोकने के लिए आईएसआई प्रमुख काबुल पहुंचे हैं।
काबुल में प्रोटेस्ट कर रही महिलाओं पर तालिबान लड़ाके ने गन की बट से किया हमला
महिलाओं का कहना है कि उन्हें नई सरकार में हिस्सा लेकर अहम भूमिका मिलनी चाहिए।
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अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ महिलाओं का प्रदर्शन शनिवार को हिंसक हो गया। तालिबान ने आंसू गैस छोड़ कर काबुल में महिला अधिकारों की आवाज उठा रहे कार्यकर्ताओं को रोकने की कोशिश की। दो दिनों से धरना प्रदर्शन कर रही इन महिलाओं का कहना है कि उन्हें नई सरकार में हिस्सा लेकर अहम भूमिका मिलनी चाहिए।
काबुल में महिलाओं के प्रदर्शन के दौरान तालिबान ने उन पर भी जानलेवा हमला किया। महिला कार्यकर्ता नरगिस सद्दात ने आरोप लगाया कि शनिवार को महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान तालिबान ने उन पर हमला किया। उसके चेहरे पर चोट के निशान भी हैं।
नरगिस ने बताया कि तालिबान ने उनके चेहरे पर बंदूक की बट से हमला किया। जिसके बाद उनके चेहरे से खून निकलने लगा। टोलो न्यूज के मुताबिक तालिबान ने मार्च कर रही महिलाओं को राष्ट्रपति भवन की ओर जाने से रोक दिया और उन पर आंसू गैस के गोले दागे। कई पत्रकारों ने भीड़ पर फायरिंग का आरोप भी लगाया है।
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