Supreme Court on Election: शीर्ष कोर्ट ने पूछा चुनावों में मुफ्त की रेवड़ी क्‍यों? Read it later

SC on Election: विधानसभा चुनाव से एकदम पहले मुफ्त की रेवड़ि‍यां बांटने (Election Freebies Case) जैसी घोषणाओं और योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस थमाया है। (Rajasthan Madhya Pradesh Government) इसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत ने जिम्‍मेदारों से 4 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। (Supreme Court notice) जानकारी के अनुसार कोर्ट ने यह नोटिस एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने नई जनहित याचिका को पहले से चल रही अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है। अब सभी मामलों की सुनवाई एक साथ होगी।

बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी जनवरी 2022 में जनहित याचिका (SC on Election)

जनवरी 2022 में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय मुफ्त सुविधाओं के खिलाफ जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। (Freebies ahead of polls) अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं को मुफ्त में उपहार देने के वादे बंद करने की अपील की है। (SC on Election) मांग की गई है कि चुनाव आयोग ऐसे दलों की मान्यता को रद्द कर देवे।

केंद्र सरकार ने अश्विनी की बात से सहमति जताई और सुप्रीम कोर्ट से मुफ्त की परिभाषा तय करने की अपील की। इधर केंद्र ने कहा कि अगर मुफ्त वस्तुओं का वितरण जारी रहा तो यह देश को ‘भविष्य में आर्थिक आपदा’ की ओर ले जाएगा। मेहनत के इतर लोगों को मुफ्त में चीजें मिलने लगेंगी तो इसके दुर्गामी दुष्‍परणिाम होंगे।

सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या क्‍या हुआ?

मुफ्त उपहार मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है, जिसमें न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली शामिल हैं। (SC on Election) इसे सिलसिलेवार जानते हैं कि इस मामले की सुनवाई में अब तक क्या-क्या हुआ…

  • 03 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुफ्तखोरी के मुद्दे पर फैसले के लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए. इसमें केंद्र, राज्य सरकारें, नीति आयोग, वित्त आयोग, चुनाव आयोग, आरबीआई, सीएजी और राजनीतिक दलों को शामिल किया जाना चाहिए।
  • 11 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘गरीबों को खाना खिलाने की जरूरत है, लेकिन लोगों के कल्याण को संतुलित करने की भी जरूरत है, क्योंकि मुफ्तखोरी के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है.’ हम इस बात से सहमत हैं कि मुफ़्त और कल्याण के बीच अंतर है।
  • 17 अगस्त 2022: कोर्ट ने कहा, ‘कुछ लोग कहते हैं कि राजनीतिक दलों को मतदाताओं से वादे करने से नहीं रोका जा सकता…अब यह तय करना होगा कि मुफ्तखोरी क्या है। क्या सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा, पीने के पानी की सुविधा… जीवन को बेहतर बनाने वाली मनरेगा जैसी योजनाओं को मुफ्त माना जा सकता है? कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों से अपनी राय देने को कहा।
  • 23 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा और कोई अहम फैसला दे सकता है।

आयोग ने कहा था- मुफ्त योजनाओं की परिभाषा आप खुद तय कर के बताएं (SC on Election)

11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टियों द्वारा मुफ्त की चीजों पर अपनाई जाने वाली नीति को रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है. चुनाव से पहले मुफ़्त चीज़ें देने का वादा करना या चुनाव के बाद उन्हें देना राजनीतिक दलों का नीतिगत निर्णय है। (SC on Election) इस संबंध में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग होगा। (SC on Election) कोर्ट को ही तय करना चाहिए कि कौन सी मुफ्त योजनाएं हैं और कौन सी नहीं। इसके बाद हम इसे लागू करेंगे।

भारत में 70 साल से भी ज्यादा पुराना है फ्री स्कीम्स का इतिहास (SC on Election)

• मद्रास स्टेट के CM के कामराज ने 1954 से 1963 के दौरान मुफ्त शिक्षा और स्कूली छात्रों के लिए मुफ्त भोजन जैसी स्कीम्स शुरू की।

• 1967 में DMK फाउंडर सीएन अन्नादुरई ने तमिलनाडु चुनावों में रूपए में 4.5 किलो चावल देने जैसे वादे किए थे।

• 1982 में एमजी रामचंद्रन ने कामराज की तरह ही तमिलनाडु में स्कूली बच्चों को मुफ्त भोजन की योजना लागू की थी।

• 1980 के दशक में आंध्र प्रदेश के CM एनटी रामाराव ने 2 रुपए किलो चावल देने की योजना लागू की थी।

• 1990 के दशक में तमिलनाडु में AIADMK नेता जे जयललिता ने मुफ्त साड़ी, प्रेशर कुकर, टेलीविजन और वॉशिंग मशीन देने जैसे वादे किए थे।

• 1990 के दशक में ही पंजाब में अकाली दल सरकार ने सबसे पहले मुफ्त बिजली देना शुरू किया था।

• 2006 के विधानसभा चुनावों में तमिलनाडु में DMK ने भी वोटर्स को कलर टेलीविजन देने का वादा किया था।

• तमिलनाडु के चुनावों में पार्टियां गैस स्टोव, केश, जमींन और मैटेरनिटी सहायता तक देने के वादे करती रही हैं।

• 2015 में आम आदमी पार्टी लोगों को मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी देने के वादे के साथ दिल्ली की सत्ता में आई थी।

• 2022 में पंजाब में सत्ता में आई आप सरकार ने 1 जुलाई से हर घर को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की योजना लागू कर दी है।

• अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी सरकार ने फ्री बिजली और फ्री पानी की योजना लागू की है।

• गुजरात की बीजेपी सरकार ने हाल में 4 हजार गांवों के लिए मुफ्त वाई-फाई और गाय संरक्षण के लिए 500 करोड़ देने का वादा किया है।

• आप ने गुजरात विधानसभा चुनावों में जीतने पर 300 यूनिट बिजली फ्री और महिलाओं को हजार रुपए महीना देने का वादा किया है।

 

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