Supermoon: यदि आप आसमान में हो रही घटनाओं में दिलचस्पी रखते हैं तो आज का दिन आपके लिए खास है। आज साल का दूसरा और पहला पूर्ण चंद्रग्रहण है। जनवरी 2019 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है। छह साल में पहली बार सुपरमून और चंद्र ग्रहण लग रहा है। यानी चांद आसमान में आम रातों की तुलना में बड़ा और चमकीला दिखाई देगा। आज चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक दिखाई देगा।
जानिए क्या है सुपरमून (Supermoon) और चंद्रग्रहण क्यों होता है, वहीं इसका आप पर क्या पड़ता है
सुपरमून किसे कहते है?
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तुर्की के अंकारा में मुस्तफा कमाल अतातुर्क म्यूजियम के पास सुपरमून कुछ इस तरह दिखा। Photo | Social Media |
हालांकि न तो चंद्रमा अपना आकार बदलता है और न ही चमक, लेकिन पृथ्वी के पास होने से हमें ऐसा आभास होता है। दरअसल, चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक ओवल शेप में चक्कर लगाता है। इस वजह से कई बार यह धरती के बेहद करीब आ जाता है। ऐसे में हमें इसका आकार सामान्य से बड़ा दिखाई देने लगता है।
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नासा के अनुसार सुपरमून (Supermoon) तब होता है जब चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के सबसे करीब होती है और पूर्णिमा होती है। आपको बता दें कि नासा के अनुसार, 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल ने पहली बार सुपरमून शब्द का इस्तेमाल किया था। एक सामान्य वर्ष में दो से चार सुपरमून हो सकते हैं। पिछले पूर्णिमा की तुलना में इस महीने पृथ्वी और चंद्रमा 0.04% के करीब हैं।
पूर्णिमा और सुपरमून के बीच क्या संबंध है?
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Photo | Social Media |
ब्लडमून किसे कहते हैं?
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Photo | Social Media |
यह पृथ्वी के वायुमंडल से प्रकाश को फिल्टर करता है और फिर हमारे ग्रह की छाया चंद्रमा पर पड़ रही होती है। बैंगनी (बैंगनी) की वेवलेंग्थ सबसे कम ही होती है और वहीं लाल रंग की सबसे अधिक होती है। चंद्र ग्रहण के दौरान, पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है।
तब पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने से रोक देती है। (Supermoon) सबसे अधिक तरंग दैर्ध्य यानी वेवलेंग्थ वाला लाल रंग ही प्रभावी होता है। इससे चंद्रमा पर लाल चमक आ जाती है। जिसके कारण इसे ब्लड मून भी कहा जाता है।
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भारत में चंद्रग्रहण दिखेगा या नहीं?
नहीं दिखेगा, बात दें कि देश के अधिकांश लोग चंद्र ग्रहण नहीं देख पाएंगे क्योंकि ग्रहण के समय भारत के अधिकांश हिस्सों में चंद्रमा (Supermoon) पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा। जबकि चंद्रमा उग रहा होगा तो पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग चंद्र ग्रहण का कुछ हिस्सा देख पाएंगे।
भारतीय समय के अनुसार दोपहर चार बजे पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में होगी। (Supermoon) आसमान साफ होने पर दुनियाभर के पर्यवेक्षक सुपरमून देख सकेंगे। लेकिन भारत, नेपाल, पश्चिमी चीन, मंगोलिया और पूर्वी रूस के कुछ हिस्सों में केवल आंशिक ग्रहण ही देखा जा सकेगा। इस दौरान चांद धरती की छाया से बाहर आ रहा होगा।
चंद्र ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?
ज्योतिषियों के अनुसार जानिए चंद्र ग्रहण के प्रकार, क्या इस चंद्र ग्रहण में लगेगा सूतक काल और आप पर क्या होगा असर…
पूर्ण चंद्र ग्रहण: पूर्ण चंद्र ग्रहण में, पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है और पृथ्वी पूरी तरह से चंद्रमा को ढक लेती है। ज्योतिषियों के अनुसार पूर्ण चंद्र ग्रहण का प्रकृति पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही सभी राशियों पर भी इसका शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। इस ग्रहण में सूतक काल भी प्रभावी होता है। जो 12 घंटे पहले से शुरू हो जाता है। सूतक के दौरान धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती है।
आंशिक चंद्र ग्रहण: आंशिक चंद्र ग्रहण में पृथ्वी पूरी तरह से सूर्य और चंद्रमा के बीच नहीं आती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा के किसी हिस्से पर पड़ती है। इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र और शास्त्रों के अनुसार इस ग्रहण में भी सूतक काल के नियमों का ध्यान रखा जाता है। ऐसे ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर भी पड़ता है।
उपच्छाया चंद्रग्रहण क्या है: ज्योतिषियों के अनुसार उपच्छाया चंद्र ग्रहण को पृथ्वी की छाया में माना जाता है, जिसका चंद्रमा के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसमें चंद्रमा की रोशनी धुंधली हो जाती है और उसका रंग थोड़ा मैला हो सकता है। इस ग्रहण में चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक रेखा में नहीं आ पाते हैं और सूर्य का कुछ भाग चन्द्रमा तक नहीं पहुँच पाता है। इसे पेनुम्ब्रल या सबलुनार यानि उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
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