Noor Shekhawat बनेंगी महारानी कॉलेज की पहली ट्रांसजेंडर छात्र Read it later

Noor Shekhawat:  एक बार जब भूकंप आया तो मैंने घर पर मां को फोन कर पूछा कि आप सब लोग ठीक तो है तो मां ने कहा कि तुम जैसी औलाद पैदा हो तो धरती पर भूकंप ही आना है…. ये कहना है ट्रासजेंडर नूर शेेखावत का। उन्‍होंने हाल एक अखबार को दिए इंटरव्‍यू में अपनी लाइफ और स्‍ट्रगल के बार में बताया।

बता दें कि नूर शेखावत (Noor Shekhawat) राजस्थान विश्वविद्यालय में पहली ट्रांसजेंडर छात्र बनने के लिए तैयार हैं। वे जयपुर के महारानी कॉलेज में बीए के लिए आवेदन कर चुकी हैं। अगर उन्हें एडमिशन मिल जाता है, तो यह राजस्‍थान यून‍िवर्सिटी के इतिहास में पहली बार होगा जब कोई ट्रांसजेंडर इस यूनिवर्सिटी का स्‍टूडेंट बनेगा।

छोटी थी तभी पता चला कि मैं अलग हूं, परिवार को बतया, लेकिन उन्‍होंने साथ नहीं दिया…

नूर (Noor Shekhawat) ने बताया कि उनका जन्म राजस्थान के एक छोटे से शहर में हुआ था। वे जब छोटी थी, तब ही उन्हें पता चल गया था कि वे एक ट्रांसजेंडर हैं। उन्होंने अपने परिवार को अपनी पहचान के बारे में बताया, लेकिन परिवार ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। इसके बाद नूर को घर छोड़ना पड़ा और वे उदयपुर में किन्नर समुदाय में रहने लगीं।

उदयपुर में, नूर (Noor Shekhawat) ने किन्नर समुदाय के लोगों के साथ काम करना शुरू किया। उन्होंने किन्नर समुदाय के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने किन्नर समुदाय के लोगों को शिक्षित करने और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए भी काम किया।

 

जब लोग ट्रांसजेंडर होने का ताना मारते थे…

नूर ने बताया कि उन्होंने 2012 में 12वीं पास की लेकिन माहौल खराब होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छूट गई। नूर शेखावत (Noor Shekhawat) ने बताया कि उन्होंने 12वीं तक स्कूल में पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज की ओर कदम बढ़ाया। लेकिन वहां का माहौल अच्छा नहीं था। क्योंकि स्कूल टाइम में साथ पढ़ने वाले छात्र उन्हें ट्रांसजेंडर होने का ताना मारते थे। लेकिन उस वक्त हार नहीं मानी।

इस दौरान स्कूल नहीं छोड़ा, संघर्ष करते रहीं। नूर शेखावत ने कहा कि हर कोई भूल जाता है कि समाज में थर्ड जेंडर समुदाय भी है। जिसे समाज में वही अधिकार मिलना चाहिए जो हर आम आदमी को है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, थर्ड जेंडर हमारे समाज का हिस्सा है और सरकार को इन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। बहरहाल अब वे ग्रेजुएशन करेंगी। नूर का मानना है कि शिक्षा ही उन्हें अपने जीवन में बदलाव लाने और अपने सपनों को पूरा करने में मदद करेगी।

नूर शेखावत एक प्रेरणादायक व्यक्तित्‍व हैं। उन्होंने अपने संघर्षों के बावजूद, कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए लड़ाई लड़ी और अब वे राजस्थान विश्वविद्यालय में पढ़ने जा रही हैं। नूर का उदाहरण अन्य ट्रांसजेंडर लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है।

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राजस्थान यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करेंगी ट्रांसजेंडर नूर शेखावत का सपना है कि वह अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाएं। फोटो क्रेडिट- इंडिया पोस्‍ट

किन्नर समाज पर पीएचडी रिसर्च से बदलाव आया

नूर (Noor Shekhawat) ने बताया कि जब वे लोगों के घर बधाइयां मांगने जाती थी तो लोग फब्त‍ियां कसते थे। इससे तंग आकर साल 2012 में पढ़ाई ही छोड़ दी। लेकिन अब 11 साल बाल नूर राजस्‍थान यूूनि‍वर्सिटी में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दरवाजे नूर की खुद की इच्छा शक्ति के चलते ही खुले हैं। दरअसल ट्रांसजेंडर्स की लाइफ स्ट्रगल पर पीएचडी कर रहे राजस्थान यूनिवर्सिटी के एक छात्र शिवराज से उनकी कुछ महीने पहले उदयपुर शहर में मुलाकात हुई थी।

शिवराज ने जब अपनी रिसर्च के बारे में बताया तो 6 साल पहले घर छोड़ चुकी नूर को अपने ही स्कूल के दिन याद आए। इसके बाद नूर ने दुबारा पढ़ाई करने का मन बनाया। शिवराज ने उनकी मुलाकात एक एनजीओ चलाने वाले कुश शर्मा से करवाई, जिसके बाद नूर (Noor Shekhawat) ने उनसे RU में एडमिशन का पूरा प्रोसेस समझा।

 

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