5g network : बढ़ सकते हैं 4G प्राइस‚ शुरुआत में 5G सेवा के लिए भी देने होंगे ज्यादा पैसे Read it later

देश में (5g network in india) 5जी टेलीकॉम सेवाएं शुरू होने से पहले 4जी के टैरिफ को बढ़ाए जाने की चर्चा चल  रही है। (latest news on 5G) क्रिसिल रेटिंग्स, नोमुरा और गोल्डमैन साक्स के अनुमान पर यकीन करें तो कंपनियां 2022 में टैरिफ में 30% की बढ़ा सकती हैं। वहीं इसके बाद5G के लिए प्रीमियम टैरिफ चार्ज किया जाएगा।

इसी  सोमवार को खत्म हुई 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में 1.5 लाख करोड़ रुपए की बोली लगाई गई। 5G स्पेक्ट्रम में भारी निवेश को देखते हुए, CRISIL रेटिंग्स ने उम्मीद जताई है कि कंपनियां 5G सेवाओं को लेकर अलग-अलग दरें चार्ज करने वाली हैं।

 

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1.5GB प्रतिदिन 4G प्लान के टैरिफ पर 30 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं कंपनियां

क्रिसिल के अनुसार, 5जी सेवाओं का इस्तेमाल 4जी टैरिफ पर लगने वाले प्रीमियम पर डिपेंड करेगा। ऐसे में कंपनियां यह सुनिश्चित करने के लिए 4जी सेवाओं के लिए टैरिफ बढ़ा सकती हैं कि लोग 5जी को बड़े पैमाने पर अपनाएं। नोमुरा ग्लोबल मार्केट रिसर्च का भी ये अनुमान है कि कंपनियां 1.5GB प्रतिदिन 4G प्लान के टैरिफ पर 30% तक प्रीमियम चार्ज कर सकती हैं।

 

 5G पर टेलीकॉम कंपनियां  प्रीमियम चार्ज वसूलेंगी

नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार  शुरू में प्रीमियम कस्टमर्स यानी को वो ग्राहक जिनके पास 15,000 रुपए से ज्यादा के स्मार्टफोंस हैं। वे 5G सेवाएं यूज करना शुरू करेंगे। ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि टेलीकॉम कंपनियां 5G पर प्रीमियम टैरिफ वसूल सकती हैं। वहीं गोल्डमैन साक्स ने ने भी कहा है कि  2022 के अंत तक टेलीकॉम कंपनियां एक बार फिर टैरिफ बढ़ा सकती हैं। गोल्डमैन साक्स की राय में ये इस सेक्टर में इनकम को इनक्रीज करने की अगली स्टेज साबित होगी।

 

रिलायंस जियो 5G को लेकर सबसे शानदार स्थिति में

JIO सभी 22 टेलीकॉम सर्किल में प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज बैंड को लेकर 5G स्पेक्ट्रम खरीदने वाला अकेला ऑपरेटर साबित हुआ है। ऐसे में JIO ने 5G की रेस में शुरु में ही झंडे गाढ़ने शुरू कर दिए हैं। टेलीकॉम विशेषज्ञों की मानें तो लो फ्रीक्वेंसी बैंड होने की वजह से इसके सिग्नल इमारतों के भीतर तक पहुंच सकने में सक्षम हैं। इसलिए ये इनडोर कवेरज के लिए शानदार होगा। वहीं आउटडोर कवरेज की बात करें तो ये भी बेहतरीन है। ज्ञात हो कि 700 मेगाहर्ट्ज बैंड वाला टावर दूरी के मामले में  10 किलोमीटर तक कवरेज दे सकेगा।

 

आसान भाषा में समझें कि स्पेक्ट्रम क्या होता है और ये तकनीकी तौर पर कैसे काम करता है

एयरवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के अंदर रेडियो फ्रीक्वेंसी हो होती हैं‚ ये दूरसंचार सहित कई सेवाओं के लिए वायरलेस तरीके से सूचना ले जाने में सक्षम होती हैं।  सरकार इन एयरवेव्स का प्रबंधन और आवंटन अपने हिसाब से करती है। स्पेक्ट्रम को लो फ्रीक्वेंसी से लेकर हाई फ्रीक्वेंसी तक के बैंड में विभाजित किया जा सकता है।

हाई फ्रीक्वेंसी तरंगें अधिक डेटा ले जाने में सक्षम होती हैं तो वहीं  लो फ्रीक्वेंसी तरंगों की तुलना में तेज़ होती हैं, लेकिन ये आसानी से ब्लॉक या बाधित हो सकती हैं। वहीं लो फ्रीक्वेंसी तरंगें व्यापक कवरेज प्रदान करने में सक्षम होती हैं। इसलिए अधिकतर टेलीकॉम कंपनियां लो फ्रीक्वेंसी को प्राथमिकता देती हैं ताकि ग्राहकों  मजबूत नेटवर्क दिया जा सके।

 

5g network in india
फोटोः सोशल मीडिया।

 

अगले 5 साल में 50 करोड़  5G यूजर्स भारत में हो जाएंगे

5जी इंटरनेट सेवा के आने से भारत में बहुत कुछ बदल जाएगा। इससे न सिर्फ यूजर्स का काम सरल और रफ्तार से होगा, बल्कि एंटरटेनमेंट और कम्युनिकेशन फील्ड में भी काफी एडवांस हो जाएगा।  5जी को लेकर काम करने वाली कंपनी एरिक्सन के अनुसार भारत में 5 साल में 50 करोड़ से ज्यादा 5जी इंटरनेट यूजर्स हो जाएंगे।

 

देश में 5G सर्विसेज की शुरुआत को लेकर अपनी  दुविधाओं को यहां दूर करें

बोली तो लग गई अब कंपनियों को 5G स्पेक्ट्रम मिलने में कितना वक्ल लग सकता है‚ ताकि आमजन की पहुंच तक ये जल्दी पहुंच सके? इसका प्रोसेस आगामी 10-15 दिन में पूरा होने की उम्मीद है।

 

भारत में 5G सर्विसेज आमजन के लिए कब शुरू हाेगी? (When 5G is launching?)

इसी साल अक्टूबर-नवंबर या साल के अंत तक कॉरपोरेट सेक्टर्स और प्रोफेशनल्स जैसे कुछ एक लिमिटेड यूजर्स के लिए 5G सर्विसेज शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। आमजन तक 5G सर्विसेज पहुंचने में  2-3 साल का वक्त लग सकता है।

 

2 से 3 साल का इतना लंबा समय क्यों लगेगाॽ

5G के लिए आधारभूत व्यवस्था यानी इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में कंपनियों को बड़ा इन्वेस्टमेंट करना पड़ेगा। इसलिए लंबा समय लग सकता है। इसके अलावा कंपनियां इस आधार पर  5G का दायरा बढ़ाएंगी की बाजार में मांग किस रफ्तार से बढ़ रही है।

 

5G के लिए टेलीकॉम कंपनीज का 700 मेगा हर्ट्ज के स्पेक्ट्रम पर ज्यादा जोर आखिर  क्यों रहा?

क्योंकि इस स्पेक्ट्रम की रेंज हाई-फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम से कई गुना अधिक हाेती है।  700 मेगा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम में टावर कम लगाने पड़ते हैं। ऐसे में मान सकते हैं इस मामले में jio ने बाजी मार ली है। ऐसे में  इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि 5G  नेटवर्क jio का सबसे बड़ा होगा।


क्या 5G सर्विसेज 4G की तुलना में महंगी हो सकती हैं ?

हां बिल्कुल , 5G सेवा के लिए कंपनियां शुरू में बेहद ज्यादा पैसा ग्राहकों से वसूलेंगी। लेकिन समय के साथ इसका दायरा बढ़ने पर कीमत कम हाे सकेंगी।

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